एडवाइजरी के बाद भी खारकीव स्टेशन पर फंस गए लोग, अब क्या है प्लानिंग? जानें
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एडवाइजरी के बाद भी खारकीव स्टेशन पर फंस गए लोग, अब क्या है प्लानिंग? जानें

युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकीव (Kharkiv) शहर में बुधवार सुबह पैदल चलकर नजदीकी रेलवे स्टेशन पहुंचने वाले भारतीय छात्र अब भी स्टेशन पर फंसे हुए हैं. 

सांकेतिक तस्वीर

हावेरी (कर्नाटक): युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकीव (Kharkiv) शहर में बुधवार सुबह पैदल चलकर नजदीकी रेलवे स्टेशन पहुंचने वाले भारतीय छात्र अब भी स्टेशन पर फंसे हुए हैं. एक छात्र के पिता ने यह जानकारी दी. 

  1. कर्नाटक में बैठे परिजनों को छात्रों के फंसे होने का डर
  2. 6 बजे तक खारकीव को खाली नहीं कर पाए छात्र
  3. एडवाइजरी जारी होने के बाद चिंतित हैं परिजन

एडवाइजरी जारी होने के बाद चिंतित हैं परिजन

वेंकटेश वैश्यार ने बताया, 'मेरा बेटा अमित अपने चचेरे भाई सुमन और कई अन्य के साथ किसी तरह रेलवे स्टेशन पहुंच गया लेकिन वे वहां फंस गए हैं.' यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित भारतीय दूतावास ने ताजा एडवाइजरी जारी कर खारकीव रेलवे स्टेशन पर फंसे छात्रों को किसी भी तरह बुधवार शाम 6 बजे तक (यूक्रेनी समयानुसार) पैदल चलकर ही पिसोचिन पहुंचने को कहा था. 

शाम 6 बजे के बाद कुछ भयानक हो सकता है?

वेंकटेश ने कहा, 'मुझे कोई अंदाजा नहीं है कि वहां क्या हो रहा है लेकिन वह खारकीव रेलवे स्टेशन पर फंसा हुआ था. पहली ट्रेन महिलाओं और लड़कियों को लेकर गई जबकि दूसरी ट्रेन यूक्रेनी लोगों को लेकर रवाना हुई. फिर तीसरी ट्रेन अब तक नहीं पहुंची है जबकि एडवाइजरी में सभी को शाम 6 बजे तक तीन जगहों पर पहुंचने को कहा गया था, जो कि यह दर्शाता है कि शाम 6 बजे के बाद कुछ भयानक हो सकता है.' 

MBBS का छात्र है अमित

आपको बता दें कि वेंकटेश का बेटा 23 वर्षीय अमित वी वैश्यार खारकीव चिकित्सा महाविद्यालय में पांचवे साल का छात्र है और हावेरी के रानेबेन्नुर तालुका के चालगेरी के उन तीन विद्यार्थियों में से एक है जो खारकीव चिकित्सा महाविद्यालय से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं. अमित का चचेरा भाई 24 वर्षीय सुमन (पुत्र श्रीधर मूर्ति वैश्यार) भी उनमें शामिल है जो युद्धग्रस्त देश से लौटने का प्रयास कर रहे हैं. 

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नवीन के शव को भारत लाने की मांग

गौरतलब है कि मंगलवार को उनके जूनियर 22 वर्षीय नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौड़ा की उस समय गोलाबारी की चपेट में आने से मौत हो गई जब वह बंकर से निकल कर खाना पानी लेने और मुद्रा बदलने गया था. इस बीच, नवीन के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौड़ा अपनी भावनाओं को उस समय नियंत्रित नहीं कर पाए जब उन्होंने अपने बेटे के शव की तस्वीर व्हाट्सऐप पर देखीं जिसे खारकीव के मुर्दाघर में रखा गया है. नवीन ज्ञानगौड़ा का छोटा बेटा था जबकि बड़े बेटे हर्ष ने कृषि विज्ञान में M.Sc. की है और वह माता-पिता के साथ रहता है. 

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सीएम बोम्मई करेंगे हर संभव प्रयास

हर्ष ने कहा, 'हम खुश हैं कि सभी जीवित घर लौट रहे हैं लेकिन हम नवीन का चेहरा देखना चाहते हैं क्योंकि मेरे माता-पिता उसे देखना चाहते हैं.' हर्ष ने भावुक होते हुए नवीन का शव जल्द से जल्द भारत लाने के लिए तेजी से कदम उठाने की भी अपील की. इससे पहले, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को बेंगलुरु में कहा कि वह नवीन के शव को भारत लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. 

परिवार को मिलेगा मुआवजा?

उन्होंने कहा, ‘मैं विदेश मंत्री एस जयशंकर और यूक्रेन में भारतीय दूतावास से नवीन के शव को लाने के वास्ते किए जा रहे प्रयासों की जानकारी लेने के लिए बात करूंगा. हम हर संभव प्रयास करेंगे.’ बोम्मई के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों ने खारकीव में फंसे भारतीयों, खासतौर पर विद्यार्थियों को निकालने के प्रयास तेज कर दिए हैं. नवीन के परिवार को मुआवजा देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार कुछ भी कर सकती है लेकिन इस समय प्राथमिकता शव भारत लाने की है. बोम्मई ने कहा, ‘जो भी हमारे हाथ में होगा, हम करेंगे. हम मुआवजा जरूर देंगे. परिवार पीड़ा में है. हमें सबसे पहले शव को लाना है और उसके लिए हमने कोशिशें तेज कर दी हैं.’ 

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