बस्तर में साल भर में मारे गए 90 माओवादी, नक्सलियों को भर्ती के लिए नहीं मिल रहे युवा
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बस्तर में साल भर में मारे गए 90 माओवादी, नक्सलियों को भर्ती के लिए नहीं मिल रहे युवा

दक्षिणी बस्तर सुकमा जिले से मात्र 77 लोग भर्ती हुए, जहां पहले करीब 300 लोग भर्ती हुआ करते थे. वहीं बाकी जगहों दरभा से 12, पश्चिम बस्तर से 52 भर्ती हुए.

जहां पूरे बस्तर से 500 लोग भर्ती हुआ करते थे. अब यह आंकड़ा 140 पर आ गया है. (फाइल फोटो)

सुकमा: छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों के अभियान 'प्रहार' ने नक्सलियों की रीढ़ तोड़कर रख दी है. जुलाई, 2016 से जुलाई, 2017 के बीच सुरक्षाबलों ने 90 माओवादियों को मार गिराया है. बस्तर में अब नक्सलियों के संगठन में भर्ती होने के लिए युवा भी नहीं मिल रहे हैं. पहले जहां हर साल 500 युवा नक्सली संगठनों में भर्ती हुआ करते थे. इस बार उनकी तादाद 140 बताई गई. इस बात की पुष्टि करते हुए गुरुवार (21 सितंबर) को दंतेवाड़ा डीआईजी सुंदरराज पी. ने कहा, "बस्तर की जनता की समझ में ये बात अब आने लगी है कि नक्सलवाद का रास्ता खराब है. ऐसे में अब उनको शिक्षित कर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास चलाया जा रहा है. ये साहित्य कुछ माह पहले गोल्लापल्ली इलाके में हुई मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों के हाथ लगे थे. ये गोंडी भाषा में लिखे गए हैं. इनका जब अनुवाद कराया गया तो ये सनसनीखेज खुलासे हुए."

बताया जाता है कि उस साहित्य के मुताबिक, इस साल अगस्त के अंतिम दिनों या फिर सितंबर के शुरुआती दिनों में नक्सलियों की बैठक होने वाली थी, जिसके लिए यह जानकारी बनाई गई थी. उस साहित्य में लिखा गया था कि जुलाई, 2016 से जुलाई, 2017 तक लगभग 90 नक्सली मारे गए. इनमें तोंडेमरका में काफी बड़ा नुकसान हुआ था. वहीं पुलिस की माने तो पापाराव ने भी अक्सर बैठकों में तोंडेमरका का जिक्र किया है, जिसमें करीब 45 नक्सली मारे जाने की बात कही. मुठभेड़ के बाद नक्सली अपने पचरे और पोस्टर में नुकसान होने से इंकार करते रहे. जबकि कुछ और साहित्य में 45 लोग ही मारे जाने की बात कही गई है.

साहित्य में नक्सली संगठन में भर्ती को लेकर भी लिखा गया है. दक्षिणी बस्तर सुकमा जिले से मात्र 77 लोग भर्ती हुए, जहां पहले करीब 300 लोग भर्ती हुआ करते थे. वहीं बाकी जगहों दरभा से 12, पश्चिम बस्तर से 52 भर्ती हुए. जहां पूरे बस्तर से 500 लोग भर्ती हुआ करते थे. अब यह आंकड़ा 140 पर आ गया है.

पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने कहा, "गोलापल्ली मुठभेड़ से जो साहित्य बरामद हुआ है, उसमें नक्सलियों के 90 लोगों के मारे जाने की बात लिखी हुई है. वहीं भर्ती में भी भारी कमी आई है. सुकमा जिले से जहां 300 नक्सली हर साल भर्ती हुआ करते थे, इस साल मात्र 77 नक्सली भर्ती हुए. पुलिस लगातार ऑपरेशन कर रही है. साथ ही तोंडेमरका में नक्सलियों को काफी नुकसान हुआ है."

मीणा ने कहा, "पुलिस ग्रामीणों के साथ बैठकें कर रही है, जिसके कारण नक्सली संगठन से लोग कम जुड़ रहे हैं. नक्सलियों ने कई जानकारियां छुपाने की कोशिश की है. जारी पर्चो व पोस्टरों में उन्होंने 45 नक्सली ही मारे जाने की जानकारी दी. जबकि हाथ से लिखे इस साहित्य में 90 लोगों के मारे जाने की बात लिखी है."

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