Supreme Court on Kathua case: जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा 'उम्र तय करने के लिए कोई दूसरा पुख्ता सबूत न होने पर डॉक्टरों की राय को सही तरीका माना जायेगा. लिहाजा हम निचली अदालत के आदेश को खारिज कर रहे हैं. आरोपी को अपराध के वक्त बालिग मानकर ही केस चलेगा.'
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Kathua rape-murder case: जम्मू (Jammu) के कठुआ में 8 साल की बच्ची की रेप और हत्या (Kathua girl rape murder case) के आरोपी शुभम सांगरा के खिलाफ बालिग के तौर पर ही मुकदमा चलेगा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आरोपी को नाबालिग ठहरा कर उसके खिलाफ मामले को ज्युवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJ Board) को भेजने वाले निचली अदालत और हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है. मामले के छह दोषियों को पठानकोट की विशेष कोर्ट पहले ही सज़ा दे चुकी है. लेकिन शुभम के खिलाफ मुकदमा अभी तक रुका था.
'उम्र निर्धारण में मेडिकल राय अहम'
जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच ने कहा 'उम्र तय करने के लिए कोई दूसरा पुख्ता सबूत न होने पर डॉक्टरों की राय को ही सही तरीका माना जायेगा. लिहाजा हम निचली अदालत के आदेश को खारिज कर रहे है. आरोपी को अपराध के वक्त बालिग मानकर ही मुकदमा चलेगा.'
छह दोषियों को हो चुकी है सजा
कठुआ में जनवरी 2018 में एक आठ साल की बच्ची का अपहरण कर उसके साथ सामुहिक गैगरेप और हत्या की सनसनीखेज वारदात हुई थी. मामले की संजीदगी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केस का ट्रायल पठानकोट भेज दिया था. ट्रायल कोर्ट ने 6 आरोपियों को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने 3 आरोपियों को उम्रकैद की सज़ा मुक़र्रर की थी. वहीं 3 पुलिसकर्मियों को जांच में लापरवाही करने और सबूत खत्म करने के लिए 5 साल की सज़ा दी थी.
इसके अलावा शुभम सांगरा का मुकदमा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में चल रहा था. हाई कोर्ट ने भी शुभम को नाबालिग ठहराने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था. इसके खिलाफ जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. इस अर्जी पर सुनवाई करते ही आज सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है.
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