सरकार ने राहुल की 'जासूसी’ के आरोप को किया खारिज, कहा- 1957 से ही नेताओं की सुरक्षा प्रोफाइलिंग
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सरकार ने राहुल की 'जासूसी’ के आरोप को किया खारिज, कहा- 1957 से ही नेताओं की सुरक्षा प्रोफाइलिंग

राहुल गांधी की कथित ‘राजनीतिक जासूसी’ किए जाने के कांग्रेस के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए सरकार ने सोमवार को कहा कि यह प्रमुख व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए प्रोफाइल तैयार करने की एक प्रक्रिया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित पूर्व प्रधानमंत्रियों और राजनीतिक दलों के अध्यक्षों के बारे में भी इसी प्रकार की सुरक्षा प्रोफाइलिंग की गई है।

सरकार ने राहुल की 'जासूसी’ के आरोप को किया खारिज, कहा- 1957 से ही नेताओं की सुरक्षा प्रोफाइलिंग

नई दिल्ली : राहुल गांधी की कथित ‘राजनीतिक जासूसी’ किए जाने के कांग्रेस के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए सरकार ने सोमवार को कहा कि यह प्रमुख व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए प्रोफाइल तैयार करने की एक प्रक्रिया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित पूर्व प्रधानमंत्रियों और राजनीतिक दलों के अध्यक्षों के बारे में भी इसी प्रकार की सुरक्षा प्रोफाइलिंग की गई है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शून्यकाल में इस मामले को उठाते हुए आरोप लगाया कि राहुल गांधी की राजनीतिक जासूसी की जा रही है जो लोकतंत्र और संविधान के तहत प्रदत्त निजता के अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि अगर प्रोफाइल बनाने की बात है तो फिर राहुल गांधी के बारे में ये सवाल क्यों पूछे गए कि उनके जूते का नंबर क्या है और उनका जन्म चिन्ह (बर्थ मार्क) कहां हैं? वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह सुरक्षा का मुद्दा है और सुरक्षा के मामले को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। 1957 से देश के प्रमुख व्यक्तियों की सुरक्षा प्रोफाइलिंग की व्यवस्था चली आ रही है, जिसे 1999 में संशोधित किया गया। जेटली ने कहा कि खड़गे ने यह सवाल उठाया है कि प्रोफाइल बनाने के लिए राहुल के जूते का नंबर क्यों पूछा गया। उन्होंने राजीव गांधी का नाम लिए बिना कहा कि देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के बाद उनके शव की पहचान उनके जूतों से ही हो सकी थी।

उधर, कांग्रेस के आरोप को खारिज करते हुए सरकार ने आज राज्यसभा में कहा कि यह प्रमुख व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए प्रोफाइल तैयार करने की एक पारदर्शी प्रक्रिया है और कई पूर्व प्रधानमंत्रियों और राजनीतिक दलों के अध्यक्षों के बारे में भी इसी प्रकार की जानकारी एकत्र की गयी है। राज्यसभा में सुबह कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने यह मुद्दा उठाया और सरकार पर विपक्षी नेताओं की जासूसी कराने का आरोप लगाया। वित्त मंत्री और सदन के नेता अरुण जेटली ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस 1957 से ही लुटियन दिल्ली में रहने वाले वीआईपी लोगों के संबंध में विभिन्न जानकारी एकत्र करती रही है और 1987 तथा 1999 में इस प्रक्रिया में संशोधन किया गया। जेटली ने इस मुद्दे को तिल का ताड़ बनाए जाने की संज्ञा दी। इस मुद्दे पर कांग्रेस तथा अन्य दलों के सदस्यों द्वारा नियम 267 के तहत दिए गए कार्य स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार किए जाने के बाद कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।

उन्होंने कहा कि प्रोफाइल में जूते का नंबर, मूंछे हैं या नहीं, चप्पल पहनते हैं या जूता, अक्सर कहां कहां घूमने जाते हैं, कौन कौन अक्सर मिलने आते हैं, ये सब बातें पूछी गई हैं जो सुनने में हास्यास्पद लग सकती हैं। लेकिन सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। जेटली ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित सभी प्रमुख राजनीतिकों से उनके प्रोफाइल लिए गए हैं। खड़गे पर उन्होंने आरोप लगाया कि यह कोई मुद्दा नहीं है और वह इसे जबरदस्ती मुद्दा बना रहे हैं और यह इस बात का द्योतक है कि कांग्रेस के पास उठाने के लिए मुद्दे नहीं हैं। जासूसी के आरोप को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि अगर जासूसी करनी होती तो चुपके से करते, जाकर खुद उस व्यक्ति से, उससे ये सब बातें नहीं पूछते। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने इस आरोप को गलत बताया कि किसी व्यक्ति, पार्टी को निशाना बनाकर कोई जासूसी की जा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित पूर्व प्रधानमंत्रियों, भाजपा अध्यक्ष, कांग्रेस अध्यक्ष आदि सहित 526 वीवीआईपी हस्तियों के ऐसे प्रोफाइल बनाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी ऐसा प्रोफाइल बनाते समय उनसे पूछा गया था कि क्या वह चप्पल पहनते हैं? और उन्होंने कहा था कि हां, मैं चप्पल पहनता हूं। उनसे यह भी पूछा गया था कि क्या वह धोती कुर्ता पहनते हैं और उनका रंग क्या है? नायडू ने कहा कि सोनिया गांधी को भी ऐसा ही परफोर्मा दिया गया था जिसे उन्हें या उनके सचिव ने भरा होगा। मंत्री ने कहा कि मेरी सरकार जासूसी में यकीन नहीं रखती और जो प्रोफाइल बनाया जा रहा है, वह एक नियमित प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि प्रोफाइल समय समय पर अपडेट किए जाते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष का 1998 और 2004 में, वाजपेयी का 1996 में, वर्तमान राष्ट्रपति मुखर्जी का 2001 और 2010 में, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का 2011 में, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और आईके गुजराल का 2011 में, सुषमा स्वराज का 2013 में, राजनाथ सिंह का 2007 में और अरुण जेटली का 2009 में प्रोफाइल अपडेट किया गया।

खड़गे की इस बात पर कि ‘गुजरात मॉडल’ की तरह दिल्ली में भी अब जासूसी की जा रही है, नायडू ने कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा कि गुजरात का नाम लेना एक फैशन बन गया है। हमें गुजरात माडल पर गर्व है। नायडू ने बताया कि प्रोफाइल बनाने के परफोर्मे को 1999 में अपडेट करके उसमें जूते और ड्रेस कोड की जानकारी को भी शामिल किया गया। इससे पूर्व खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक विरोधियों को डराना धमकाना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार केवल विरोधी दलों के नेताओं के साथ ही नहीं बल्कि खुद अपने दल के आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ ऐसा व्यवहार कर रही है। राहुल के जूते का साइज पूछे जाने पर आपत्ति जताते हुए खड़गे ने व्यंग्य किया कि क्या सरकार उन्हें उनके नंबर का जूता बनवाकर देने वाली है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष को एसपीजी सुरक्षा मिली हुई है जिससे छन छन कर सारी खबरें सरकार तक पहुंचती होंगी। ऐसे में परफोर्मा भेजने की क्या जरूरत थी? खड़गे ने सवाल उठाया कि दिल्ली के पुलिस आयुक्त ने किसके कहने पर दो और 14 मार्च को पुलिस अधिकारियों को राहुल के यहां भेजा?

विभिन्न सदस्यों द्वारा जूते का नंबर, आंखों का रंग जैसे सवालों का जिक्र फार्म में होने का जिक्र करने पर जेटली ने कहा कि सुरक्षा के मामले में कई सवाल बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं। उन्होंने राजीव गांधी का नाम लिए बिना कहा कि देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के बाद उनके शव की पहचान उनके जूतों से ही हो सकी थी। उन्होंने कहा कि इस विषय को जासूसी से नहीं जोड़ा चाहिए और नेताओं को जन सेवा में ही लगे रहना चाहिए और उन्हें सुरक्षा विशेषज्ञ नहीं बनना चाहिए।

जेटली ने कहा कि यह पिछले आठ महीने में शुरू हुई प्रक्रिया नहीं है। उन्होंने कहा कि तिल का ताड़ बनाया जा रहा है। इसके पूर्व विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि कई सदस्यों ने इस संबंध में नियम 267 के तहत कार्य स्थगन का नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि अपने 35 साल के अनुभव में उन्होंने भी भी इस प्रकार का फार्म नहीं देखा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को लंबे समय से एसपीजी सुरक्षा प्राप्त है और उनके बारे में अब दिल्ली पुलिस तरह तरह के सवाल कर रही है।

आजाद ने आरोप लगाया कि यह विपक्षी पार्टी को दबाने, धमकाने और उन पर दबाव डालने का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में गृह मंत्री को बयान देना चाहिए और स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले साल ऐसी खबरें थीं कि राजग सरकार के मंत्री के टेलीफोन टैप किए जा रहे हैं। उन्होंेने आरोप लगाया कि जब से यह सरकार आयी है, धार्मिक और राजनीतिक स्वतंत्रता कम हो रही है।

जदयू के केसी त्यागी ने भी गृह मंत्री से जवाब मांगते हुए कहा कि इस तरह की जानकारी जुटाने की बात कभी नहीं सुनी गयी। उन्होंने कहा कि उनका एक विशेषाधिकार नोटिस लंबित है। उन्होंने सदन में इस पर चर्चा कराने की मांग की। सपा के नरेश अग्रवाल ने आरोप लगाया कि हर दिन एक लाख फोन टैप किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों की निजता के अधिकार को चुनौती नहीं दी जानी चाहिए। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार नेताओं के फोन टैप कर रही है। उन्होंने इसकी जांच कराए जाने की मांग की।

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