भाजपा ने कहा कि रिलायंस की तरफ से सिब्बल के पेश होने से कांग्रेस का पर्दाफाश हो गया है.
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नई दिल्ली: भाजपा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के अनिल अंबानी समूह के साथ “करीबी रिश्ते”हैं और विपक्षी पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का कई मामलों में उद्योगपति के समूह का ‘‘पक्ष लेना’’पार्टी का पर्दाफाश करता है. भाजपा की ओर से यह हमला तब किया गया है जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक सुनवाई में रिलायंस की तरफ से पेश हुए.
यह सुनवाई एरिक्सन इंडिया द्वारा रिलायंस कम्युनिकेशन्स लिमिटेड (आरकॉम) के चेयरमैन अनिल अंबानी एवं अन्य के खिलाफ दायर अवमानना से जुड़ी थी. एरिक्सन इंडिया ने यह मामला 550 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान नहीं करने को लेकर दायर किया है. दरअसल कांग्रेस राफेल मुद्दे पर सरकार को लगातार घेर रही है. उसका आरोप है कि राफेल डील से अनिल अंबानी को लाभ मिला. कपिल सिब्बल ने भी ट्वीट कर मंगलवार सुबह पहले इस मसले पर अनिल अंबानी को घेरा लेकिन उसके बाद उसी दिन एरिक्सन मामले में अंबानी की तरफ से पेश हुए.
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बीजेपी का हमला
भाजपा प्रवक्ता जीवी एल नरसिम्हा राव ने सिब्बल द्वारा अंबानी की आलोचना करने और अदालत में रिलायंस की ओर से पेश होने के लिए कांग्रेस पर हमला बोला और कहा, ‘‘राहुल गांधी और कांग्रेस दुष्प्रचार में लिप्त हैं क्योंकि कंपनी (अनिल अंबानी समूह) जिसके बारे में उनका आरोप है कि उसे यहां (राफेल सौदे में) लाभ हुआ, उसे इस सरकार में कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि उसे तब अनुचित लाभ हुआ जब कांग्रेस सत्ता में थी.’’
It seems Airbus , French Government , Anil Ambani all knew that the PM will sign an MOU on his visit to France between 9th and 11th April , 2015 .
This Government’s lies exposed. pic.twitter.com/rJGNNycaRH
— Kapil Sibal (@KapilSibal) February 12, 2019
कांग्रेस-भाजपा के बीच जुबानी जंग तीखी हुई
इस बीच राफेल मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा के बीच जारी वाकयुद्ध का स्तर मंगलवार को और नीचे चला गया जब राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर "देशद्रोह" और अनिल अंबानी के बिचौलिये के रूप में काम करने का आरोप लगाया. इस पर पलटवार करते हुए सत्तारूढ़ दल ने दावा किया कि उन्होंने विदेशी कंपनियों के लिए ‘‘लॉबीस्ट’’ के तौर पर काम किया.
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भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने पलटवार करते हुए कहा कि गांधी परिवार का देश को "लूटने" का इतिहास रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह ‘‘बेशर्मी और गैरजिम्मेदारी की पराकाष्ठा’’ है कि कांग्रेस अध्यक्ष "ईमानदार" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर "कीचड़" उछाल रहे हैं. मोदी पर ताजा हमला बोलते हुए गांधी ने 28 मार्च, 2015 को एयरबस के कार्यकारी निकोलस कैमस्की द्वारा कथित तौर पर लिखा गया ईमेल मीडिया में जारी किया. सब्जेक्ट में "अंबानी" लिखे इस ईमेल को तीन लोगों को भेजा गया था.
ईमेल का संदर्भ देते हुए गांधी ने दावा किया कि 2015 में मोदी के दौरे के दौरान भारत और फ्रांस द्वारा की गयी राफेल सौदे की घोषणा से पहले ही अंबानी को इसकी जानकारी थी. उन्होंने कहा कि यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि मोदी को इस काम के लिए "जेल भेजना" चाहिए.
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राहुल गांधी को "झूठ की मशीन" करार देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ईमेल हेलीकॉप्टर सौदे से संदर्भित है न कि राफेल खरीद से. उन्होंने एयरबस को भी कटघरे में खड़े करते हुए कहा कि यूरोपीय विमान निर्माता कंपनी पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार में हुए सौदों को लेकर संदेह के घेरे में है. गांधी के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए अंबानी के रिलायंस डिफेंस ने कहा कि ईमेल में उल्लेखित "प्रस्तावित एमओयू" का जिक्र एयरबस हेलीकाप्टर से उसके सहयोग को लेकर किया गया है, इसका लड़ाकू विमान सौदे से "कोई लेना-देना" नहीं है.
एयरबस पर प्रसाद द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर इसके प्रवक्ता ने कहा "हम जांच से जुड़े मामलों को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करते. हमने अतीत में भारतीय अधिकारियों के साथ सहयोग किया है और आगे भी करते रहेंगे." प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान गांधी ने दावा किया कि ईमेल से साफ है कि अंबानी फ्रांस के तत्कालीन रक्षामंत्री ज्यां-यवेस ले ड्रियन के दफ्तर गये थे और वहां तैयार हो रहे सहमति पत्र का जिक्र किया जिस पर प्रधानमंत्री की यात्रा (फ्रांस की) के दौरान हस्ताक्षर होने वाले थे.
कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा कि किस तरह अंबानी को इस सौदे का पता चला और उन्होंने इसका उल्लेख फ्रांस के रक्षा मंत्री के दफ्तर में किया जबकि तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर और तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को भी इसके बारे में जानकारी नहीं थी.
गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि "यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंन है... यह देशद्रोह है और जासूस ऐसा ही करते हैं. प्रधानमंत्री एकमात्र व्यक्ति थे जिन्हें सौदे की जानकारी थी और उन्होंने इस बारे में अनिल अंबानी को बताया. प्रधानमंत्री अनिल अंबानी के बिचौलिये की तरह काम कर रहे हैं." उन्होंने इस मामले की आपराधिक जांच की मांग की.
प्रसाद ने पलटवार करते हुए कहा, "राहुल गांधी को यह बताना चाहिए कि उन्हें एयरबस का यह आंतरिक मेल कैसे मिला. उन्हें कौन यह भेज रहा है....‘इससे बड़ी और कोई बात नहीं सामने आ सकती कि वह विदेशी कंपनी के लाबीस्ट के तौर पर काम कर रहे हैं." प्रसाद ने कहा कि गांधी परिवार से आने वाले पूर्व प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल के दौरान हुए कई संदेहास्पद रक्षा सौदों को लेकर भाजपा के उनके साथ गंभीर मतभेद हैं, लेकिन उन पर कभी देशद्रोह का आरोप नहीं लगाया गया.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, उन्होंने (राहुल गांधी ने) हमारे ईमानदार प्रधानमंत्री पर आरोप लगाकर स्वयं पर कीचड़ उछाली है. हम जनता के सामने उनके झूठ का पर्दाफाश करेंगे.
कांग्रेस अध्यक्ष ने राफेल पर कैग रिपोर्ट को भी खारिज करते हुए ‘‘‘चौकीदार ऑडिटर जनरल’ रिपोर्ट करार दिया. प्रसाद ने कहा कि संस्थानों का रुख उसके अनुरूप नहीं रहने पर उन्हें निशाना बनाना कांग्रेस की प्रवृत्ति रही है. एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने विवादित लड़ाकू विमान सौदे को "देश के धन की पूर्वनियोजित लूट" करार दिया.
रिलायंस डिफेंस प्रवक्ता ने कहा, “प्रस्तावित एमओयू पर चर्चा स्पष्ट रूप से एयरबस हेलीकॉप्टर और रिलायंस के बीच सहयोग पर हो रही थी. इसका 36 राफेल विमानों के लिये फ्रांस और भारत के बीच सरकार से सरकार के समझौते का कोई संबंध नहीं है.” उन्होंने कहा, “यह भी दस्तावेजों में दर्ज है कि राफेल विमानों के लिये फ्रांस और भारत के बीच सहमति पत्र पर 25 जनवरी 2016 को दस्तखत हुआ था न कि अप्रैल 2015 में.
(इनपुट: एजेंसी भाषा से भी)