Israel की तरह हमारा अपना Iron Dome, नाम होगा कुश; S-400 जैसी ताकत
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Israel की तरह हमारा अपना Iron Dome, नाम होगा कुश; S-400 जैसी ताकत

Project Kush: भारत अगले पांच सालों में 2028-29 तक अपनी लंबी दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम तैनात करने के लिए तैयार है. 'प्रोजेक्ट कुश' के तहत विकसित हो रही स्वदेशी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाले इस डिफेंस सिस्टम की क्षमता रूस के एयर डिफेंस सिस्टम S-400 के बराबर क्षमता होगी.

Israel की तरह हमारा अपना Iron Dome, नाम होगा कुश; S-400 जैसी ताकत

S-400 Air defence System Indian Iron Dome: भारत रक्षा मामलों में भी आत्मनिर्भर हो रहा है. आज मिसाइल हो या फइर लड़ाकू विमान, डीआरडीओ (DRDO) के अलावा कई भारतीय कंपनियां हथियार बना रही हैं. भारत कई देशों को हथियार और सैन्य उपकरण निर्यात भी कर रहा है. इससे इतर अपनी हवाई सीमा की सुरक्षा की बात करें तो भारत के पास जल्द ही अपना खुद का एयर डिफेंस सिस्टम होगा, जो दुश्मन की मिसाइल और बमों को देखते ही उड़ा देगा.​ यानी प्रोजेक्ट सही रफ्तार से चला तो भारत के पास जल्द ही इजरायल की तरह अपना 'आयरन डोम' होगा.

नाम है कुश

भारत ने 2028-29 तक अपनी लंबी दूरी के एयर डिफेंस सिस्टम को सक्रिय रूप से तैनात करने की योजना बनाई है. ये स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम 350 KM तक की दूरी पर आने वाले स्टील्थ फाइटर जेट, मिसाइल, ड्रोन और टारगेट गाइडेड हथियारों का पता लगाकर समय रहते ढेर कर देगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 'इंटरसेप्शन कैपिबिलिटी' से जुड़ा महत्वाकांक्षी 'प्रोजेक्ट कुश' के तहत DRDO की तरफ से विकसित किए जा रही स्वदेशी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (LR-SAM) सिस्टम, हाल ही में शामिल किए गए रूसी मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम के जैसा होगा. बताया जा रहा है कि इसे हाल ही में वायुसेना में शामिल किया गया है.

21,700 करोड़ की लागत

हालिया जानकारी के मुताबिक मई 2022 में सुरक्षा मामलों को देखने वाली कैबिनेट कमेटी ने 'मिशन-मोड' प्रोजेक्ट के रूप में LR-SAM प्रणाली के निर्माण यानी इसे डेवलप करने के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी. इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने पिछले महीने इंडियन एयरफोर्स के 5 स्क्वाड्रनों की खरीद के लिए NOC दी थी. लंबी दूरी की इंटरसेप्टर और फायर कंट्रोल रडार के साथ मोबाइल LR-SAM प्रोजेक्ट में कई मिसाइलें होंगी जो निर्धारित दूरी पर मौजूद दुश्मन के खात्मे के लिए खास तौर पर डिजाइन की गई हैं.

DRDO का बयान

DRDO के मुताबिक, 'ये डिफेंस सिस्टम हर मोर्चे पर प्रभावी होगा. इस रक्षा प्रणाली को 250 किलोमीटर की दूरी पर लड़ाकू आकार के लक्ष्यों को मार गिराने के लिए तैयार किया गया है, जिसमें AWACS (हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली) और मध्य हवा में ईंधन भरने वाले बड़े विमानों को 350 किलोमीटर की दूरी पर रोक दिया जाएगा.'

S-400 भारत के पास है फिर भी इसकी जरूरत क्यों?

रूस का एयर डिफेंस सिस्टम S-400 लंबी दूरी कर सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है. इसे 400 किलोमीटर की दूरी तक विमान, ड्रोन और मिसाइलों का पता लगाने, ट्रैक करने और तबाह करने के लिए डिजाइन किया गया है. रूस का दावा है कि यह दुनिया का सबसे ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम है. S-400 फिलहाल 4 देशों के पास है. रूस ने इसे भारत, चीन और तुर्की को बेचा है. अब चूंकि चीन, पाकिस्तान का जिगरी दोस्त और भारत से दुश्मनी रखता है, ऐसे में भारत को स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत थी, जो 'कुश' के आने से पूरी हो जाएगी.

भारत के पास कितने S-400?

रूस की मीडिया स्पुतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2018 में, भारत और रूस के बीच S-400 सिस्टम के 5 स्क्वाड्रन की आपूर्ति पर 5.43 बिलियन डॉलर की डील हुई थी. अमेरिकी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल स्कॉट बेरियर के एक बयान के मुताबिक रूस ने भारत को दिसंबर 2021 से S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी शुरू की थी. बताया जा रहा है कि अबतक 3 स्क्वाड्रन की आपूर्ति हो चुकी है. हालांकि इन्हें कहां तैयार किया गया है. इसे लेकर कोई अधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.

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