Chhattisgarh Band Tribal Reservation: छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को 32 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन और राजनीति दोनों ही गरमाई हुई है. सोमवार को कांकेर में पूर्व बंद बुलाया गया. वहीं इस मुद्दे को लेकर कवासी लखमा के एक दिन के सत्र बुलाने को पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरामलाल कौशिक ने निशाना साधा.
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Chhattisgarh Band: रायपुर/कांकेर। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के आरक्षण के मसले पर चक्काजाम और विरोध जारी है. इस बीच आदिवासी समाज ने बंद का ऐलान कर दिया है. इसका असर दिखने लगा. वहीं इस मुद्दे पर सियासत भी गरमाई हुई है. एक ओर सोमवार को कांकेर में पूर्ण बंद का असर दिखा. वहीं दूसरी ओर इस मुद्दे को लेकर कवासी लखमा के एक दिन के सत्र बुलाने को पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरामलाल कौशिक ने निशाना साधा.
कांकेर में पूर्ण बंद
कांकेर में आदिवासी समाज द्वारा 32 % आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर बंद को बड़ी सफलता मिली. कांकेर चेंबर ऑफ कामर्स ने भी बंद को अपना समर्थन दिया है, लिहाजा व्यापारियों ने अपनी प्रतिष्ठानों को हबंद कर दिया. जिले के पखांजूर, दुर्गकोंदल, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, चारामा सभी जगहों में व्यापारियों ने दुकानें बंद रखी. आदिवासी समाज के लोगों ने सुबह से कई जगहों पर जाकर दुकानें बंद करने का आह्वान किया.
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सियासत भी गरमाई
कवासी लखमा के आदिवासी आरक्षण आरक्षण के मुद्दे को लेकर विधानसभा में विशेष सत्र बुलाए जाने और अनुसूचित जनजाति के हक मारे जाने वाले बयान पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरामलाल कौशिक ने निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि 12% आरक्षण कम होने की दोषी कांग्रेस सरकार है. डॉ रमन सिंह को दोष देने से कुछ नहीं होगा. अब विधानसभा सत्र बुलाने की बात कह रहे हैं.
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उन्होंने कहा हर 3 महीने में विधानसभा सत्र बुलाए. हमें कोई दिक्कत नहीं है, 12 दिन-15 दिन का सत्र बुलाये, हम स्वागत करते हैं. न सिर्फ यहीं मुद्दा बल्कि कई ऐसे मुद्दे हैं छत्तीसगढ़ में जिन पर विधानसभा में बहस होनी चाहिए.
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प्रदेश के 147 ब्लॉकों में बंद
सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष बीएस राउटे ने कहा कि प्रदेशभर में ब्लॉक स्तर पर विरोध प्रदर्शन होगा. 147 ब्लॉकों में सर्व आदिवासी समाज ने बंद का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि आदिवासी अपने अधिकारों के धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. हमारी मांग है कि सरकार आदिवासियों के हित में तत्काल निर्णय ले. अब हम अपना अधिकार लिए बिना पीछे नहीं हटेंगे.