केंद्र ने राज्यों से कहा, 'शहीद दिवस मनाने में लोगों को शामिल करें'
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केंद्र ने राज्यों से कहा, 'शहीद दिवस मनाने में लोगों को शामिल करें'

केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि वे देश के लिए जीवन का बलिदान देने वालों की याद में शहीद दिवस मनाने के दौरान आम लोगों को भी इससे जोड़े। अपने निर्देश में गृह मंत्रालय ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में सभी शैक्षणिक संस्थाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को निर्देश जारी करें कि वे पूरी गंभीरता और तत्परता से शहीद दिवस मनायें।

नयी दिल्ली: केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि वे देश के लिए जीवन का बलिदान देने वालों की याद में शहीद दिवस मनाने के दौरान आम लोगों को भी इससे जोड़े। अपने निर्देश में गृह मंत्रालय ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में सभी शैक्षणिक संस्थाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को निर्देश जारी करें कि वे पूरी गंभीरता और तत्परता से शहीद दिवस मनायें।

इसमें यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि 30 जनवरी को सुबह 11 बजे पूरे देश में दो मिनट का मौन रखा जाए। 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 1948 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी। निर्देश के अनुसार, अतीत में कुछ कार्यालयों में दो मिनट का मौन रखा जाता था और सामान्य लोग अपने काम पर इस अवसर की गंभीरता को ध्यान में रखे बिना आम दिनों की भांति जाते थे।

गृह मंत्रालय ने अपनी विज्ञप्ति में कहा कि राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन से यह आग्रह किया जाता है कि शहीद दिवस मनाते हुए इसकी गंभीर सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाये जाएं और इसमें आम लोगों की बेहतर सहभागिता हो। गृह मंत्रालय के निर्देशों में कहा गया है कि इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिकाओं का जिक्र करते हुए इस दिवस के महत्व पर चर्चा होनी चाहिए।

इसमें कहा गया है कि चर्चाओं और भाषणों का विषय प्रत्येक नागरिक के कर्तव्यों एवं नैतिक जिम्मेदारियों के संरक्षण, सुरक्षा और कड़ी मेहनत से अर्जित स्वतंत्रता के पोषण पर होना चाहिए। इसके साथ ही राष्ट्रीय एकजुटता और साझा लक्ष्यों एवं आदशरें के प्रति प्रतिबद्धता की भावना को भी प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत है। राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की प्रचार इकाइयों को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, स्वतंत्रता संघर्ष और राष्ट्रीय एकजुटता में शहीदों की भूमिका से जुड़े विषयों पर कार्यक्रमों एवं फिल्मों का आयोजन करना चाहिए।

 

 

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