J&K: गृह मंत्री अमित शाह का दौरा रहा ऐतिहासिक, राजनीतिक प्रक्रिया बहाल करने के लिए जमीन तैयार
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J&K: गृह मंत्री अमित शाह का दौरा रहा ऐतिहासिक, राजनीतिक प्रक्रिया बहाल करने के लिए जमीन तैयार

Amit Shah's visit to J&K:  गृह मंत्री अमित शाह ने बारामुला में बड़ी रैली की, जो कि कभी आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्र था. रैली में ‘भारत माता की जय’ के नारे लगातार लगते रहे. 

J&K: गृह मंत्री अमित शाह का दौरा रहा ऐतिहासिक, राजनीतिक प्रक्रिया बहाल करने के लिए जमीन तैयार

Jammu and Kashmir: जम्मू कश्मीर में गृह मंत्री अमित शाह का 3 दिवसीय दौरा ऐतिहासिक रहा है. इस दौरान शाह ने बारामुला में बड़ी रैली की, जो कि कभी आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्र था. शाह को सुनने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ पहुंची थी. यह बारामुला में किसी भी कैबिनेट मंत्री की 35 साल में पहली रैली थी. यह भी खास रहा कि अमित शाह की रैली में ‘भारत माता की जय’ के नारे लगातार लगते रहे,  जबकि इससे पहले इस नारे को सुनना एक तरह से नामुमकिन ही था.

अमित शाह की रैली में बड़ी संख्या में महिलाएं भी आई थी.  जब शाह ने गैस सिलिंडर की बात की तो सबसे ज्यादा तालियां इसी पर बजीं. अब वहां उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 2 सिलिंडर दिए जा रहे है.  एक सिलेंडर राज्य प्रशासन अपनी तरफ से दे रहा है. ठंड में लकड़ियों की व्यवस्था करना काफी मुश्किल होता है, इसलिए 2 सिलिंडर महिलाओं के लिए एक तरह से वरदान ही साबित हो रहा है.

आतंकवाद के खिलाफ सख्त निर्देश
अमित शाह ने राज्य में सुरक्षा हालात की भी समीक्षा की. गृहमंत्री ने सख्त निर्देश दिया कि आतंकवाद, आतंकवादियों और उसके समर्थकों के तंत्र को जड़ से ख़त्म किया जाए.  वहीं आतंकवादियों के हाथों शहीद हुए पुलिसकर्मी की कब्र पर श्रद्धांजलि देने के लिए अमित शाह 1200 फीट चढ़ कर गए.

बीजेपी के लिए रणनीति की तय
इतना ही नहीं दौरे के दौरान शाह जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की रणनीति का ताना-बाना भी बुनकर आ गए. बीजेपी जम्मू कश्मीर में पूरी ताक़त से चुनाव लड़ेगी.  पार्टी नेताओं को जनता के बीच जाने और केंद्र की योजनाओं से प्रदेश लाभान्वित होने वाले लाभार्थियों तक सीधे पहुंच बनाने का निर्देश भी दिया गया है.

सूत्रों के अनुसार प्रदेश में वैसे तो बीजेपी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, लेकिन कुछ छोटी पार्टियों से गठबंधन हो सकता है. हालांकि यह तय है कि केवल उन्हीं पार्टियों से गठबंधन होगा, जिनका हुर्रियत से कोई रिश्ता नहीं है.  वैसे भी धारा 370 हटने के बाद से अब जम्मू कश्मीर में राजनीति प्रक्रिया बहाल करने के लिए जमीन तैयार है.

मतदाता सूची तैयार करने का काम
राज्य में मतदाता सूची को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. इसके अगले एक महीने में पूरी होने की संभावना है.  प्रदेश में 4 श्रेणियों में मतदाताओं की संख्या बढ़ी है. इस बार- पश्चिमी पाकिस्तान से आने वाले 1 लाख 46 हज़ार मतदाता, जम्मू कश्मीर से देश भर में जाकर बसे 4 लाख 44 हज़ार मतदाता, पीओके से आए 1 लाख 86 हज़ार मतदाता और और जम्मू कश्मीर में पंद्रह वर्ष से रह रहे लोग वोटर्स में शामिल हैं.

ये ऐसे मतदाता हैं जो लोकसभा में तो मताधिकार का प्रयोग करते थे लेकिन प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनको वोटिंग करने का अधिकार नहीं था, अब उनको भी जोड़ा गया है. चुनाव आयोग विस्तार से ऐसे सभी वाज़िब मतदाताओं को लेकर मतदाता सूची की छानबीन कर रहा है.  इन सभी मतदाताओं की पड़ताल डिप्टी कलेक्टरों की निगरानी में हो रही है.

सूत्रों के अनुसार पहले की परिसीमन व्यवस्था में कई ख़ामियां थीं. एक चुनाव क्षेत्र से कई किलोमीटर दूर 6 गांवों को सिर्फ़ इसलिए उस क्षेत्र में शामिल किया गया क्योंकि इन गांवों का रिश्ता शेख़ अब्दुल्ला से था.  सूत्रों के अनुसार ठंड में चुनाव होने की संभावना नहीं है.  ऐसे में जम्मू कश्मीर में अगले साल ही चुनाव होने की ज्यादा उम्मीद है.

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