Father's Day: बचपन में ही खो दिए मां-बाप, आज 600 बच्चों का पिता ये है शख्स, जानिए दिल को छू लेने वाली कहानी...
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Father's Day: बचपन में ही खो दिए मां-बाप, आज 600 बच्चों का पिता ये है शख्स, जानिए दिल को छू लेने वाली कहानी...

आज फादर्स-डे के मौके पर आपको ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जो आपके दिल को छू लेगी. एक ऐसे शख्स के बारे में बता रहे हैं, जो 2 या 4 नहीं, बल्कि पूरे 600 बच्चो का पिता है. ये कहानी छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की है...

Father's Day: बचपन में ही खो दिए मां-बाप, आज 600 बच्चों का पिता ये है शख्स, जानिए दिल को छू लेने वाली कहानी...

Father's Day Specials/थानेश्वर साहू: 18 जून का दिन हर साल फादर्स डे के रूप में मनाया जाता है. लोग इसे सेलिब्रेट करने के लिए अपने पिता को विश करते हैं. आज फादर्स डे के विशेष मौके पर हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलाते हैं, जो 2 या 4 नहीं, बल्कि पूरे 600 बच्चों के पिता हैं. गरियाबंद के रहने वाले 60 साल के श्यामलाल करीब 42 साल से अनाथ आश्रम चला रहे हैं. श्यामलाल के माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थे.

बचपन से ही मां बाप को खोने का दर्द झेल रहे श्याम लाल 18 साल की उम्र से अनाथ बच्चों को पनाह देकर उन्हें नया जीवन देने का काम कर रहे हैं. प्रदेश की सीमा से महज 16 किमी की दूरी पर जाल का अनाथ आश्रम है. श्यामलाल ने अनाथ आश्रम का नाम अपनी मां जसोदा के नाम से रखा है. फिलहाल यहां 100 बच्चे रह रहे हैं, जिसमें 8 दूध मुंहे हैं.और 30 दिव्यांग हैं. 15 बेटों का विवाह भी करा दिया गया है.

2008 से शुरू हुआ अनुदान मिलना
इनमें से 12 बच्चे सरकारी नौकरी भी करते हैं. पिछले 40 साल में इस परिवार में 600 से ज्यादा बच्चे पल चुके हैं. जिसमें से 87 बच्चे सिर्फ प्रदेश के देवभोग अंचल से हैं. छत्तीसगढ़ ओडिशा के अलावा विदेशों से आए 167 निसंतान दंपत्ति यहां से बच्चे गोद ले चुके हैं. इस आश्रम को 2008 के बाद सरकारी अनुदान मिलना शुरू हुआ. इससे पहले तक जाल मजदूरी व टेलर का काम व समाज सेवी लोगों के मदद से अनाथ आश्रम चलाते थे. 

37 बेटियों की करा चुके शादीक
श्यामलाल के खुद के 3 बच्चे भी हैं, लेकिन अनाथों के प्रति ज्यादा लगाव देख पत्नी भी घर छोड़ कर चली गई थी. फिर सेवा भाव का मन होने के बाद आज पत्नी भी पूरा सहयोग करती है. इस दंपत्ति ने आश्रम के 37 बेटियों की शादी भी कराई है. मायका का सारा रस्म निभा रहे हैं. भगवान के रूप माने जाने वाले बच्चों के इस मंदिर में ज्यादातर लोग अपना यादगार दिन मनाने भी पहुंचने लगे हैं.

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