Jammu Kashmir UID: जम्मू-कश्मीर में डिजिटल इंडिया का सपना साकार होता दिख रहा है. दो दर्जन सरकारी सेवाओं को डिजिटल करने के बाद अब जम्मू-कश्मीर के हर घर को unique identification UID मिलेगी. यह डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है.
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Jammu Kashmir UID: जम्मू-कश्मीर में डिजिटल इंडिया का सपना साकार होता दिख रहा है. दो दर्जन सरकारी सेवाओं को डिजिटल करने के बाद अब जम्मू-कश्मीर के हर घर को unique identification UID मिलेगी. यह डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है. जहां संपत्ति के विवरण, जैसे संपत्ति की प्रकृति, संपत्ति के आयाम और स्थान सहित निवासियों के सभी जानकारी दर्ज रहेगी. हालांकि श्रीनगर शहर के स्थानीय लोग आशंकित हैं कि यह घाटी में संपत्ति कर लागू करने की दिशा में पहला कदम है.
सरकार का कहना है कि इससे उन्हें हर घर का डेटा, उनका पता, परिवार के सदस्यों की संख्या, उनके बिजली और पानी के बिल के साथ-साथ अन्य आवश्यक जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी.
जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव अरुण कुमार मेहता ने कहा, “पहले, जब आप किसी सरकारी कार्यालय में जाते थे तो आपको अपनी सारी जानकारी देनी होती थी और इसमें घंटों लग जाते थे. डिजिटल समय में इसकी कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए, हमें दफ्तरों में कोई झंझट नहीं चाहिए, सब कुछ ऑनलाइन किया जा सकता है. हम केंद्र शासित प्रदेश में प्रदान की जाने वाली ऑनलाइन सेवाओं की संख्या में नंबर एक हैं.
उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक होने की जरूरत है कि उन्हें कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है, बल्कि सभी सेवाएं ऑनलाइन प्रदान की जाएंगी. इससे स्थानीय लोगों को काफी फायदा होगा. विचार यह है कि स्थानीय लोगों को काम के लिए हमारे पास आने की जरूरत नहीं है, जबकि सरकार उनके पास जाएगी.
यूनिक आईडी न केवल घरों को बल्कि व्यावसायिक इमारतों, सड़कों और हेरिटेज स्थलों को भी प्रदान की जाएगी. श्रीनगर नगर पालिका आयुक्त अथर आमिर ने कहा कि श्रीनगर के अधिकार क्षेत्र में आने वाले शहर के प्रत्येक घर को एक unique आईडी नंबर दिया जाएगा, जो किसी भी व्यक्ति की जानकारी जुटाने में मदद करेगा. इसका संपत्ति कर से कोई लेना-देना नहीं है. वह एक अलग मुद्दा है.
श्रीनगर नगर पालिका आयुक्त अतहर आमिर ने कहा, “हमने 2 लाख 30 हजार से अधिक परिसरों का सर्वे किया है. हमने जांच की है कि संपत्तियां आवासीय हैं या कमर्शियल. जल निकासी, पानी व बिजली व्यवस्था की जांच की गयी है. हमने सड़कों पर नंबर लगा दिए हैं. यह शहर की डिजिटल प्लानिंग है. अब हम हर घर के बाहर एक मेटल बोर्ड लगाएंगे और उस पर एक क्यूआर कोड होगा, इससे योजना बनाने की बेहतर व्यवस्था बनेगी. टैक्स एक अलग हिस्सा है, यह सेवाओं में सुधार का एक आधुनिक तरीका है.”
पिछले साल जब जम्मू-कश्मीर की यूटी सरकार ने शहरी क्षेत्रों में संपत्ति कर लगाने की घोषणा की, तो अधिकांश राजनीतिक दलों, नागरिक समाज और अन्य ट्रेड यूनियनों ने इसका विरोध किया. स्थिति खराब होने की आशंका को देखते हुए यूटी प्रशासन ने फैसला रोक दिया. अब जब सरकार ने यूआईडी प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और श्रीनगर के घरों के सभी विवरण दर्ज कर रही है, तो संपत्ति कर का मुद्दा फिर से उठता दिख रहा है. श्रीनगर निवासियों को "विशिष्ट पहचान संख्या" (यूआईडी) जारी करने के कदम की क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने भी आलोचना की है.