भारतीय रेलवे ने अपने 13 लाख कर्मचारियों को COVID -19 से बचाने के लिए प्रोटोकॉल तैयार किया
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भारतीय रेलवे ने अपने 13 लाख कर्मचारियों को COVID -19 से बचाने के लिए प्रोटोकॉल तैयार किया

अधिकारियों का कहना है कि भारत के सबसे बड़े नियोक्ता रेलवे के सभी 17 जोन सुझाए गए निर्देशों का पालन करने की तैयारी कर रहे हैं. COVID-19 ने 5,700 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है और देश में इससे 166 लोगों की जान गई हैं.

भारतीय रेलवे ने अपने 13 लाख कर्मचारियों को COVID -19 से बचाने के लिए प्रोटोकॉल तैयार किया

नई दिल्ली: सेंट्रल रेलवे द्वारा कोरोना वायरस (Corona Virus) से अपने कर्मचारियों को बचाने के लिए प्रोटोकॉल तैयार किया गया है. इसके तहत रेलवे अपने सभी 13 लाख कर्मचारियों की मैपिंग की है और उनमें से प्रत्येक के लिए संभावित क्वारेन्टाइन सुविधाओं का पता लगा रही है. 'रेल परिवार देख-रेख मुहिम' नाम के दस्तावेज में क्षेत्रीय रेलवे द्वारा पालन करने वाले नियमों की एक सूची बनाई गई है, जिससे वे अपने कर्मचारियों को सुरक्षित रख सकें.

अधिकारियों का कहना है कि भारत के सबसे बड़े नियोक्ता रेलवे के सभी 17 जोन सुझाए गए निर्देशों का पालन करने की तैयारी कर रहे हैं. COVID-19 ने 6,500 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है और देश में इससे 226 लोगों की जान जा चुकी है.

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निर्दश में कहा गया है कि 'संबंधित प्रभागों / कार्यशालाओं / मुख्यालयों के सभी कर्मचारियों की मैपिंग की जानी चाहिए. कर्मचारियों के नाम, वर्तमान आवासीय पता, फोन नंबर को इस तरह से व्यवस्थित किया जाना चाहिए कि किसी भी समय उनकी लोकेशन का पता लगाया जा सके और उनसे संपर्क किया जा सके. प्रत्येक कर्मचारी (उनके आश्रितों सहित) के लिए एक संभावित क्वारेन्टाइन सुविधा / आइसोलेशन सुविधा की व्यवस्था की जानी चाहिए.'

सूत्रों का कहना है कि इस माहमारी से दो रेलवेकर्मियों की मौत के बाद से कई जोन इस प्रोटोकॉल का पालन पहले से ही कर रहे हैं.

5 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी के एक अस्पताल में 53 साल के एक टेक्नीशियन की मौत हो गई थी, जिसकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री भी नहीं थी. अधिकारियों ने उस व्यक्ति के 12 सहयोगियों और उसका इलाज करने वाले कई चिकित्सकों को होम क्वारेन्टाइन करने के आदेश दिए थे. 23 मार्च को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक अफसर की इस बीमारी से मौत हो गई.

सभी संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को कर्मचारियों की पूरी मैपिंग रखने की सलाह दी गई है. सूत्रों का कहना है कि उन्हें स्वस्थ कर्मचारियों और स्वयंसेवकों का एक डेटाबेस बनाने के लिए भी कहा गया है.

प्रोटोकॉल में कहा गया है कि वो कर्मचारी जो पहले से ही हाइपरटेंशन और डाइबिटीज़ जैसी अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें और उनके आश्रितों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए.

 

स्थानीय स्तर पर समितियों का तुरंत गठन तुरंत किए जाने के लिए कहा गया है. ये समितियां होम क्वारेंटाइन की निगरानी, किराने की उपलब्धता और क्वारेंटाइन किए गए कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेंगी.

वे चिकित्सा टीमों, पुलिस और अन्य स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय करेंगे और कोविड-19 के खिलाफ समय-समय पर जारी अन्य निर्देशों का पालन करेंगे, और जागरुकता बढ़ाने के लिए परिवारों की काउंसलिंग करेंगे.

सभी छुट्टी देने वाले अधिकारियों और सभी विभागों के वरिष्ठ और तत्काल सुपरवाइजरों को अपने कर्मचारियों की हर दिन जांच करनी होगी, कि उनमें या उनके परिवार का किसी सदस्य में COVID-19 के लक्षण तो नहीं दिख रहे.

प्रोटोकॉल में कहा गया है कि कार्मिक विभाग को कोविड-19 से संक्रमित लोगों के कनेक्शन ट्रैक करने का काम सौंपा जाएगा जिससे कम्यूनिटी स्पेड को रोका जा सके.

प्रत्येक इकाई में एक कोर टीम बनाई जाएगी जो नए मामलों के बारे में जानकारी लेगी और संभावित कनेक्शनों को ट्रैक करना शुरू करेगी. इसके साथ ही, प्रत्येक कर्मचारी से हर सप्ताह टेलीफोन से संपर्क किया जाएगा. इसका एक रिकॉर्ड बनाया जाएगा और संबंधित उच्च अधिकारी को इसकी दैनिक रिपोर्ट दी जाएगी.

निर्देशों में कहा गया है कि इस रिकॉर्ड में कर्मचारियों से पूछताछ किए जाने वाली मेडिकल कंडीशन और COVID-19 से संबंधित ऐसे किसी भी लक्षण के पाए जाने पर 'तुरंत संपर्क करने' के निर्देश होंगे.

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