चीन की कमर तोड़ने की जोरदार तैयारी, लद्दाख में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर टैंक तैनात
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चीन की कमर तोड़ने की जोरदार तैयारी, लद्दाख में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर टैंक तैनात

ये 1948 के बाद भारतीय सेना (Indian Army) का उससे भी बड़ा अपनी तरह का इकलौता कारनामा है और दुनिया में इसकी मिसाल कहीं नहीं मिलती है.  भारतीय सेना ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचाए टैंक दरअसल भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में 15000 से 17000 फीट की ऊंची पहाड़ियों पर टैंक तैनात किए हैं.

फाइल फोटो

लद्दाख: ये 1948 के बाद भारतीय सेना (Indian Army) का उससे भी बड़ा अपनी तरह का इकलौता कारनामा है और दुनिया में इसकी मिसाल कहीं नहीं मिलती है. 

  1. भारतीय सेना ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचाए टैंक
  2. टैंकों को चढ़ाने के लिए पहाड़ियों पर बनाए गए स्पेशल ट्रैक
  3. चीन की तुलना में बेहतर स्थिति में तैनात हैं भारतीय टैंक

भारतीय सेना ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचाए टैंक
दरअसल भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में 15000 से 17000 फीट की ऊंची पहाड़ियों पर टैंक (Tanks) तैनात किए हैं और वो भी तब जब वहां का तापमान अभी ही शून्य से 15 डिग्री नीचे जा चुका है. भारतीय सेना ने रेंजांग ला, रेचिन ला और मुखपरी पर टैंकों की तैनाती की और कुछ जगहों पर ये चीनी टैंकों के लगभग आमने-सामने हैं. 

टैंकों को चढ़ाने के लिए पहाड़ियों पर बनाए गए स्पेशल ट्रैक
टैंकों को सैनिक इतिहास में कभी भी इतनी ऊंची पहाड़ी पर तैनात नहीं किया गया था. 50 से 60 टन वजनी टैंकों को इन पहाड़ियों पर चढ़ाने के लिए आसपास की पहाड़ियों से ट्रैक बनाए गए और इनके जरिए इन टैंकों को यहां तक पहुंचाया गया. 

चीन की तुलना में बेहतर स्थिति में तैनात हैं भारतीय टैंक
चीन की इस हिमाकत के जवाब में भारतीय सेना ने भी सितंबर में अपने टैंकों को पहाड़ियों पर चढ़ाना शुरू कर दिया था. इस समय भारतीय टैंक चीनी टैंकों के सामने हैं लेकिन ऊंचाई पर होने की वजह से ज्यादा बेहतर स्थिति में हैं. इन टैंकों को 15 हज़ार से लेकर 17 हज़ार फीट की ऊंचाई पर तैनात किया गया है और पूरी दुनिया में टैंकों को कभी भी इतनी ऊंचाई पर तैनात नहीं किया गया है.

पाकिस्तान के खिलाफ 1948 में 11 हजार फीट पर तैनात किए गए थे टैंक
 इससे पहले जनरल थिमैया ने नवंबर 1948 में लद्दाख पर कब्ज़ा कर रहे पाकिस्तानियों को खदेड़ने के लिए ज़ोजिला पास पर हल्के स्टुआर्ट टैंकों का इस्तेमाल किया था. उस समय भी पूरी दुनिया ताज्जुब में पड़ गई थी लेकिन तब भी टैंकों को 11553 फीट की ऊंचाई तक ही ले जाया गया था. 

भारत ने 2015 से लद्दाख में टैंकों की तैनाती शुरू की
भारतीय सेना ने 2015 से लद्दाख में टैंकों को तैनात करने की शुरुआत की थी. लद्दाख के मैदानों में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के बड़े ऑपरेशन के लिए खुले मैदान हैं. चीनी सेना की तरफ से पूर्वी लद्दाख के चुशूल और डैमचौक की तरफ ऐसे हमलों की आशंका थी इसलिए भारतीय सेना ने अपने टैंकों को तैनात करने का फैसला किया था. 

चीन को ध्यान में रखकर लंबे समय से चल रही है तैयारी
टैंकों के अलावा बख्तरबंद गाड़ियों की तैनाती पर पिछले कुछ सालों में भारतीय सेना ने बहुत तैयारी की. चीन के साथ मई में तनाव शुरू होने के साथ ही भारतीय सेना ने लद्दाख में तैनात टैंकों और बख्तरंबद गाड़ियों की ताक़त को न केवल बढ़ाया बल्कि उन्हें आगे के मोर्चे पर भी लेकर गए. इनमें सबसे बेहतर टी-90 टैंक भी हैं. 

चीन ने दुस्साहस किया तो मिलेगा करारा जवाब
अगस्त के आखिर में चीन की तरफ से नई कार्रवाइयों की आशंका के बाद भारतीय सेना ने 29-30 अगस्त को पेंगांग के पूर्वी किनारे पर ठाकुंग से लेकर रेज़ांग ला तक की सभी महत्वपूर्ण पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया. इसी के बाद चीन ने अपनी बख्तरबंद गाड़ियां और टैंक आगे बढ़ाए थे जिसका जवाब भारत ने इन पहाड़ियों पर टैंक तैनात करके दिया.

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