Jamiat Ulema e Hind Maulana Mahmood Asad Madani: मुस्लिमों की बड़ी संस्था जमीअत उलेमा ए हिंद को पीएम मोदी का राम मंदिर के उद्घाटन के लिए अयोध्या जाने का फैसला रास नहीं आया है. संगठन ने सुप्रीम कोर्ट पर भी भड़ास निकाली है.
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Maulana Mahmood Asad Madani statement on Ayodhya Shri Ram Temple: अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर का अगले साल 22 जनवरी को उद्घाटन होना तय हो गया है. श्री राम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से दिए गए निमंत्रण को पीएम मोदी ने स्वीकार कर लिया है और अब वे 2 महीने बाद इस राष्ट्रीय धरोहर को जनता को सुपुर्द करेंगे. पीएम मोदी की ओर से राम मंदिर का उद्घाटन न्योता कबूल करने की बात से मुसलमानों की बड़ी संस्था जमीअत उलमा ए हिंद भड़क गई है. जमीअत के सदर मौलाना महमूद मदनी का भड़काऊ बयान देते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का फैसला हर तरह से गलत था. मदनी ने मांग की कि पीएम मोदी को इस उद्घाटन समारोह में हिस्सा नहीं लेना चाहिए.
'खैरात में दी गई जमीन कबूल नहीं'
जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी (Maulana Mahmood Asad Madani) यहीं नहीं रुके. उन्होंने कुछ मुस्लिम नेताओं की ओर से अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद की नींव रखने के लिए प्रधानमंत्री से अपील करने पर तीखी आलोचना की है. मौलाना मदनी ने अपने बयान में कहा कि हम स्पष्ट रूप से यह कहना चाहते हैं कि अयोध्या विवाद (Ayodhya Shri Ram Temple) में सुप्रीम कोर्ट के जो निर्णय किया था, हम उसको सही नहीं मानते हैं. इसलिए मस्जिद बनाने के लिए खैरात में दी गई जमीन को भी कबूल नहीं किया जा सकता.
'सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह गलत'
मौलाना महमूद असद मदनी (Maulana Mahmood Asad Madani) ने कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि यह फैसला गलत माहौल में गलत सिद्धांतों और आधारों पर दिया गया है, जो कानूनी और ऐतिहासिक तथ्यों के भी विरुद्ध है. मौलाना मदनी ने कहा कि ऐसे में देश के प्रधानमंत्री को किसी भी पूजा स्थल (Ayodhya Shri Ram Temple) के उद्घाटन के लिए बिलकुल नहीं जाना चाहिए.
मौलाना की पीएम मोदी को नसीहत
उन्होंने (Maulana Mahmood Asad Madani) कहा कि बेहतर ये है कि कोई भी धार्मिक अनुष्ठान राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त हो और उसे केवल धार्मिक लोगों की ओर से ही किया जाना चाहिए. मौलाना मदनी ने इस मौके पर जमीअत उलमा के सभी स्तरों के पदाधिकारियों को खबरदार भी किया. मौलाना ने कहा कि वह जमीअत उलमा के रुख के खिलाफ किसी भी गैरजिम्मेदाराना बयान से बचें वरना उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.