देश की चारों ओर से आए कलाकार अपनी कला से लोगों के मन को मोह रहे हैं, या फिर यों कहें कि उऩकी कलाकृति खुद-ब-खुद ही वहां पहुंचने वालों के दिल में घर कर रही है.
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नई दिल्ली: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय कला मेले के तेरह दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन अब भी यहां कलाप्रेमियों की आवाजाही में कोई कमी नहीं आई है. देशभर से आए कलाकारों की कला को देखने के लिए यहां काफी संख्या में कला प्रेमी भी पहुंच रहे हैं. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित कला मेले में कलाकारों ने प्रकृति, स्त्रीत्व, आध्यात्म, मानव सृजन, भक्ति, मातृत्व, फ्लोरा और फौना, जीवनशैली से जुड़ी कला सबों के आकर्षण का केंद्र रही. कला के इस मेले में शायद ही कोई ऐसा विषय हो जिसपर कलाकार ने अपनी भावनाओं को ना उड़ेला हो.
मन को मोह रहे है कला
देश की चारों ओर से आए कलाकार अपनी कला से लोगों के मन को मोह रहे हैं, या फिर यों कहें कि उऩकी कलाकृति खुद-ब-खुद ही वहां पहुंचने वालों के दिल में घर कर रही है. ऐसी ही एक कलाकार हैं अनामिका. उन्होंने अपनी कला के जरिए मानव भ्रूण के विकास को दिखाया है. कला के समकालीन तरीके पर आधारित उनकी पेंटिंग ने कला मेले में काफी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा.
तमिलनाडु के एक गाँव से आए वी. कमलेश की बनाई कलाकृति ने यहां पहुंचे लोगों को अपना मुरीद बना लिया. उन्होंने एक मूर्ति के जरिए दहां अर्द्धनारीश्वर की परिकल्पना को दिखाया है, तो वहीं दूसरी मूर्ति के माध्यम से कमलेश ने यह दिखाने की कोशिश की है कि हर किसी में एक स्त्री है. दरअसल उन्होंने अपनी कला के जरिए गांव की जिंदगी और स्त्रीवाद जैसे विषयों को पेश करने की कोशिश की है
स्त्री और गांव के साथ ही धर्म-अध्यात्म पर भी यहां कलाकारों ने अपनी कला का जादू बिखेरा. दर्शन शर्मा की राधा-कृष्ण तस्वीरों से ऐसी ही झलक मिलती है. दर्शन ने कहा कि उनकी कला को जैसा सम्मान यहां मिल रहा है, उससे वह बेहद खुश हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ललित कला अकादमी को इस तरह के मेले का आयोजन हर साल करवाना चाहिए.
प्रकृति को कला की अमलीजामा पहनाने का काम सीमा सिंह दुआ ने किया. उन्होंने भी अंतर्राष्ट्रीय कला मेले की खूब तारीफ की. सीमा दुआ ने कहा, 'मैं कई बार अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में शामिल हो चुकी हूँ मगर अंतर्राष्ट्रीय कला मेले में होना अलग अनुभव है.' मनीषा श्रीवास्तव की राधा-कृष्णा पेंटिंग ने भी कला मेले में पहुंचे लोगों की काफी तारीफें बटोरीं. अकादमी पहुंचे आर्टिस्ट जाकिर खान को मशीनों के पार्ट्स से बनी उनके गिद्ध प्रतिकीर्ति इंस्टालेशन को भी खूब तारीफ़ मिल रही है.
4 फरवरी को शुरू हुआ था मेला
4 फरवरी 2018 को भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम.वैकया नायडू ने अंतर्राष्ट्रीय कला मेले का उद्घाटन किया था. इस समारोह में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के साथ तिहाड़ जेल के महानिदेशक अजय कश्यप, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय भी शामिल थे.
18 फरवरी तक चलेगा कला मेला
दिन के 12 बजे से रात के 8 बजे तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय कला मेले पर बात करते हुए ललित कला अकादमी के श्री कृष्ण सेट्टी ने कहा, “यह ललित कला अकादमी के लिए गर्व का विषय है कि हम इतने तरह की कला को अंतर्राष्ट्रीय कला मेले के फलक के नीचे दिखाया. मुझे उम्मीद है कि मेले के आखिरी दो दिन और भी कला-प्रेमी शरीक होंगे.” यह कला मेला 18 फरवरी तक चलेगा.
5 अगस्त, 1954 को हुआ ललित कला अकादमी का गठन
देश में कला और कलात्मक प्रवृत्तियों के प्रचार-प्रसार एवं संरक्षण के लिए ललित कला अकादमी का गठन 5 अगस्त, 1954 को भारत सरकार ने किया था. यह वैधानिक स्वायत्त निकाय है जो सोसायटी के रूप में 1957 से पंजीकृत है. इस राष्ट्रीय कला अकादमी का ध्येय भारत की विविध प्राचीन, आधुनिक एवं समकालीन कला प्रवृत्तियों, कला विधाओं एवं कलाकृतियों का प्रचार, प्रसार, संरक्षण एवं नियोजन करना है. इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अकादेमी विभिन्न फेलोषिप एवं स्कॉलरशिप भी प्रदान करती है. ललित कला अकादेमी के नई दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय के अलावा देश के विभिन्न अंचलों में क्षेत्रीय कला केंद्र भी स्थित हैं.