Live in Relationship: लिव इन में रहने वाली महिलाओं की एकदम से दर्ज नहीं होगी रेप की शिकायत, जानें मध्य प्रदेश ने क्यों लिया ये फैसला?
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Live in Relationship: लिव इन में रहने वाली महिलाओं की एकदम से दर्ज नहीं होगी रेप की शिकायत, जानें मध्य प्रदेश ने क्यों लिया ये फैसला?

Live in Relationship News: क्या प्रेमी के साथ बिना शादी के लंबे समय तक एक ही मकान में रहने के बाद कोई महिला उसके खिलाफ रेप का केस दर्ज करवा सकती है. इस बारे में मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.

Live in Relationship: लिव इन में रहने वाली महिलाओं की एकदम से दर्ज नहीं होगी रेप की शिकायत, जानें मध्य प्रदेश ने क्यों लिया ये फैसला?

Madhya Pradesh decision on rape case in live-in relationships: क्या लंबे अरसे तक एक ही मकान में लिव इन (Live in Relationship) में रहने वाली कोई महिला अपने पार्टनर के खिलाफ रेप का केस दर्ज करवा सकती है. यह जटिल सवाल देशभर की पुलिस के लिए काफी लंबे समय से मुश्किल भरा रहा है. अब इस मुद्दे पर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की पुलिस ने बड़ा नीतिगत फैसला ले लिया है. एमपी पुलिस ने तय किया है कि लिव इन में रहने वाली महिलाओं की एकदम से रेप की शिकायत दर्ज नहीं की जाएगी. मुकदमा लिखने से पहले उसकी गंभीरता से जांच की जाएगी. अगर रेप के आरोप सत्य मिले तो उसके बाद ही केस दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी. 

एफआईआर के बाद मुकर जाती हैं अधिकतर महिलाएं

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक लिव इन रिलेशन (Live in Relationship) में रहने वाली 80 प्रतिशत महिलाएं पार्टनर के खिलाफ केस दर्ज करवाने के बाद अपने आरोपों से पलट जाती हैं. यही वजह है कि ऐसे मामलों में केवल 30-35 प्रतिशत आरोपियों को ही सजा हो पाती है. इस संबंध में मध्य प्रदेश पुलिस की महिला सुरक्षा शाखा ने रेप के आरोपियों की सजा दर में कमी का अध्ययन किया तो पता चला कि संबंध खराब होने पर पहले महिलाएं केस दर्ज करवा देती हैं और बाद में पार्टनर के माफी मांग लेने पर केस वापस ले लेती हैं. जिससे पुलिस की सारी जांच और कवायद बेकार हो जाती है.

केरल हाई कोर्ट ने भी जारी कर रखा है आदेश

राज्य के गृह मंत्री के मुताबिक इस बारे में केरल हाई कोर्ट ने भी आदेश जारी कर रखा है. जिसके मुताबिक लिव इन (Live in Relationship) में रहने वाली महिलाओं के आरोपों पर एकदम से केस दर्ज करने के बजाय उसकी पहले छानबीन की जानी चाहिए. हाई कोर्ट के इस आदेश और महिला शाखा के अध्ययन के आधार पर फैसला लिया गया है कि अब लिव इन में रहने वाली किसी भी महिला की रेप की शिकायत पर एकदम से कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं होगी. कंप्लेंट मिलने के बाद सक्षम स्तर के अधिकारी से उसकी जांच करवाई जाएगी और उसके बाद ही केस दर्ज करने या न करने के बारे में फैसला लिया जाएगा. 

केवल बालिग महिलाओं के लिए की गई व्यवस्था

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला लिव इन (Live in Relationship) में रहने वाली केवल बालिग महिलाओं के मामले में ही लागू होगा. अगर कोई नाबालिग इस तरह की शिकायत देती है तो उसकी कंप्लेंट पर तुरंत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप के अधिकतर प्रकरण या तो संदिग्ध होते हैं या फिर उन्हें गवाह मुकर जाते हैं. लिहाजा अब पूरी तफ्तीश के बाद ही ऐसे मामलों में कार्रवाई की जाएगी. 

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