MP Elections: माननीयों को मिला घर खाली करने का निर्देश, जानिए नतीजों से पहले क्यों आया यह फैसला
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MP Elections: माननीयों को मिला घर खाली करने का निर्देश, जानिए नतीजों से पहले क्यों आया यह फैसला

MP Elections: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले माननीयों को घर खाली करने के निर्देश दिए गए हैं. यह निर्देश सचिवालय की तरफ से भेजा गया है. 

माननीयों को आवास खाली करने के निर्देश

MP Elections: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में वोटिंग के बाद अब सबकी नजरें नतीजों पर हैं. लेकिन 3 दिसंबर को आने वाले नतीजों से पहले ही विधानसभा सचिवालय ने नई विधानसभा के गठन की तैयारियां शुरू कर दी हैं. ऐसे में सबसे पहले प्रदेश के माननीयों को को घर खाली करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इनमें इन विधायकों को नाम सबसे ऊपर हैं जो इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. लेकिन पिछले चुनाव में जीत कर आए थे. 

30 विधायकों को भेजी गई चिट्ठी

दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा के सचिवालय की तरफ से प्रदेश के 30 मौजूदा विधायकों को चिट्ठी भेजी गई है. जिसमें कई सीनियर विधायक भी शामिल हैं. इन सभी को जल्द से जल्द सरकारी आवास खाली करने की बात कही गई है. क्योंकि 16वीं विधानसभा के गठन के लिए विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं, जिसके नतीजे 3 दिसंबर आने हैं. जिन 30 विधायकों को चिट्ठी भेजी गई है. वह इस बार विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ रहे हैं. ऐसे में उनके दोबारा चुनकर आने का विकल्प भी अब खत्म हो गया है. 

नए विधायकों को आवंटित होंगे आवास 

विधानसभा सचिवालय की तरफ से बताया गया कि विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहे विधायकों को घर खाली करने के लिए कहा गया है. क्योंकि 3 दिसंबर को चुनकर आने वाले नए विधायकों को उनके सरकारी आवासों को आवंटित किया जाएगा. क्योंकि विधानसभा चुनाव के रिजल्ट से पहले ही विधानसभा सचिवालय ने नई विधानसभा गठन की तैयारियां शुरू कर दी है. इसके लिए मौजूदा राज्य सरकार को भी पत्र भेजा गया है. 

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दरअसल, विधानसभा सचिवालय के पास फिलहाल खाली आवास नहीं है. ऐसे में जैसे ही रिजल्ट आएंगा तो मतगणना के बाद नए माननीय आमद देंगे, ऐसे में सचिवालय को तुरंत ही आवास उपलब्ध कराना चुनौती होगा. इसलिए विधानसभा चुनाव के नतीजों के पहले ही सरकारी आवासों को खाली कराने के निर्देश दिए गए हैं. 

प्रदेश में चुने जाते हैं 230 विधायक 

मध्य प्रदेश में 230 विधायक चुनकर आते हैं, जिन्हें उनकी सीनियरटी के हिसाब से पांच साल के लिए आवास दिए जाते हैं. मंत्रियों को कैबिनेट, स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री के हिसाब से आवास होते हैं, जबकि मुख्यमंत्री का निवास श्यामला हिल्स पर बना है. इसके अलावा प्रदेश के राज्यसभा सांसदों और लोकसभा सांसदों को भी उनकी सीनियरटी के हिसाब से आवास दिए जाते हैं. जबकि सरकारी अधिकारियों के आवास अलग होते हैं. 

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