मध्य प्रदेश में कोरोना रिकवरी रेट बढ़ने और नए केसों में कमी आने के चलते अस्पतालों पर बोझ कम होना शुरू हुआ है.
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भोपाल: अप्रैल महीना शुरू होने के साथ ही कोरोना की दूसरी लहर ने देश को अपनी चपेट में ले लिया. हालात इतने भयावह बने कि अस्पतालों से लेकर श्मशान घाटों पर जगह नहीं बची. लोगों को ऑक्सीजन और दवाइयों के लिए भटकने को मजबूर होना पड़ा. मध्य प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा. राज्य की चिकित्सा व्यवस्था पर इतना बोझ पड़ा कि संसाधन कम पड़ गए. लेकिन राज्य में कोरोना की दूसरी लहर अब नरम पड़ती हुई दिखाई दे रही है.
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दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो मध्य प्रदेश में कोरोना रिकवरी रेट बढ़ने और नए केसों में कमी आने के चलते अस्पतालों पर बोझ कम होना शुरू हुआ है. राजधानी भोपाल की बात करें तो मंगलवार शाम तक शहर के 126 बड़े-छोटे अस्पतालों में 2300 से ज्यादा बेड खाली थे. इनमें नॉन ऑक्सीजन बेड की संख्या सबसे ज्यादा है. आईसीयू और एचडीयू बेड की संख्या सबसे कम.
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कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों पर लोड कम हो रहा
कोरोना काल में सबसे ज्यादा लोड कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों पर है. इसमें हमीदिया सहित सभी मेडिकल कॉलेजों के कोविड अस्पताल शामिल हैं. मंगलवार को चिरायु को छोड़कर अन्य सभी कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों में बेड खाली थे. अखबार में छपी रिपोर्ट की मानें तो हमीदिया में 14 आईसीयू बेड, 67 ऑक्सीजन सपोर्ट बेड और 62 नॉन ऑक्सीजन सपोर्ट बेड खाली थे. इसके अलावा पीपुल्स और आरकेडीएफ में कुछ बेड खाली थे.
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राजधानी भोपाल में कोरोना की स्थिति में सुधार
शहर के अस्पतालों में मंगलवार को सबसे ज्यादा 1967 आइसोलेशन बेड खाली थे. मध्य प्रदेश में बीते 1 हफ्ते का ट्रेंड देखें तो पता चलता है कि नए कोरोना संक्रमितों की संख्या स्थिर है, दूसरी ओर रिकवरी बढ़ी है. इसकी वजह से एक्टिव केस में कमी आई है. भोपाल में 30 अप्रैल को कोरोना के एक्टिव मरीज 13 हजार से अधिक थे, जो 4 मई को घटकर 10,000 से नीचे आ गए. मई के पहले 4 दिनों में भोपाल के 126 अस्पतालों से 7000 कोरोना मरीज ठीक होने के बाद डिस्चार्ज हुए हैं.
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