Congress rebel leaders to join BJP: कांग्रेस के राज्य महासचिव बी एस शिवन्ना ने कहा, टिकट न मिलने पर उम्मीदवार निराश हो जाते हैं. बीजेपी के टिकटों का वितरण होने के बाद वहां भी ऐसी चीजें देखने को मिलेंगी. हम इसे शांत करने की कोशिश करेंगे.'
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Elections) अब महीने से भी कम का समय बचा है. 224 सीटों पर होने वाले इस चुनाव के लिए कांग्रेस ने अब तक 166 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. इसी के साथ कांग्रेस के अंदर बगावत भी शुरू हो गई है. हालांकि, पार्टी लगातार बागी नेताओं को समझाने की कोशिश में लगी है. बागियों का आरोप है कि पार्टी ने वादा करके भी टिकट नहीं दिया है. कांग्रेस ने टिकट चाहने वालों से 2 लाख रुपये जमा करवाए हैं और आवेदन शुल्क के रूप में 5,000 रुपये लिए हैं.
एस वी दत्ता बनेंगे कांग्रेस की मुसीबत
7 अप्रैल को कांग्रेस ने 42 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की. इस लिस्ट में एक महत्वपूर्ण नाम गायब दिखा और ये नाम था काडुर सीट के उम्मीदवार वाई एस वी दत्ता. दत्ता ने टिकट पर आश्वासन मिलने के बाद पाला बदल लिया था और जनता दल (सेक्युलर) छोड़कर कांग्रेस में आ गए थे. लेक्चरर से नेता बने दत्ता कभी पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के करीबी सहयोगी थे. दत्ता को पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कांग्रेस में लेकर आए थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस लिस्ट से नाम गायब रहने के बाद दत्ता ने अपने समर्थकों के साथ बैठक की और इस बात का ऐलान किया कि वो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी ताल ठोकेंगे. अब कांग्रेस इसे झटका माने या नहीं माने, लेकिन नेताओं की बगावत पार्टी के भीतर मतभेदों की ओर इशारा करते हैं.
चित्रदुर्ग सीट पर भी बागी
चित्रदुर्ग विधानसभा सीट से टिकट के लिए कांग्रेस नेता और पूर्व एमएलसी रघु अचार, के सी वीरेंद्र और एस के बसवराजन के बीच त्रिकोणीय लड़ाई देखी गई. फिल्म अभिनेता दोड्डन्ना के दामाद वीरेंद्र को टिकट मिलने के बाद अचार ने जेडीएस का दरवाजा खटखटाया है और आलाकमान से नाराजगी जताई है.
उन्होंने कहा, 'सिद्धारमैया ने मुझसे कहा था कि तुम एमएलसी चुनाव मत लड़ो, इसके बदले तुम्हें विधानसभा चुनाव का टिकट देंगे. लेकिन अब उन्होंने टिकट न देकर मेरी पीठ में छुरा घोंपा है.' वहीं, इस सीट पर तीसरे कैंडिडेट बसवराजन ने बागी तेवर अपना लिए हैं. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
कित्तूर और कलाघाटगी सीट पर लग सकता है झटका
कित्तूर सीट से डी बी इनामदार ने अपने बेटे या बहू के लिए टिकट मांगा था, अब वो लक्ष्मी हेब्बलकर के सहयोगी बाबासाहेब पाटिल के खिलाफ काम कर सकते हैं. कलाघाटगी में कांग्रेस का टिकट पूर्व मंत्री संतोष लाड को मिला है, इस वजह से पूर्व एमएलसी नागराज छब्बी ने भाजपा का दामन थाम लिया है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि बीजेपी ने उन्हें टिकट का आश्वासन दिया है या नहीं.
गंगावती सीट से एच आर श्रीनाथ को मिली निराशा
कांग्रेस ने गंगावती सीट से उम्मीदवार के तौर पर पूर्व मंत्री इकबाल अंसारी के नाम की घोषणा की है. हालांकि, पार्टी के इस फैसले से वरिष्ठ नेता एच आर श्रीनाथ को झटका लगा है. उन्होंने कहा, 'मुझसे डी के शिवकुमार ने टिकट का वादा किया था. मुझे नहीं पता कि फिर मुझे क्यों नहीं दिया गया.'
श्रीनाथ ने घोषणा की कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी है, इसके बाद बीजेपी विधायक परन्ना मुनवल्ली और बसवराज दादेसुगुर ने उनके साथ बैठकें कीं. यही नहीं, बीजेपी कोटे से पूर्व में मंत्री रहे कल्याण राज्य प्रगति पार्टी के संस्थापक गली जनार्दन रेड्डी ने भी उनसे मुलाकात की है. हालांकि, श्रीनाथ ने अभी तक अपने अगले कदम का खुलासा नहीं किया है, लेकिन उन्होंने पुष्टि की है कि वह कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं करेंगे.
मलाका रेड्डी भी खाली हाथ, ले सकते हैं बड़ा फैसला
यादगीर में, कांग्रेस ने पूर्व मंत्री ए बी मलाका रेड्डी को दरकिनार कर चिन्नारेड्डी पाटिल को टिकट थमाया है. मलाका रेड्डी अपने या अपनी बेटी के लिए टिकट की उम्मीद कर रहे थे. रेड्डी ने कहा है कि वह अपने समर्थकों से बात करने के बाद फैसला करेंगे कि उनका अगला कदम क्या होगा.
सौरभ चोपड़ा बन सकते हैं रोड़ा
सावदत्ती से विश्वास वसंत वैद्य को कांग्रेस ने टिकट थमाया है. हालांकि, अब उन्हें इस सीट पर नजर गड़ाए सौरभ चोपड़ा के बगावती तेवर का सामना करना पड़ेगा.वहीं, गोकक में, अशोक कदादी को अशोक पुजारी के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है. यहां अशोक पुजारी को उम्मीद थी कि उन्हें टिकट दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कांग्रेस ने बेलूर में राजशेखर को परे रखते हुए बी शिवराम को उम्मीदवार बनाया है.
कांग्रेस के राज्य महासचिव बी एस शिवन्ना ने कहा कि यह काफी स्वाभाविक था कि कुछ लोग टिकट बंटवारे को लेकर नाखुश होंगे. उन्होंने कहा, 'ऐसी स्थिति में कुछ पार्टी के लिए काम करना जारी रखते हैं और कुछ बागी बन जाते हैं. हालांकि, टिकट देने से पहले कांग्रेस ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में सर्वे किया और सिर्फ जीतने की शर्त को ही आगे रखा.'
उन्होंने कहा, 'यह स्वाभाविक है कि टिकट न मिलने पर उम्मीदवार निराश हो जाते हैं. कोई भी दल इस मामले में अपवाद नहीं है. बीजेपी के टिकट का वितरण होने के बाद वहां भी ऐसी चीजें देखने को मिलेंगी. हम इसे शांत करने की कोशिश करेंगे.'
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