लॉकडाउन के बीच छत्तीसगढ़ में मजदूरी कर रहे उत्तर प्रदेश के एक बेटे की ऐसी कहानी सामने आई है जिसे सुनकर आपकी भी आंखें भर आएंगी.
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नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) की वजह से देश में लॉकडाउन (Lockdown) है. जिससे गरीब और मजदूरों पर संकट आ गया है. रोजी-रोटी का संकट, आशियाने का संकट. यही वजह है कि दिहाड़ी मजदूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल घर की ओर निकल पड़े हैं. वहीं, कई मजदूर लॉकडाउन की वजह से फंस गए हैं. और उन्हें खाने-पीने में दिक्कत आ रही है. फैक्ट्री बंद होने की वजह से मजदूर सौकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर घर पहुंच रहे हैं.
इस बीच छत्तीसगढ़ में मजदूरी कर रहे उत्तर प्रदेश के एक बेटे की ऐसी कहानी सामने आई है जिसे सुनकर आपकी भी आंखें भर आएंगी. दरसअल, उत्तर प्रदेश के बनारस का रहने वाला मुरकीम छत्तीसगढ़ के रायपुर में मजदूरी का काम करता है. बीते 25 मार्च को उसकी मां का देहांत हो गया. लेकिन लॉकडाउन की वजह से वह अपनी मां के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच सका.
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हालांकि, इसके बावजूद भी उसने घर जाने की ठानी और अपने दो दोस्तों विवेक और प्रवीण के साथ निकल पड़ा रायपुर से बनारस की पैदल यात्रा पर. तीन दिन में वो तीनों रायपुर से कोरिया जिले के बैकुठपुरी तक पहुंच सके.
Chhattisgarh: A man, Murakeem (in chequered shirt) is covering the distance from Raipur to UP's Varanasi, along with his two friends, Vivek &Praveen, as his mother passed away in Varanasi on March 25. They reached Baikunthpur in Koriya district from Raipur in 3 days. (27.03.20) pic.twitter.com/tj9aO2swsn
— ANI (@ANI) March 28, 2020
मुरकीम के दोस्त प्रवीण ने बताया कि, "हम लगभग 20 किलोमीटर तक पैदल चले. उसके बाद 2-3 लोगों से रास्ते में लिफ्ट भी ली. जब हम यहां बैकुंठपुर पहुंचे तो एक मेडिकल की दुकान के मालिक ने हमारी मदद की. हमें बिठाया और खाने पीने को दिया. अब भी हमें आगे का रास्ता तय करना है.
आपको बता दें कि लॉकडाउन की वजह से लाखों मजदूर जहां-तहां शहरों में फंसे हुए हैं. उनके पास न तो रहने को छत नहीं है. ऐसे में वो अपने-अपने गांव के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं.
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