धमतरी: जब अड़े डॉक्टर तो झुके कलेक्टर, सिविल सर्जन को हटाने का आदेश लेना पड़ा वापस
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धमतरी: जब अड़े डॉक्टर तो झुके कलेक्टर, सिविल सर्जन को हटाने का आदेश लेना पड़ा वापस

छत्‍तीसगढ़ के धमतरी ज‍िले में कलेक्‍टर और स‍िव‍िल सर्जन को लेकर 5 द‍िन पहले व‍िवाद हुआ था. विवाद  5 दिन पुरानी लाश के पोस्टमार्टम को लेकर शुरू हुआ था. उस मामले में कलेक्‍टर को अब डॉक्‍टरों के आगे झुकना पड़ा. 

हॉस्‍प‍िटल में परेशान होते मरीज.

देवेन्द्र मिश्रा/धमतरी: छत्‍तीसगढ़ के धमतरी में जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने आखिरकार कलेक्टर को अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर कर ही दिया. कलेक्टर ने अपना आदेश वापस लेते हुए फिर से डॉक्टर यूएल कौशिक को जिला अस्पताल का सिविल सर्जन बना दिया. इसके साथ ही डॉक्टरों ने भी अपनी हड़ताल वापस ले ली और वापस काम पर लग गए. 

कलेक्‍टर के ऐलान के बाद हड़ताल हुई खत्‍म 

इस दौरान करीब 5 घंटे तक अस्पताल में जांच और इलाज दोनों बंद रहा. बड़ी संख्या में मरीज परेशान होते रहे. पहले मामले को सुलझाने के लिए धमतरी एसडीएम विभोर अग्रवाल डॉक्टरों के बीच गए लेकिन डॉक्टर नहीं माने और हड़ताल पर अड़े रहे. इसके बाद खुद कलेक्टर को हड़ताली डॉक्टरों के पास आना पड़ा. करीब 1 घंटे चर्चा के बाद कलेक्टर को अपना फैसला बदलने का ऐलान करना पड़ा. तभी डॉक्टर हड़ताल खत्म करने पर राजी हुए.

इस वजह से हुआ था व‍िवाद 

मिली जानकारी के अनुसार, यह पूरा विवाद और टकराव 5 दिन पुरानी एक लाश के पोस्टमार्टम को लेकर शुरू हुआ था. लगभग आधी सड़ चुकी महिला की लाश को पोस्टमार्टम के लिए धमतरी से रायपुर मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया. इससे नाराज होकर कलेक्टर ने सिविल सर्जन को ही बदल दिया. कलेक्टर का यह आदेश कुछ घंटे बाद कलेक्टर को ही भारी पड़ गया. क्योंकि इस आदेश से नाराज डॉक्टरों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया और जिला प्रशासन पर आदेश वापस लेने का दबाव बना दिया.  हड़ताल खत्म होने के बाद फिर से सीएस बने डॉक्‍टर कौशिक ने कहा कि अभी बात खत्म हो चुकी है और सब मिलकर काम करेंगे. 

कलेक्‍टर ने द‍िया था ये तर्क 

वहींं, धमतरी कलेक्टर पीएस एल्मा ने भी सारे मामले की जानकारी देते हुए कहा कि डॉक्टरों की मांग पूरी कर दी गई है और अब जिला अस्पताल वापस अपने फंक्शन में लौट चुका है. प्रशासनिक दृष्टिकोण से सीएस को हटाया गया था. जिला अस्पताल में बहुत सारे कामकाज नहीं हो पा रहे थे. उन्होंने कहा कि अस्पताल निरीक्षण के दौरान उन्हें कई सारी खामियां नजर आईं थी. इसलिए सिविल सर्जन को हटाया गया था.

डॉक्‍टरों की हड़ताल से मरीज हो रहे थे परेशान 

इस बीच परेशान मरीजों से भी हमने बातचीत की. मरीजों का कहना था कि वह तो गांव से अपना इलाज कराने शहर के अस्पताल आए थे लेकिन अचानक हड़ताल हो जाने से बड़ी संख्या में ऑपरेशन जांच और इलाज सब कुछ थम गया लेकिन अब हड़ताल खत्म होने के बाद मरीजों को भी राहत मिली है. 

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