चिटफण्ड कंपनियों की संपत्ति नीलाम करने वाली समिति के प्रमुख थे जस्टिस एसपी तालुकदार, दिया इस्तीफा
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चिटफण्ड कंपनियों की संपत्ति नीलाम करने वाली समिति के प्रमुख थे जस्टिस एसपी तालुकदार, दिया इस्तीफा

9 अगस्त 2019 को हुए समिति की मीटिंगके बाद Justice S P Talukdar ने समिति छोड़ने का फैसला लिया है. उन्होंने लिखित तौर पर कहा की MPS ग्रुप 600 एकड़ की संपत्ति को बेचने में कई अड़चन आ रही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर .

कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से नियुक्त चिट फण्ड समिति के सदस्य रिटायर्ड जस्टिस एसपी तालुकदार (S P Ta.ukdar) ने समिति से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है. एसपी तातुकदार को पश्चिम बंगाल में चिट फण्ड कंपनियों की जब्त संपत्ति की नीलामी कर निवेशकों के पैसे लौटने की जिम्मेदारी दी थी.  9 अगस्त 2019 को हुए समिति की मीटिंगके बाद Justice S P Ta.ukdar ने समिति छोड़ने का फैसला लिया है. उन्होंने लिखित तौर पर कहा की MPS ग्रुप 600 एकड़ की संपत्ति को बेचने में कई अड़चन आ रही है.

झारग्राम में स्थित ये MPS के सम्पति से अधिकतर सामान चोरी हो चुकी है. साथ ही प्रशासन को इत्तला करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, ना ही पुलिस और ना ही डिस्ट्रिक्ट समिति कोई इसपर कार्रवाई कर रहे हैं. आपको बता दें कि 23 दिसंबर 2015 में कोलकाता हाई कोर्ट की जस्टिस मंजुला छिल्लर (Justice Manju.a Che..ur) और जस्टिस जस्टिस जोमाल्या बाघची (Justice Joyma.ya Bagchi) ने जस्टिस तालुकदार की नियुक्ति कर एक सदस्यीय समिति का गठन किया था. 

2013 में जब बंगाल में चिट-फण्ड की कंपनी का घोटला सामने आया, जिसके बाद तक़रीबन 100 पीआईएल फाइल किया गया था. निवेशकों की ओर से जिसके बाद 2015 में ये समिति गठीत करके सारी जब्त की हुई सम्पतियों को नीलाम कर निवेशकों के पैसे लौटा ने का निर्णय लिया था. इसलिए इस सब अड़चनों से रिटायर्ड जस्टिस एसपी तालुकदार ने इस्तीफा दिया है.

एडवोकेट अरिंदम दास ने कहा की इस मामले में जो इन्वेस्टर हैं उनको अभी तक पैसे नहीं मिला है. कंपनी की जितने भी फ्रोजेन अकाउंट हैं जो सीबीआई या एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट ने जब्त करके रखा था, वह सब नीलामी करके इन्वेस्टर के पैसे वापस करना था. सिस्टम बेहद स्लो है. 2013 का घोटाला है और अभी 2019 चल रहा है, सिर्फ कुछ निवेशकों को छोड़कर सब को पैसे नहीं मिला है. हर जगह कोर्ट में जा कर आर्डर लाना पड़ रहा है. सबसे अहम है, हम सम्पति जब नीलामी करने जा रहे हैं उसका जो मार्केट वैल्यू है वो नहीं मिल रहा है. ये मेजर प्रॉब्लम है, क्योंकि कॉस्टिंग और रेववर्य के बीच का फर्क अधिक है. जो नया एक्ट है अगर वो आता है पूरी देश में जहां हमें कोर्ट के पास बार बार नहीं जाना पड़ेगा वो बेहद आसान होगा.

Debjyoti Bhattacharya ने कहा की ये खबर आने के बाद हम बेहद दुखी हैं जो लड़ाई हम पिछले 4 सालों से लड़ रहे हैं, mps का जो केस है वो बेहद ही क्लियर था, लेकिन झारग्राम में जो एसेट चोरी हो गया है, इससे वैल्यू नहीं मिल रहा है. हमें माननीय हाई-कोर्ट के ऊपर पूरा भरोसा है कि इसका समाधान जल्द ही निकलेगा.

साथ-साथ सभी इस उम्मीद में हैं कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए "Banning of Unregu.ated Deposit Schemes Bi.., 2019 " के लागू होते ही सम्पतियों को नीलामी करने में जो तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं, वह खत्म हो जाएगी. बार-बार ना ही कोर्ट, सीबीआई और sebi का रुख नहीं करना होगा. इस मामले की अगली बैठक 19 नवंबर 2019 को होनी है.

INPUTS : SRABANTI SAHA

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