Jammu-Kashmir के DDC चुनाव में अपने ही गढ़ गंदेरबल में कमजोर पड़ रही है National conference
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Jammu-Kashmir के DDC चुनाव में अपने ही गढ़ गंदेरबल में कमजोर पड़ रही है National conference

Jammu-Kashmir में चल रहे DDC के चुनावों के तीसरे चरण में मतदान जारी हैं. National conference पार्टी जहां अपने ही गढ़ गंदेरबल में कमजोर दिखाई पड़ रही है वहीं BJP और 6 साल पुरानी Apni Party इस बार कांटे की टक्कर दे सकती हैं. 

Jammu-Kashmir के DDC चुनाव में अपने ही गढ़ गंदेरबल में कमजोर पड़ रही है National conference

कश्मीर:  जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में चल रहे डीडीसी DDC के चुनावों में इस बार नैशनल कॉन्फ्रेन्स National Conference कमजोर पड़ती नजर आ रही है.  दादा से लेकर पोते तक जिस चुनावी छेत्र 'गंदेरबल' (Ganderbal) से नैशनल कॉन्फ्रेन्स (National Conference) के तीन मुख्यमंत्री जम्मू कश्मीर ने देखे आज वहाँ भाजपा (BJP) कमल खिलने का दावा कर रही है तो वहीं अपनी पार्टी  (Apni party) मानती है कि यहां उनका बल्ला छक्का मारेगा.

  1. जम्मू-कश्मीर में DDC चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग जारी
  2.  DDC चुनाव में गंदेरबल (Ganderbal) अहम
  3. भाजपा और अपनी पार्टी दे रहे हैं कांटे की टक्कर 

क्यों अहम है गंदेरबल(Ganderbal )?

गंदेरबल वो जगह है जिसे नैशनल कॉन्फ़्रेन्स ख़ास कर अब्दुल्ला परिवार का राजनीतिक घर माना जाता है। 1975 में जब इंद्रा शेख़ अकॉर्ड हुआ था तो नैशनल कॉन्फ़्रेन्स (National Conference) बनाने वाले शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला ने गंदेरबल (Ganderbal)से ही चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी. तब से नैशनल कॉन्फ़्रेन्स और गंदेरबल का रिश्ता कायम है. पहले दादा शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला फिर बेटे फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) और फिर पोते ऊमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने गंदेरबल से चुनाव लड़े और एक बार को छोड़ कर हर बार जीत दर्ज की. अब भले ही चुनाव बड़ी कुर्सी के लिए ना हो रहे हो मगर लोगों को मज़बूत करने के लिए हो रहे डीडीसी चुनावों में अब्दुल्ला परिवार की हवा में कुछ बदलाव दिख रहा है। डीडीसी चुनावों को लेकर इस दल को बाजपा और सात महीने पुरानी 'अपनी पार्टी' ज़ोरदार टक्कर दे रही है. 

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1975 में शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला की चुनावी बागडोर संभालने वाले मोहम्मद सुल्तान शहीन का कहना है कि  नैशनल कॉन्फ़्रेन्स और गंदेरबल का रिश्ता पहले जैसा नही रहा. हम समझते थे शेख़ साहब गंदेरबल के ही है, इसी परिवार से यहाँ के लोग जुड़े रहे. मगर अब लोगों को इन लोगों से बरोसा उठ गया है.

मोहम्मद सुल्तान शहीन कहते है “ एक एसा समय आया अनुच्छेद 370 का 35A हटा लोगों को लगा कि हम 40 साल इनके साथ रहे मगर हम तो बिकते जा रहे थे.  कही कुछ हूआ ही नहीं आप देखें 370 और 35A फिर जाता नहीं एसे लोगों ने उसकी तरफ़ कुछ ध्यान ही नहीं दिया यानी जो भी नेता आया पिछले 70 सालों में उसने हमारे दामन को तार तार किया किसी ने मरहम नहीं लगाया. अब तो कश्मीरी परेशान है जाएं तो कहाँ? मेरे ख़याल में कश्मीर (Kashmir) बदल रहा है . 70 सालों में हमारे नेताओं ने तो हमे धोखा दिया लाखों जाने चली गई आजतीस साल हूवे कोई निकला नहीं जो हम कश्मीरियों के लिए बात करे.

ये भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर में DDC चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग जारी

'अपनी पार्टी' भी दे रही है टक्कर

अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर के अलग-अलग राजनीतिक दालों से मिल कर एक नई पार्टी बनाई.'अपनी पार्टी' का नेतृत्व कर रहे अल्ताफ़ भिखारी जो कभी पीडीपी के दिग्गज नेताओं में गिने जाते थे और बाजपा (BJP) पीडीपी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं कहते हैं कि नैशनल कॉन्फ़्रेन्स और पीडीपी जब सरकार चला रही थी तब अनुच्छेद 370 को बचा नहीं सके तो आज केसे वापिस लाएंगे? अपनी पार्टी का कहना है कि अगर कोई रास्ता है तो हमे बताए हम भी गठबंधन में जुड़ जाएगे मगर यह लोग अपनी कमज़ोरियाँ छुपाने के लिए एक दूसरे की पीठ थाप थापाते है। 

भाजपा (BJP) को जीत का पूरा भरोसा

अपनी पार्टी के साथ साथ बाजपा (BJP) भी दावा करती है कि वह इस बार अब्दुल्ला परिवार की राजनीतिक घर में कमल को खिला कर ही धाम लेंगे। बाजपा एक बड़ा खाता खोलेगी गंदेरबल (Ganderbal) में यह उनका दावा है। बीजेपी नेता आरिफ़ राजा का कहना है कि हम ये मानके चल रहे हैं हम गंदेरबल से बड़ी जीत दर्ज करेंगे.गंदेरबल के एक गावों में रहने वाले फ़याज़ अहमद का कहना है कि यह बदलाव विकास और रोज़गार के लिए है.  हमें उम्मीद है कि इस बार विकास होगा.  वो जमाना और था जब केवल बुज़र्ग ही चुनावी सभाओं में आते थे आज युवा भी इसमें शामिल हो रहे हैं.

बता दें कि कश्मीर (Kashmir) में डीडीसी चुनावों के दो चरण के मतदान हो चुके हैं और तीसरे चरण के मतदान जारी हैं. आज जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) में डीडीसी चुनावों के तीसरे चरण में 33 ब्लॉक में चुनाव होने है. इसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम  किए गए है। पहले दो चरणों के मतदान शांतिपूर्वक हुए और जिसमें लगभग 50% मतदान दर्ज हुआ. 

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