एमपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भारत बंद को कांग्रेस की साजिश करार दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ये साजिश नाकाम हुई है और किसानों ने बता दिया कि वो पीएम मोदी के साथ हैं. पढ़िए पूरी खबर....
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भोपाल: नए कृषि कानूनों के विरोध में आज किसान संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है. लेकिन मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का मानना है कि यह कांग्रेस की साजिश है. कांग्रेस देश को अस्थिर करने की कोशिश में जुटी है. वीडी शर्मा ने कहा कि एमएसपी (MSP) और कृषि मंडियां बंद नहीं हो रही हैं. नए कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस केवल भ्रम फैला रही है, लेकिन किसानों ने बता दिया कि वे पीएम मोदी के साथ हैं. कांग्रेस का भारत बंद नाकाम रहा. किसानों ने शांति से प्रदर्शन किया है.
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'पूरी तरह असफल रहा भारत बंद'
दिल्ली में पार्टी आलाकमान से मुलाकात के बाद वापस भोपाल लौटे वीडी शर्मा ने कहा कि कांग्रेस और कुछ तथा कथित लोगों ने बंद का आह्वान किया था, जो पूरी तरह असफल रहा. जिस बिल का कांग्रेस के नेता आज विरोध कर रहे हैं, उसी बिल को 2012 में कपिल सिब्बल लेकर आए थे. उस वक्त सबने देखा था कि उन्होंने किस तरह इस कानून की वकालत की थी. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जो भी अच्छा काम करते हैं कांग्रेस उसका विरोध करती है. पहले कांग्रेस ने धारा 370 हटाने का विरोध किया, सीएए का विरोध किया और आज कृषि कानूनों का विरोध कर रही है.
मध्यप्रदेश में भारत बंद के नाम पर कांग्रेस का आंदोलन पूरी तरह से विफल रहा है।
प्रदेश का किसान प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी द्वारा किसान हित में बनाए गए कृषि कानून के समर्थन में है।
यही कारण है कि किसानों ने कांग्रेस द्वारा प्रायोजित इस आंदोलन का समर्थन नहीं किया। pic.twitter.com/ol4Fo9rgS9
— VD Sharma (@vdsharmabjp) December 8, 2020
किसानों ने क्यों किया भारत बंद का आह्वान?
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया. केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कृषि सुधार कानूनों के चलते पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के किसान बीते 13 दिनों से दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 5 दौर की बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकलने पर किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का फैसला किया था. हालांकि सरकार और किसानों के बीच छठे दौर की वार्ता 9 दिसंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रस्तावित है.
क्यों हो रहा नए कृषि कानूनों का विरोध
आंदोलनकारी किसान संगठन केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि सरकार इन कानूनों की जगह उनसे बातचीत कर, उनका सुझाव लेकर नए कानून लाए. उन्हें आंशका है कि केंद्रीय कृषि सुधार कानूनों से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को होगा. साथ ही उनकी मांग है कि एमएसपी और कृषि मंडियों को चालू रखने की गारंटी सरकार कानून बनाकर दे.
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