ट्रिपल तलाक: सिविल यूनिफॉर्म कोड पर अपनी रिपोर्ट सौंपने की दिशा में धीमी गति से बढ़ेगा लॉ कमिशन
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ट्रिपल तलाक: सिविल यूनिफॉर्म कोड पर अपनी रिपोर्ट सौंपने की दिशा में धीमी गति से बढ़ेगा लॉ कमिशन

विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर अपनी रिपोर्ट पर धीमी गति से आगे बढ़ने का फैसला किया है क्योंकि वह तीन तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी. विधि आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज यह बात कही. विधि आयोग जटिल कानूनी मुद्दों पर सरकार को परामर्श देता है. आयोग ने समान नागरिक संहिता पर अपनी रिपोर्ट पूरी करने के लिए चर्चा के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा से पहले शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के फैसले का इंतजार करने का फैसला किया है.

 ट्रिपल तलाक: सिविल यूनिफॉर्म कोड पर अपनी रिपोर्ट सौंपने की दिशा में धीमी गति से बढ़ेगा लॉ कमिशन

नई दिल्ली: विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर अपनी रिपोर्ट पर धीमी गति से आगे बढ़ने का फैसला किया है क्योंकि वह तीन तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी. विधि आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज यह बात कही. विधि आयोग जटिल कानूनी मुद्दों पर सरकार को परामर्श देता है. आयोग ने समान नागरिक संहिता पर अपनी रिपोर्ट पूरी करने के लिए चर्चा के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा से पहले शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के फैसले का इंतजार करने का फैसला किया है.

सूत्र ने बताया, सुपीम कोर्ट के इस बात को स्पष्ट करने की संभावना है कि क्या पर्सनल लॉ है. उसके धार्मिक आस्था और धार्मिक परंपरा के मुद्दे पर भी विचार करने की संभावना है. जब तक फैसला नहीं सुनाया जाता, तब तक हमने नागरिक संहिता पर अपनी रिपोर्ट पर धीमी गति से आगे बढ़ने का फैसला किया है. आयोग का मानना है कि फैसला अपनी रिपोर्ट तैयार करने में पैनल का मार्गदर्शन करेगा. सूत्र ने बताया, एक बार रूपरेखा तैयार हो जाने पर हम हितधारकों के साथ विचार-विमर्श शुरू करेंगे. शीर्ष अदालत ने कल साफ कर दिया था कि वह मुस्लिमों में प्रचलित बहुपत्नी प्रथा और ‘निकाह हलाला’ जैसे मुद्दों पर भविष्य में फैसला सुना सकती है.

प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा था, सीमित समय में तीनों मुद्दों पर विचार करना हमारे लिए संभव नहीं हो सकता. हम उन्हें भविष्य के लिए लंबित रखेंगे. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि वह सिर्फ तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई करेगी और वह भी सिर्फ इस बात को देखेगी कि क्या यह इस्लाम के लिए आधारभूत है. समान नागरिक संहिता पर फैसला करने से पहले व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता का संकेत देते हुए सरकार ने पिछले साल जून में विधि आयोग से मुद्दे का परीक्षण करने को कहा था.

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