बसपा दोहरा रही है 2013 का प्रदर्शन, दोस्ती करके मुनाफे में रहती कांग्रेस
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बसपा दोहरा रही है 2013 का प्रदर्शन, दोस्ती करके मुनाफे में रहती कांग्रेस

चुनाव का परिणाम चाहे जो हो लेकिन बीएसपी ने अब तक यह दिखाया है कि उसका वोट बैंक कायम है. 

 फाइल फोटो

नई दिल्ली : मध्य प्रदेश चुनाव के नतीजे मे सबकी निगाहें कांग्रेस और बीजेपी के कांटे के मुकाबले पर हैं. लेकिन इसके बीच बहुजन समाज पार्टी की कुछ कुछ चर्चा हो रही है. दरअसल चुनाव से पहले कांग्रेस और बीएसपी के गठबंधन की बात चल रही थी, जो अंतत: हो नहीं पाया. इसका असर यह हुआ कि तीन राज्यों में तो कांग्रेस बीएसपी साथ नहीं आए साथ ही कर्नाटक सरकार में शामिल बीएसपी के एक मंत्री ने भी इस्तीफा दिया.

चुनाव का परिणाम चाहे जो हो लेकिन बीएसपी ने अब तक यह दिखाया है कि उसका वोट बैंक कायम है. पार्टी ने ने पिछले विधानसभा चुनाव में छह फीसदी वोट और चार सीटें हासिल की थीं. इस बार भी उसका वोट बैंक करीब पांच फीसदी है और पांच सीटों पर उसके बढ़त हासिल है. इसी तरह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी दो सीटों पर आगे हैं, वहीं समाजवादी पार्टी को एक सीट पर बढ़त हासिल है. ऐसे में इन दलों की जरूरत सरकार बनाने में पड़ सकती है. बल्कि पुराने इतिहास से मिलाकर देखें तो बसपा का साथ मिलने पर कांग्रेस की किस्मत बुलंद हो सकती थी, बल्कि उसे बड़ी जीत भी मिल जाती. 

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पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 44.88 फीसदी और कांग्रेस को 36.38 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, बहुजन समाज पार्टी के पास 6.29 फीसदी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पास एक फीसदी वोट था. ऊपर से देखने पर इन दोनों पार्टियों का वोट बहुत कम नजर आता है. इसीलिए पिछले तीन विधानसभा चुनाव लगातार हारने के बावजूद कांग्रेस ने बसपा से गठबंधन नहीं किया. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों को गौर से देखें, तो बसपा, जीजीपी और अन्य ने 80 से अधिक सीटों पर 10,000 से ज्यादा वोट हासिल किए. इतने वोट हार-जीत तय करने के लिए बहुत होते हैं. इसका राज इस बात में छिपा है कि बसपा और जीजीपी का वोट बैंक देखने में भले ही छोटा हो, लेकिन यह पूरे प्रदेश में बिखरा न होकर, खास जिलों और इलाकों में केंद्रित है. ऐसे में उन इलाकों में ये पार्टियां हार-जीत का फैसला करने में सक्षम हैं.

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62 सीटों पर बीएसपी ने पाए थे 10,000 से ज्यादा वोट
अगर मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनावी नक्शे पर बीएसपी को गौर से देखें तो यह उत्तर प्रदेश से सटे जिलों में खासा असर रखती है. अगर जिलों के हिसाब से देखें तो मुरैना, भिंड, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, अशोकनगर, सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, सीधी और सिंगरौली 14 जिलों में बीएसपी का खास असर है. यानी एक तिहाई मध्यप्रदेश में बीएसपी की पकड़ है. विधानसभा चुनाव 2013 में 62 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं, जहां बीएसपी के प्रत्याशी ने 10,000 से ज्यादा वोट हासिल किए. इन 62 में से 17 सीटें ऐसी हैं जहां बीएसपी को 30,000 से ज्यादा वोट मिले हैं. बहुत सी सीटें ऐसी भी हैं जहां बीएसपी प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे.

10 सीटों पर जीजीपी को 10,000 से अधिक वोट
दूसरी तरफ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी है. जिसका वैसे राज्य की राजनीति में खास असर नहीं है. लेकिन जब बात अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें यानी आदिवासी बहुल सीटों की आती है, तो यहां जीजीपी ताकतवर दिखाई देती है. पिछले विधानसभा चुनाव में जीजीपी ने ब्योहारी, जयसिंहनगर, जैतपुर, पुष्पराजगढ़, शाहपुरा, डिंडोरी, बिछिया, निवास, केवलारी और लखनादौन सीटों पर 10,000 से ज्यादा वोट हासिल किए.

 

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