'मैटरनिटी लीव ली तो चली गई नौकरी'...संविदा कर्मियों के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें किसे मिलेगा फायदा
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'मैटरनिटी लीव ली तो चली गई नौकरी'...संविदा कर्मियों के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें किसे मिलेगा फायदा

Maternity Leave For Contractual Employees: संविदा, आउटसोर्सिंग, मैन पावर एजेंसी(Manpower Agencies) के माध्यम से नौकरी करने वाली महिलाओं के ‌लिए एक खुशखबरी है. जिसमें मैटरनिटी लीव को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. जानें पूरा मामला.

'मैटरनिटी लीव ली तो चली गई नौकरी'...संविदा कर्मियों के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें किसे मिलेगा फायदा

Maternity Leave: कर्नाटक हाई कोर्ट ने हाल ही में मैटरनिटी लीव लेने के मामले में दायर याचिका पर एक अहम फैसला सुनाया है. न्यायमूर्ति एमजीएस कमल ने इस याचिका में कहा कि राज्य सरकार संविदा, आउटसोर्सिंग मैन पावर एजेंसी(Manpower Agencies) के माध्यम से मिली नौकरी में जॉब करने वाली महिलाओं के मैटरनिटी लीव और अन्य लाभों के संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों की अनदेखी नहीं कर सकती है.

विजयनगर जिले का मामला
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक यह याचिका विजयनगर जिले के हुविनाहादगली तालुक की रहने वाली बलिगर चांदबी ने दायर की थी, उन्हें मैटरनिटी लीव की वजह से नौकरी से निकाल दिया गया था. वह रायथा संपर्क केंद्र में एकाउंटेंट के रूप में नौकरी कर रही थी.

संविदा पर मिली थी नौकरी
चांदबी ने मई 2014 में एक जनशक्ति सेवा एजेंसी स्मार्ट डिटेक्टिव एंड एलाइड सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता किया था और उन्हें हुविनाहादगली के कृषि के सहायक निदेशक द्वारा अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया गया था.

नौकरी से दिया गया निकाल
जब उन्होंने मई 2023 में मैटरनिटी लीव का अनुरोध किया, तो उन्हें शुरू में छुट्टी दे दी गई, लेकिन काम पर लौटने पर उन्हें पता चला कि उनकी जॉब भी खत्म हो गई, उनकी जगह किसी और को उनके हिस्से का काम सौंप दिया गया है. चांदबी के बहुत रिक्वेस्ट के बाद भी उनको नौकरी पर नहीं रखा गया, इसके बाद चांदबी ने मजबूर होकर हाई कोर्ट में का दरवाजा खटखटाया.

राज्य सरकार ने किया विरोध
राज्य सरकार ने चांदबी की याचिका का विरोध किया और अदालत में  तर्क दिया कि चांदबी एक आउटसोर्स कर्मचारी थी और इस मामले में कोई कर्मचारी-नियोक्ता संबंध नहीं था. लेकिन जज इस बाद से सहमति नहीं हुए. न्यायमूर्ति कमल ने कहा क राज्य सरकार कर्मचारियों के मातृत्व अवकाश और अन्य लाभों के संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों की अनदेखी नहीं कर सकती, भले ही वे आउटसोर्सिंग अनुबंधों या जनशक्ति एजेंसियों के माध्यम से नियोजित हों.

हाईकोर्ट ने कहा, आप ऐसे नौकरी से नहीं निकाल सकते
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक कर्मचारी अगर  मैटरनिटी लीव पर है तो आप उसकी जगह किसी और को नहीं बैठा सकते. उसके लिए आपको निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा फिर किसी नियमित रूप से नियुक्त उम्मीदवार से ही उसकी जगह भर्ती कर सकते हैं. अदालत ने कृषि विभाग को निर्देश दिया कि जब तक चांदबी की जगह एक नियमित कर्मचारी की भर्ती नहीं हो जाती, तब तक वह उसकी सेवाएं जारी रखे.

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