क्या आप जानते हैं? मेट्रो स्टेशन पर क्यों लगे होते हैं पीले रंग के उबड़-खाबड़ टाइल्स
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क्या आप जानते हैं? मेट्रो स्टेशन पर क्यों लगे होते हैं पीले रंग के उबड़-खाबड़ टाइल्स

Knowledge News: ज्यादातर लोग सोचते हैं कि पीले रंग के ये टाइल्स मेट्रो स्टेशन पर इसलिए लगे होते हैं जिससे कोई फिसले नहीं लेकिन ये बात सच नहीं है.

टैक्टाइल पाथ | फोटो साभार- PTI

नई दिल्ली: जब आप Metro Station जाते होंगे तो देखते होंगे कि वहां जमीन पर उबड़-खाबड़ टाइल्स (Tiles) लगे होते हैं. ये टाइल्स सीधे और गोल आकार के होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेट्रो स्टेशन (Metro Station) पर इन टाइल्स को क्यों लगाया जाता है? ज्यादातर लोग ये सोचते हैं कि ये उबड़-खाबड़ टाइल्स इसलिए लगाए जाते हैं जिससे कोई फिसले नहीं लेकिन ऐसा नहीं है. इस खबर में जानिए मेट्रो स्टेशन पर सीधे और गोल आकार के टाइल्स क्यों लगे होते हैं?

  1. जानिए क्या होता है टैक्टाइल पाथ
  2. दिव्यांगों के लिए मेट्रो स्टेशन पर सुविधाएं
  3. टैक्टाइल पाथ से इन लोगों को मिलती है मदद

जानिए पीले रंग के टाइल्स का राज

बता दें कि मेट्रो स्टेशन पर सीधे और गोल आकार के टाइल्स दृष्टिहीन (Blind) लोगों के लिए लगाए जाते हैं. इन उबड़-खाबड़ टाइल्स के सहारे वो लोग जिन्हें आंखों से दिखाई नहीं देता है वो स्टेशन पर चल सकते हैं. स्टेशन पर लगे गोल टाइल्स का संकेत होता है कि रुक जाएं. वहीं सीधे टाइल्स का मतलब होता है कि चलते रहें. इन टाइल्स की मदद से दृष्टिहीन लोगों को चलने में बहुत सुविधा होती है. इन टाइल्स को टैक्टाइल पाथ (Tactile Path) कहा जाता है.

टैक्टाइल पाथ का है एक और फायदा

जान लें कि इन टाइल्स का मेट्रो स्टेशन पर एक और फायदा भी है. मेट्रो स्टेशन पर कई तरह की केबल, पाइप और वायर एक जगह से दूसरी जगह को कनेक्ट करने के लिए लगाई जाती हैं. पाइप, केबल और वायर को इन टाइल्स के नीचे से ही ले जाया जाता है. अगर इन कनेक्शन में कोई प्रॉब्लम होती है तो इन टाइल्स को आसानी के हटाकर कनेक्शन में आ रही प्रॉब्लम को ठीक कर लिया जाता है. इन टाइल्स को हटाना आसान होता है. कनेक्शन ठीक होने के बाद इन टाइल्स को दोबारा लगा दिया जाता है.

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मेट्रो स्टेशन पर दिव्यांगों के लिए होती हैं ये सुविधाएं

इसी तरह दिव्यांगों के लिए मेट्रो स्टेशन पर कई अन्य सुविधाएं भी होती हैं. दिव्यांगों के लिए सीढ़ियों की जगह रैंप (Ramp) होता है. इसके अलावा रैंप के साथ हैंडरेल (Handrail) भी होता है, जिसे पकड़कर वो चल सकते हैं. मेट्रो में दिव्यागों के लिए सीटें रिजर्व होती हैं. मेट्रो की लिफ्ट में बटन पर ब्रेल (Braille) लिपि में भी लिखा होता है, जिससे दृष्टिहीन लोग छूकर पहचान कर सकें. दिव्यांगों के लिए अलग से टॉयलेट भी होते हैं.

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