एनआइए के एक अधिकारी के मुताबिक साकिब ने त्राल ,राजौरी और बांदीपुर में जा कर आतंकी गुटों से संपर्क बढ़ाने की कोशिश की थी जिससे आईएसआईएस ग्रुप को आतंकी हमले कि ट्रेनिंग दी जा सके.
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नई दिल्लीः दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पकड़े गए आईएसआईएस के मॉड्यूल्स से हुई पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है. आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वो कश्मीर के आतंकी गुटों से अपने संपर्क बनाने की कोशिश में थे. गिरफ्तार आरोपी में से एक आरोपी साकिब ने पिछले साल मई और अगस्त महीने में साउथ कश्मीर का दौरा किया था जहां वो कश्मीरी आतंकी गुटों से मेल जोल बढ़ाने की कोशिश में था जिससे भारत पर आईएसआईएस के बैनर तले बड़े हमले किये जा सके.
एनआइए के एक अधिकारी के मुताबिक साकिब ने त्राल ,राजौरी और बांदीपुर में जा कर आतंकी गुटों से संपर्क बढ़ाने की कोशिश की थी जिससे आईएसआईएस ग्रुप को आतंकी हमले कि ट्रेनिंग दी जा सके.
आईएसआईएस का मॉड्यूल कश्मीर आतंकियों की मदद से हथियारों का भी इंतजाम करने के कोशिश में था. साकिब ने त्राल में एक मुफ़्ती से मुलाक़ात की थी जिसने उसकी मुलाकात एक आतंकी से कराई थी. साकिब से हुई पूछताछ के आधार पर एनआईए की टीम ने त्राल में जा कर मुफ़्ती से पूछताछ की है जिससे ये पता चल सके कि उसने किस आंतकी से साकिब की मुलाकात कराई थी.
देखा जाए तो ये पहली बार होगा जब आईएसआईएस के कश्मीर नेटवर्क के बारे में पुख्ता जानकारी मिली हो. एनआइए की टीम साकिब के साथ मीटिंग में मौजुद एक दूसरे सदिग्ध से भी पूछताछ करने में लगी हुई है.
एनआईए में जांच से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक पकड़े गए आईएसआईएस के मुख्य आरोपी मुफ़्ती सोहेल पश्चमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा को आईएसआईएस का बेस बनाने की कोशिश में लगा था सिर्फ यही नही ये ग्रुप अमरोहा को हाईड आउट के तौर पर भी इस्तेमाल करने में था जिससे आतंकी हमले के बाद सभी आरोपियों को जांच एजेंसियों की निगाह से बचाया जा सके और यहां पर छुपाया जा सके.
मुफ्ती सोहेल अमरोहा को हथियारों की सप्लाई का भी मुख्य केंद्र बनाना चाहता था जिससे जब भी हथियारों की जरूरत हो सभी को उसकी सप्लाई बड़े आराम से अमरोहा से की जा सके. मुफ़्ती सोहेल के कहने पर दूसरे आरोपी अनस ने टेलीग्राम ग्रुप बनाया था.अनस हर रोज़ एक नया टेलीग्राम ग्रुप बनाया करता था और रात में उसे डिलीट कर दिया करता था जिससे सुरक्षा एजेंसियों को उन पर शक न हो. यही नही ये सभी एक ही तरीके के मोबाइल फ़ोन का भी इस्तेमाल करते थे और बात हो जाने के बाद अपने फ़ोन की बैटरी निकल दिया करते थे.उनका ये मानना था कि ऐसा करके वो जाँच एजेंसियों से बच सकते है.
एनआइए की पूछताछ में जब से कश्मीर नेटवर्क का खुलासा हुआ है उसके बाद से एजेंसिया इस मॉड्यूल की इससे जुड़े लिंक की जांच काफी तेज़ कर चुकी है.