बिहार चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाया तो हाईकमान के समर्थक कई नेता उनके खुलकर मैदान में उतर गए हैं.
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नई दिल्ली: बिहार विधान सभा चुनाव (Bihar Election) और अन्य राज्यों के उपचुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस में कलह बढ़ती जा रही है. एक तरफ सहयोगी दलों के साथ-साथ कांग्रेस के अंदर से शीर्ष नेतृत्व से सवाल पूछे जा रहे हैं तो दूसरी तरफ सवाल पूछने वाले कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) के खिलाफ हाईकमान के समर्थक नेता खुलकर मैदान में उतर गए हैं और उनको पार्टी छोड़ने की सलाह दे रहे हैं.
कपिल सिब्बल ने उठाए शीर्ष नेतृत्व पर सवाल
बिहार में हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) खुलकर शीर्ष नेतृत्व के सामने आ गए. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'बिहार के चुनावों और दूसरे राज्यों के उप-चुनावों में कांग्रेस की प्रदर्शन पर अब तक शीर्ष नेतृत्व की राय तक सामने नहीं आई है. शायद उन्हें सब ठीक लग रहा है और इसे सामान्य घटना माना जा रहा है. पार्टी ने शायद हर चुनाव हारने को नियति मान लिया है.' उन्होंने आगे कहा, 'पार्टी ने 6 सालों में आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे कर सकते हैं? हमें कमजोरियां पता हैं, संगठन के स्तर पर समस्या की भी समझ है और शायद समाधान भी पता है, लेकिन इसे अपनाना नहीं चाहते. अगर यही हाल रहा तो पार्टी को आगे और भी नुकसान होता रहेगा.'
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कपिल सिब्बल पर पलटवार शुरू
अब कांग्रेस के अंदर परिवार की गलतियों पर सवाल उठाने वालों पर पलटवार भी शुरू हो गया है. पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने सिब्बल के बयान की निंदा की और इसके बाद सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) ने लंबा-चौड़ा फेसबुक पोस्ट लिखकर उन्हें 'डाउटिंग थॉमस' यानि आदतन संदेह करने वाला व्यक्ति करार दिया, जिनकी बेचैनी रह-रहकर उभर जाती हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने सिब्बल को पार्टी छोड़ने तक की सलाह दे दी है. इसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा कि बिना कुछ किए बोलने का मतलब आत्मनिरीक्षण नहीं है.
सलमान खुर्शीद ने फेसबुक कही अपनी बात
सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की शायरी से फेसबुक पोस्ट की शुरुआत करते हुए उन्होंने लिखा, 'न थी हाल की जब हमें खबर, रहे देखते औरों के ऐबो हुनर, पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नजर, तो निगाह में कोई बुरा न रहा...। बहादुर शाह जफर और उनके ये शब्द हमारे पार्टी के उन कई सहयोगियों के लिए सार्थक उपमा की तरह हो सकते हैं जो समय-समय पर बेचैनी से घिर जाते हैं. 'पार्टी में रहकर नुकसान पहुंचाने वाले खुद बाहर हो जाएं, यही सबसे अच्छा है.'
'कुछ किए बिना बोलना, आत्मनिरीक्षण नहीं'
अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'कपिल सिब्बल इस बारे में पहले भी बात कर चुके हैं. वह कांग्रेस पार्टी और आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता के बारे में बहुत चिंतित हैं, लेकिन हमने बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या गुजरात में चुनावों में उनका चेहरा नहीं देखा. अगर कपिल सिब्बल बिहार और मध्य प्रदेश में जाते, तो वह साबित कर सकते थे कि वह जो कह रहे हैं वह सही है और इससे उन्होंने कांग्रेस की स्थिति मजबूत की है. मेरी बात से कुछ हासिल नहीं होगा. कुछ भी किए बिना बोलने का मतलब आत्मनिरीक्षण नहीं है.'
आंतरिक मुद्दे को मीडिया में नहीं लाना चाहिए: गहलोत
इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री को पार्टी के 'आंतरिक मुद्दे' का मीडिया में उल्लेख नहीं करना चाहिए था. इससे देशभर में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है.