Chhattisgarh Kitchen Garden Scheme: कोरबा में किचन गार्डन की परिकल्पना जिले के छात्रावासों के लिए वरदान साबित हो रही है. जिले के 183 में 57 छात्रावास सब्जी के मामले में आत्मनिर्भर हो गए हैं. छात्रावासों के करीब 42 एकड़ जमीन पर विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती की जा रही है.
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नीलम पड़वार/कोरबा:आदिवासी विकास विभाग द्वारा तीन साल पूर्व सरकारी छात्रावासों में किचन गार्डन योजना (Kitchen Garden Scheme) की शुरुआत की गई थी. ताकि हॉस्टल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए ताजी हरी सब्जियां उपलब्ध हो सके. इसके लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा छात्रावासों के भृत्य व सफाईकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया. छात्रावास परिसर की खाली पड़ी जमीन पर विभिन्न प्रकार की सब्जी के बीज लगाए गए और आखिरकार मेहनत रंग लाई और तीन साल के भीतर जिले के 57 छात्रावासों में किचन गार्डन लहलहाने लगी. भिंडी, बरबट्टी, गोभी, आलू, टमाटर, लौकी और विभिन्न प्रकार की सब्जियां किचन गार्डन में उपलब्ध हैं. किचन गार्डन से बच्चों को न सिर्फ ताजी सब्जियां मिल रही हैं, बल्कि वे सब्जियों का बिजनेस भी करने लगे हैं.
150 से ज्यादा जगहों पर सब्जियां उगाई गई हैं
कोरबा कलेक्टर संजीव झा की माने तो 150 से ज्यादा जगहों पर सब्जियां उगाई गई हैं. जिनमें 57 छात्रावासों के अलावा जिन आश्रमों और विद्यालयों यानी जिनके परिसर में जगह है. वहां सब्जियां उगाई गईं हैं. जिनमें से कई जगहों में 8 से 10 क्विंटल तक आलू और प्याज का उत्पादन किया गया है. कलेक्टर संजीव झा ने आगे बताया कि इससे बच्चे आत्मनिर्भर बनेंगे. साथ ही खेतीबाड़ी के प्रति बच्चों का रुझान बढ़ेगा और उन्हें पौष्टिक सब्जी खाने को मिलेंगी.
योजना से बच्चों को बेहतर पौष्टिक आहार मिल रहा है
गौरतलब है कि सरकारी छात्रावासों में रहने वाले बच्चों के लिए एक दिन में खाने का खर्च 134 रुपये निर्धारित किया गया है. इस लिहाज से प्रत्येक थाली की कीमत 67 रुपये आती है. बच्चों को बेहतर खाना देने के लिए पहले उन्हें बाहर से सब्जी खरीदनी पड़ती थी, जबकि अब हॉस्टल के प्रांगण से ही सभी सब्जियों की सप्लाई की जाती है. प्रशासन की इस महत्वपूर्ण योजना से बच्चों को बेहतर पौष्टिक आहार तो मिल ही रहा है.साथ ही उन्हें कृषि व जल संरक्षण की शिक्षा भी मिल रही है.