Trending Photos
जालौन: अपनी संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में मशहूर भारत प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों का देश रहा है. शायद इसीलिए यहां पर कुछ ऐसी अद्भुत धार्मिक मान्यताएं हैं, जिन्हें सुनकर लोग हैरान रह जाते हैं. कुछ ऐसी ही मान्यता उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जालौन (Jalaun) से भी जुड़ी है.
यहां स्थित एक मीनार के बारे में कहा जाता है कि वहां भाई-बहन को एक साथ नहीं जाना चाहिए. अगर सगे भाई-बहन एक साथ वहां जाते हैं तो वह पति-पत्नी जैसे हो जाते हैं. जी हां, इस मीनार को लंका मीनार के नाम से जाना जाता है, जो जालौन के कालपी में स्थित है. कालपी की यह मीनार 210 फीट ऊंची है. इसे 1857 में मथुरा प्रसाद निगम ने बनवाया था. लंका मीनार के बारे में कहा जाता है कि इस मीनार को बनाने में 20 सालों से ज्यादा का वक्त लगा था. यहां भाई-बहन का एक साथ जाना वर्जित है और इसकी वजह मीनार की संरचना को बताया जाता है.
दरअसल, मीनार के ऊपर तक जाने के लिए 7 परिक्रमाओं से होकर गुजरना पड़ता है. इन 7 परिक्रमाओं का संबंध पति-पत्नी के सात फेरों से जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि अगर सगे भाई-बहन एक साथ मीनार में ऊपर तक जाते हैं तो उन्हें 7 फेरों से गुजरना पड़ेगा और इस वजह से वे पति-पत्नी की तरह हो जाएंगे. यही कारण है कि यहां भाई-बहनों के एक साथ आने पर रोक है. जालौन में रहने वाले लोग इस परंपरा को आज भी मानते हैं, और दूसरों को भी इसे मानने के लिए कहते हैं. इसी परंपरा के कारण ये मीनार देशभर में फेमस है.
आपको बताते चलें कि मथुरा प्रसाद रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे. सालों तक इस काम को करने की वजह से उनकी पहचान इस नाम से जुड़ गई थी. यही वजह है कि उन्होंने लंका मीनार बनवाई. 1857 में निर्मित इस मीनार को बनाने उस वक्त 1 लाख 75 हजार रुपये से ज्यादा का खर्च आया. इस परिसर में एक शिव मंदिर भी है, जिसे इस तरह बनवाया गया कि रावण को हर पल भोलेनाथ के दर्शन होते रहें. यहां 100 फीट के कुंभकर्ण और 65 फुट ऊंचे मेघनाथ की प्रतिमाएं लगी हैं.
LIVE TV