Jharkhand Political Crisis: झारखंड में कई दिनों से चल रही सियासी उठापटक आज बुधवार की रात लगभग समाप्त हो गई है. यह तय हो गया है कि हेमंत सोरेन अब सीएम की कुर्सी से दूर ही रहेंगे. उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा भी दे दिया है.
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Jharkhand Political Crisis: झारखंड में कई दिनों से चल रही सियासी उठापटक आज बुधवार की रात लगभग समाप्त हो गई है. यह तय हो गया है कि हेमंत सोरेन अब सीएम की कुर्सी से दूर ही रहेंगे. उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा भी दे दिया है. विधायकों ने अपना नया नेता चंपई सोरेन को चुन भी लिया है. झारखंड में सियासी भूचाल का एपिक सेंटर दिल्ली में था. क्योंकि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का मुख्यालय दिल्ली में ही है. हेमंत सोरेन पिछले कई महीनों से ED के रडार पर थे. ED ने हेमंत की गिरफ्तारी तक उनका पीछा नहीं छोड़ा. आइये जानते हैं झारखंड में हेमंत सोरेन के बुरे दिन कैसे शुरू हुए और उन्हें सीएम की कुर्सी क्यों छोड़नी पड़ी.
तय थी हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी
पहले बात करते हैं हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को लेकर. क्यों उनका अरेस्ट होना तय माना जा रहा था. हेमंत सोरने पर ईडी ने भूमि धोखाधड़ी मामले में कई आरोप लगाए हैं. सूत्रों की मानें तो ईडी ने कम से कम तीन मनी लॉन्ड्रिंग मामलों की अपनी जांच में हेमंत सोरेन के खिलाफ ठोस सबूत जुटाए. ईडी की कार्रवाई में हेमंत सोरेन को राज्य में लैंड स्कैम, अवैध खनन और कोयला खनन में संलिप्त पाया गया. ईडी की जांच में मिले सबूत सोरेन की गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त थे. जिसका नतीजा है कि सोरेन अब ईडी की गिरफ्त में हैं.
ईडी के पास पर्याप्त सबूत
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किए गए बयानों में कथित तौर पर उन लोगों को शामिल किया गया है जिन्होंने सोरेन और उनके करीबी लोगों का नाम लिया. जिनमें राज्य के बड़े पदों पर बैठे अधिकारी भी शामिल हैं. सूत्रों की मानें तो ईडी के पास सोरेन को अपराध की कमाई से खरीदी गई बेनामी संपत्तियों से जोड़ने के दस्तावेजी सबूत भी हैं.
कानूनी विकल्प तलाशने लगे थे हेमंत सोरेन
ईडी सूत्रों के मुताबिक सारे सबूत जुटाने के बाद सोरेन को पूछताछ के लिए समन भेजने की प्रक्रिया शुरू हुई. सोरेन पहले ही नौ समन छोड़ चुके थे और उन्हें 27 जनवरी को 10वां समन जारी किया गया था. वह 31 जनवरी को रांची में अपने आधिकारिक आवास पर पूछताछ के लिए ईडी के सामने पेश होने के लिए सहमत हुए. ईडी ने पहली बार 20 जनवरी को सोरेन का बयान दर्ज किया था. सूत्रों ने बताया कि ईडी की सख्ती के बाद हेमंत सोरेन कानूनी विकल्प तलाशने लगे थे. आज बुधवार 31 जनवरी को हेमंत सोरेन से ईडी ने 7 घंटे पूछताछ की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया. हेमंत सोरेन ने ईडी की गिरफ्तारी के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है.
चंपई सोरेन होंगे अगले मुख्यमंत्री?
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद झारखंड सरकार की कमान पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया है. हालांकि झामुमो विधायकों ने चंपई सोरेन को विधायक दल का नया नेता चुन लिया है. चंपई सोरेन ने सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया है. लेकिन झारखंड के राज्यपाल ने अभी चंपई सोरेन से मुलाकात की नहीं की है. चर्चा यह भी है कि झारखंड में भाजपा भी सियासी गणित हल करने में लगी है. लेकिन विधायकों के संख्याबल की बात करें तो महागठबंधन अभी मजबूती के साथ डटी हुई है. झारखंड के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने बुधवार को कहा कि उन्होंने 47 विधायकों के समर्थन से झारखंड में नयी सरकार बनाने का दावा पेश किया है.
सोरेन परिवार में कलह
लेकिन झारखंड में अभी और सियासी उलटफेर देखने को मिल सकता है. क्योंकि मुख्यमंत्री पद को लेकर हेमंत सोरेन के परिवार में ही कलह देखने को मिल रहा है. शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता ने हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री बनाने का विरोध किया था. सीता ने खुले तौर पर कहा कि वह कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी कदम का विरोध करेंगी. कल्पना सोरेन को झामुमो विधायक दल का नेता बनाने की खबरों ने जोर पकड़ था. जिसके बाद शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता का बयान सामने आया था.
झारखंड की राजनीति में कुछ भी हो सकता है
मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास पर जब गठबंधन के विधायकों की बैठक हुई तो उसमें कल्पना सोरेन भी मौजूद थीं. जामा की विधायक सीता ने तब कहा था कि मैं पूछना चाहती हूं कि केवल कल्पना सोरेन ही क्यों, जो विधायक भी नहीं हैं और उनके पास कोई राजनीतिक अनुभव भी नहीं है. उन्होंने सवाल उठाया कि किस परिस्थिति में उनका (कल्पना का) नाम अगले मुख्यमंत्री के तौर पर लिया जा रहा है, जबकि पार्टी में इतने सारे वरिष्ठ नेता हैं. कल्पना के नाम पर परिवार में ही कलह के बाद आज बुधवार की रात चंपई सोरेन का नाम आगे किया गया. लेकिन अब भी संशय है कि झारखंड में झामुमो और महागठबंधन स्थिर सरकार बनाए रख पाएंगे या नहीं.