अनलॉक-1 शुरू होने के बाद कुछ अभ्यास कार्यक्रम शुरू हुए हैं.
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नई दिल्ली: Zee News के इंडिया का DNA E-Conclave में बोलते हुए केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि कोरोना की वजह से भले ही इस वक्त पूरी तरह से खेल गतिविधियां ठप हुईं लेकिन अब अनलॉक-1 शुरू होने के बाद कुछ अभ्यास कार्यक्रम शुरू हुए हैं. आशा करते हैं कि आने वाले दिनों में कुछ खेल इवेंट होंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से ओलंपिक कार्यक्रम एक साल के लिए टल गया है. इसको देखते हुए ओलंपिक की तैयारी पर हम विचार कर रहे हैं. खेल क्षेत्र एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री है. इसमें पैशन से लेकर कमर्शियल हित तक जुड़े हैं. इसलिए यदि खेल की गतिविधियों में इजाफा होगा तो रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. लेकिन कोरोना की वजह से इस वक्त देश में स्वास्थ्य और सुरक्षा प्राथमिकता है.
किरण रिजिजू ने अपनी प्राथमिकताओं के बारे में कहा कि हमारे देश में खेलों की परंपरा रही है. अब वो जमाना नहीं रहा कि खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब की बात कही जाती है. अब कहा जाता है कि खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे लाजवाब का नारा दिया जा रहा है. इसीलिए सरकार ने खेलो इंडिया और फिट इंडिया जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं. लोगों में इसके प्रति जागरुकता आई है. इन कार्यक्रमों को इसलिए ही अपार सफलता मिली है. सरकार इस मंशा के साथ आगे बढ़ रही है कि हर नागरिक को फिट रहना चाहिए.
नॉर्थ-ईस्ट के मसले पर उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र में पहले भी सरकारों ने काम किए लेकिन जिस तरह से पूर्वोत्तर के लोगों के साथ मोदी सरकार ने कनेक्ट किया है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने हमको लक्ष्य दिया है कि 2028 तक भारत को खेलों के लिहाज से टॉप 10 देशों की श्रेणी में शुमार करना है. हम लोग उसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रहे हैं. इस बार ओलंपिक में पहले की तुलना में अधिक स्पर्द्धाओं में हम शिरकत कर रहे हैं.
अर्जुन मुंडा
Zee News के इंडिया का DNA E-Conclave में बोलते हुए केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि छह साल में मोदी सरकार के आने के बाद से आदिवासियों के लिए ढेर सारी योजनाएं प्रांरभ हुई हैं. अर्जुन मुंडा ने कहा कि आजादी के बाद से 70 वर्षों तक आदिवासियों के कल्याण के लिए ठोस योजनाएं नहीं बनाई गईं. इसका नतीजा ये हुआ कि ये समाज पिछड़ा रह गया. लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद आदिवासियों के कल्याण के लिए ऐतिहासिक योजनाएं प्रारंभ की गई हैं.
उन्होंने कहा कि इससे पहले आदिवासियों के नाम पर केवल सियासत हुई. उनका इस्तेमाल केवल वोट बैंक के रूप में हुआ. कोई काम जमीनी स्तर नहीं हुआ. इसका नतीजा ये निकला कि आदिवासियों का अन्य राज्यों की ओर पलायन यानी माइग्रेशन हुआ. अब कोरोना काल में मजदूरों का माइग्रेशन एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा. लिहाजा केंद्र सरकार अब ऐसी योजनाएं बना रही है जिससे स्थानीय लोगों को राज्य स्तर पर ही काम-धंधे मिलें. लोगों को पलायन नहीं करना पड़े.
अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति के बीच सरलता, सादगी से रहने वाला समाज है. सरकार उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है. आदिवासियों का पलायन एक बड़ा मुद्दा है. संबंधित राज्यों में ही उनको रोजगार कैसे मिले, केंद्र सरकार इसके लिए योजनाएं और स्कीम चला रही है. इसका असर ये हो रहा है कि उनकी जिंदगी में सुधार हो रहा है और उनको आने वाले दिनों में उनको गरीबी, बदहाली के चलते अन्य राज्यों में पलायन नहीं करना पड़ेगा.
नरेंद्र सिंह तोमर
इससे पहले कोरोना काल में किसान योद्धा बनकर उभरा है. इसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि पिछले साल की तुलना में इस बार फसल की पैदावार में बंपर बढ़ोतरी हुई है. इंडिया का DNA E-Conclave में ये बात केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कही. गेहूं का बंपर उत्पादन हुआ, इस साल गेहूं उत्पादन 357 मीट्रिक टन हुआ. सरकार के फैसलों के केंद्र में किसान है.किसानों ने गांवों को कोरोना मुक्त रखा.
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र में पूरी तरह से किसान है. इसीलिए ही जहां दुनिया में पूरी तरह से लॉकडाउन की वजह से जन-जीवन ठप हो गया लेकिन गांव बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुए. किसान की जिंदगी बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुई. एक तरफ जहां गांव कोरोना से मुक्त बने हुए हैं वहीं सरकार ने ऐसे उपाय और नीतियां बनाई हैं जिससे किसान की जिंदगी पहले की तुलना में ज्यादा आसान बनी है.
अहम बातें:
लॉकडाउन में किसानों को लाभ हुआ
ग्रीष्म ऋतु की बुआई पिछली साल की तुलना में 45 प्रतिशत अधिक हुई
सरकार ने किसानों को 72 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है
सरकार की कोशिश किसानों का उत्पादन बढ़ाने की है
किसान बीमा योजना के तहत किसानों को मदद दी गई
सरकार की कोशिश की किसानों को उत्पादन का सही मूल्य मिले
रामविलास पासवान
इससे पहले देश को दिशा देने वाले 'इंडिया का DNA E-Conclave में बातचीत के दौरान केंद्रीय खाद्य उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना पर काम जारी है. पासवान ने कहा कि मंत्रालय ने लक्ष्य से 200% ज्यादा काम किया. गरीबों को मुफ्त में अनाज दिया गया.
पासवान ने बातचीत के दौरान कहा, "मोदी सरकार ने ग्राहकों के लिए नया उपभोक्ता कानून बनाया, जिसका लाभ सबको मिलेगा. पुराने उपभोक्ता कानून में बदलाव किया गया. देश में अनाज की कोई कमी नहीं है. जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
मोदी सरकार के बड़े फैसलों की जानकारी देते हुए पासवान ने कहा, "किसान किसी भी राज्य में फसल बेच सकते हैं. 5 साल में चावल-गेहूं की कीमतें नहीं बढ़ी हैं. सरकार ने फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाया है. सोने पर हॉल मार्किंग जरूरी की गई है."
प्रवासी मजदूरों के सवाल पर उन्होंने कहा, "मसला केवल राज्य बनाम केंद्र का नहीं है. राज्यों की अपनी समस्याएं और क्षमताएं हैं. बाहर से आए मजदूरों के व्यवस्थाएं करना राज्य सरकारों के लिए इतना आसान नहीं था. कुछ राज्यों ने इस समस्या का बेहतर ढंग से प्रबंधन किया. इसमें यूपी की योगी सरकार ने अच्छा काम किया."