केरल नन रेप केस : हाईकोर्ट ने आरोपी पादरी बिशप दी जमानत, लेकिन रखी ये शर्त
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केरल नन रेप केस : हाईकोर्ट ने आरोपी पादरी बिशप दी जमानत, लेकिन रखी ये शर्त

इस मामले में आरोप-पत्र दायर किए जाने तक मलक्कल (54) पर यह शर्तें प्रभावी रहेंगी. बीते तीन अक्टूबर को हाईकोर्ट ने मलक्कल की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. 

फाइल फोटो

कोच्चि : केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को रोमन कैथलिक पादरी फ्रैंको मलक्कल को सशर्त जमानत दे दी. मलक्कल पर एक नन से कई बार बलात्कार करने और उन पर यौन हमला करने के आरोप है. न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन ने मलक्कल की जमानत मंजूर करते हुए उन्हें निर्देश दिया कि वह अपना पासपोर्ट अधिकारियों के समक्ष जमा करें और हर दो हफ्ते में एक बार शनिवार के दिन जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने के अलावा कभी केरल में कभी दाखिल नहीं हों. 

तीन अक्टूबर को खारिज हुई थी जमानत याचिका
इस मामले में आरोप-पत्र दायर किए जाने तक मलक्कल (54) पर यह शर्तें प्रभावी रहेंगी. बीते तीन अक्टूबर को हाईकोर्ट ने मलक्कल की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. उस वक्त अदालत ने अभियोजन की यह दलील स्वीकार कर ली थी कि समाज में ऊंचा दर्जा रखने वाला यह आरोपी जमानत दिए जाने पर इस मामले के गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेगा.

मलक्कल अभी कोट्टायम जिले के पाला की एक उप-जेल में बंद हैं. एक मजिस्ट्रेट अदालत की ओर से अपनी न्यायिक हिरासत अवधि बढ़ाए जाने के बाद उन्होंने फिर हाईकोर्ट का रुख कर जमानत की गुहार लगाई. पुलिस ने आरोपी पादरी की जमानत अर्जी का विरोध किया और कहा कि इस मामले में जांच अभी चल रही है. 

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नन ने की थी बिशप के खिलाफ शिकायत
जून में कोट्टायम पुलिस को दी गई शिकायत में नन ने आरोप लगाया था कि मलक्कल ने मई 2014 में कुरविलांगड़ के एक गेस्ट हाउस में उनसे बलात्कार किया और बाद में कई मौकों पर उनका यौन शोषण किया. नन ने कहा कि चर्च के अधिकारियों ने जब पादरी के खिलाफ उनकी शिकायत पर कोई कदम नहीं उठाया तो उन्होंने पुलिस का रुख किया. 

बहरहाल, मलक्कल ने बलात्कार और यौन शोषण के आरोपों को ‘‘बेबुनियाद’’ और ‘‘मनगढ़ंत’’ करार देते हुए इस बात पर जोर दिया कि नन ने आरोप इसलिए लगाए क्योंकि कैथलिक व्यवस्था ने उनकी मांगें मानने से इनकार कर दिया था. पिछले महीने मलक्कल ने जालंधर डायोसीज का पादरी पद छोड़ दिया था.

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