सेना प्रमुख ने आगे बताया, 'युद्धपोत में 90 फीसदी देशी उपकरण लगाए गए हैं. इस युद्धपोत में ऐसे सेंसर भी लगे हैं जो पनडुब्बियों का पता लगाने के साथ-साथ उनका पीछा करने में सक्षम हैं साथ ही यह आसानी से राडार की पकड़ में नहीं आ पाता है.'
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नई दिल्ली: समंदर की लहरों पर राज करना है तो समंदर की गहराई का अंदाजा होना जरूरी है और अगर दुश्मनों को काबू में रखना है तो समंदर की तरह अथाह ताकत का अंदाजा होना भी जरूर है. इसलिए भारत का स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती (INS Kavaratti), जिसे समंदर का बाहुबली भी कह सकते हैं, आज भारत नौसेना में शामिल हो गया.
भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने आईएनएस कवरत्ती को भारतीय नौसेना के सुपुर्द करते हुए कहा, 'पनडुब्बी रोधी प्रणाली से लैस ये स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती कई मायनों में बेहद खास है. ये एक स्टील्थ वार शिप है. यानी ये दुश्मन के राडार की पकड़ में नहीं आ सकता है. इसका डिजाइन डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने तैयार किया था और इसको कोलकाता के गार्डन रिसर्च शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने तैयार किया है.'
इन खास फीचर्स से है लैस
नरवणे ने आगे बताया, 'युद्धपोत में 90 फीसदी देशी उपकरण लगाए गए हैं. इस युद्धपोत में ऐसे सेंसर भी लगे हैं जो पनडुब्बियों का पता लगाने के साथ-साथ उनका पीछा करने में सक्षम हैं साथ ही यह आसानी से राडार की पकड़ में नहीं आ पाता है.'
ऐसे रखा गया INS कवरत्ती नाम?
आईएनएस कवरत्ती का नाम 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्ति दिलवाने वाले अभियान में अहम रोल निभाने वाले युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती के नाम पर रखा गया है. इसकी लंबाई 109 मीटर और चौड़ाई 12.8 मीटर है. इसमें 4B डीजल इंजन लगे हैं. इसका वजन 3250 टन है. नौसेना में इसके शामिल हो जाने से नेवी की ताकत काफी बढ़ जाएगी क्योंकि ये परमाणु ,रासायनिक और जैविक हालात में भी काम कर पाने में सक्षम है.