I Am Sorry! इतना कहकर ओपन कोर्ट में जज ने दिया इस्तीफा, जानिए क्या है पूरा मामला?
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I Am Sorry! इतना कहकर ओपन कोर्ट में जज ने दिया इस्तीफा, जानिए क्या है पूरा मामला?

Justice Rohit Dev News: बॉम्बे हाईकोर्ट के एक जज ने ओपन कोर्ट में अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. इस्तीफा देते हुए जज ने कहा कि कुछ भी हो वह अपने आत्मसम्मान से कभी कोई समझौता नहीं करेंगे. अदालत में मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी वकील ने यह जानकारी दी.

फाइल फोटो

Judge resigns In Opne Court: देशभर की जनता अपने मसलों का निपटारा करने के लिए जिस कोर्ट के दहलीज पर जाती है, वहीं से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बॉम्बे हाई कोर्ट में के जज जस्टिस रोहित देव ने शुक्रवार को ओपन कोर्ट में अपना इस्तीफा दे दिया. बताया जा रहा है कि जस्टिस रोहित देव ने निजी कारणों के चलते इस्तीफा दिया है. आपको बता दें कि महाराष्ट्र के नागपुर में बॉम्बे हाईकोर्ट की एक पीठ है. जस्टिस रोहित देव ने यहीं अपने इस्तीफे का ऐलान किया.

जस्टिस रोहित देव ने दिया इस्तीफा

जस्टिस रोहित देव ने जब अपने इस्तीफे का ऐलान किया तब वहां मौजूद एक वकील ने कोर्ट रूम का ब्यौरा देते हुए बताया कि न्यायमूर्ति देव ने यह कहते हुए रिजाइन दे दिया कि वह अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकते हैं. इसके बाद जस्टिस रोहित देव के पास पड़े सभी मामलों को खारिज कर दिया गया. न्यायमूर्ति देव ने कहा कि जो लोग अदालत में मौजूद हैं, मैं उनसे माफी मांगता हूं. मैंने आपको डांट लगाई क्योंकि मैं चाहता हूं कि आप सुधर जाओ. मैं किसी को भी ठेस नहीं पहुंचाना चाहता क्योंकि आप सभी मेरे परिवार की तरह हैं. इसके आगे जस्टिस रोहित देव ने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए दुख हो रहा है कि मैंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है क्योंकि मैं अपने स्वाभिमान के खिलाफ नहीं जा सकता.

निजी कारणों से पद छोड़ा

इस्तीफा देने के बाद जस्टिस रोहित देव ने पत्रकारों से बात की. उन्होंने कहा कि मैंने निजी कारणों से पद छोड़ा है. उन्होंने आगे बताया कि वो अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को भेज चुके हैं. आपको बता दें कि न्यायमूर्ति देव को जून 2017 में बॉम्बे उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया था और दिसंबर 2025 में उनका कार्यकाल खत्म होने वाला था. गौरतलब है कि कथित माओवादी लिंक का मामला जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा का नाम शामिल था और उन्हें उम्र कैद कि सजा दी गई थी. न्यायमूर्ति देव ने उनकी सजा को रद्द कर दिया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया था और हाईकोर्ट को फिर से केस की सुनवाई करने का आदेश दिया था.

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