छत्तीसगढ़ HC की टिप्पणी, शादी के बाद पत्नी का अलग कमरे में रहना पति के साथ क्रूरता, जानें पूरा मामला
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छत्तीसगढ़ HC की टिप्पणी, शादी के बाद पत्नी का अलग कमरे में रहना पति के साथ क्रूरता, जानें पूरा मामला

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के जस्टिस ने एक मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि एक घर में पत्नी अलग कमरे में रह रही है, तो यह पति के साथ मानसिक क्रूरता है. जानिए क्या है पूरा मामला. 

छत्तीसगढ़ HC की टिप्पणी, शादी के बाद पत्नी का अलग कमरे में रहना पति के साथ क्रूरता, जानें पूरा मामला

Chhattisgarh High Court News: छत्तीसगढ़ से महिलाओं से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. बता दें कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच की जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार ने एक केस को लेकर टिप्पणी की है और कहा है कि एक घर में पत्नी अलग कमरे में रह रही है, तो यह पति के साथ मानसिक क्रूरता है. इस मामले को लेकर जस्टिस ने पति को तलाक के लिए हकदार मानते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को सही माना है. जानिए क्या है पूरा मामला. 

क्या है मामला 
पूरा मामला छत्तीसगढ़ से बिलासपुर का है. यहां पर एक केस को लेकर जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार अग्रवाल ने एक टिप्पणी की है और कहा कि एक घर में पत्नी अलग कमरे में रह रही है, तो यह पति के साथ मानसिक क्रूरता है. साथ ही साथ इस केस में पति को तलाक के लिए हकदार माना है. 

आपको बता दें कि साल 2021 में युवक की युवती से शादी दुर्ग में हुई थी, युवक के मुताबिक, शादी के बाद पत्नी अपने पति के चरित्र पर शक करती थी, इसे लेकर वो आए दिन विवाद करती थी, यहां तक पत्नी ने शादी के बाद यह कह दिया कि वह पति के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाएगी, क्योंकि, उसका किसी दूसरी महिला से संबंध है, विवाद के बाद पति और घरवालों की समझाइश के बाद पत्नी राजी हो गई, हालांकि कुछ दिनों बाद फिर से विवाद शुरू हो गया. 

इसके बाद परिजनों ने सामाजिक बैठक बुलाई लेकिन यहां भी कोई हल नहीं निकला और सुलह नहीं हो पाई, पति-पत्नी के विवाद और मनमुटाव के चलते दोनों एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहने लगे, विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों की कई बार बैठक बुलाई, आखिर में कहा गया कि दोनों बेमेतरा में जाकर रहें, सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर जनवरी 2022 से दोनों साथ रहने लगे, लेकिन युवक के मुताबिक, पत्नी यहां भी अलग कमरे में सोती थी। मानसिक रूप से परेशान होकर पति ने तलाक लेने की सोची. 

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 के तहत फैमिली कोर्ट में मामला दायर किया, इसे मंजूर भी कर लिया गया, वहीं पत्नी ने अपने लिखित बयान में पति के लगाए आरोपों से इनकार किया है, उसने पति का मामला खारिज करने की मांग की, इसे लेकर पत्नी ने कोर्ट को बताया कि, शादी की रात उनके शारीरिक संबंध बने, जिसे वो साबित नहीं कर पाई, शादी के बाद अक्टूबर 2021 तक वह और उसके पति ने अच्छे माहौल में शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन बिताया और दोनों साथ रहते थे. 

इसके अलावा पत्नी ने बताया कि, उसने पति को कहा था कि ममेरी बहन के साथ व्यवहार पसंद नहीं आया, हालांकि यह नहीं बता सकी कि पति का ममेरी बहन के साथ कौन सा व्यवहार पसंद नहीं आया, वहीं पति ने कहा कि भाभी के साथ भी संबंधों को लेकर पत्नी को शक था, इसके अलावा बताया कि पत्नी बेवजह बेबुनियाद आरोप लगाती थी, ऐसे आरोप किसी भी सभ्य व्यक्ति के लिए सहन नहीं हो सकता है. 

दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट ने पति के आवेदन को स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री को मंजूर करते हुए तलाक की अनुमति दे दी, फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील पेश की, जिसमें उसने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज करने की मांग की थी, साथ ही कहा कि फैमिली कोर्ट ने बिना तथ्यों को सुने तलाक का आदेश दिया है, हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों को सुना, जिसके बाद फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए पत्नी की अपील को खारिज कर दिया है. इसके अलावा कहा है कि एक घर में पत्नी अलग कमरे में रह रही है, तो यह पति के साथ मानसिक क्रूरता है. 

(बिलासपुर से शैलेंद्र सिंह ठाकुर की रिपोर्ट)

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