जशपुर में मृतक के शव को कब्र से बाहर निकालने की मांग, जानिए क्या ये पूरा मामला?
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जशपुर में मृतक के शव को कब्र से बाहर निकालने की मांग, जानिए क्या ये पूरा मामला?

Chattisgarh News in Hindi: जशपुर जिले में धर्मांतरण को लेकर एक विवादित मामला सामने आया है. मृतक राजेंद्र चौराट का परिवार, जिसने ईसाई धर्म अपनाया था, अब उनके शव को कब्र से निकालकर हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार की मांग कर रहा है.

Jashpur News in Hindi

Jashpur News in Hindi: जशपुर में धर्मांतरण का एक ऐसा मामला सामने आया है जो आपको झकझोर कर रख देगा. जीते जी जिस आदमी की घर वापसी नहीं हो सकी, उसके मौत के बाद उसकी हिंदू धर्म में वापसी के लिए परिजनों ने कब्र खोदकर शव सुपुर्द करने की मांग की है, ताकि वे हिंदू रीति-रिवाज से मृतक के शव का अंतिम संस्कार कर सकें. जशपुर जिले में धर्मांतरण को लेकर एक संवेदनशील विवाद उत्पन्न हो गया है. मृतक राजेंद्र चौराट, जिनकी आकाशीय बिजली गिरने से मृत्यु हो गई थी, को ईसाई रीति-रिवाज से दफनाया गया था. मृतक की पत्नी का दावा है कि उनके पति ने ईसाई धर्म अपना लिया था, लेकिन मृतक के परिवारजन और स्थानीय भुइंहर समाज का कहना है कि उनका धर्मांतरण अवैध तरीके से कराया गया था. अब परिवार ने शव को कब्र से निकालकर हिंदू रीति से अंतिम संस्कार की मांग की है. इस मुद्दे ने स्थानीय समाज में टकराव पैदा कर दिया है, और पुलिस व प्रशासन मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.

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जानिए पूरा मामला?
दरअसल, मामला जशपुर जिले के मनोरा विकासखंड के खड़कोना गांव का है, जहां से 1905 में जशपुर जिले में ईसाई धर्म की शुरुआत हुई थी. 119 साल पहले खड़कोना में 4 परिवारों ने ईसाई धर्म अपनाया था और अब जिले में लाखों की संख्या में ईसाई समाज के लोग हैं. जशपुर जिले में धर्मांतरण को लेकर अक्सर नए विवाद सामने आते रहते हैं. नया विवाद ईसाई धर्म की शुरुआत करने वाले गांव खड़कोना से ही सामने आया है. खड़कोना में भुइंहर समाज के आदिवासी युवक राजेंद्र चौराट के शव को कब्र से निकालकर हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करने की मांग की गई है. राजेंद्र चौराट की मृत्यु 13 अगस्त को आकाशीय बिजली गिरने से हो गई थी, और उनका शव ईसाई समाज की रीति से दफनाया गया था.

धर्मांतरण पर परिवार में मतभेद
मृतक की पत्नी का दावा है कि उनके पति ने ईसाई धर्म अपना लिया था, इसलिए उन्हें उसी धार्मिक रीति से दफनाया गया. हालांकि, मृतक के माता-पिता और बहनें इस फैसले से असहमत हैं. उनका कहना है कि राजेंद्र का धर्मांतरण अवैध तरीके से कराया गया था और उन्होंने आस्ता थाने में आवेदन देकर शव को वापस देने की मांग की है, ताकि हिंदू परंपराओं के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया जा सके.

समाज में बढ़ता टकराव
इस घटना के बाद भुइंहर समाज और स्थानीय आदिवासी नेताओं ने भी धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाई है. उनका कहना है कि राजेंद्र का धर्मांतरण गैरकानूनी तरीके से कराया गया था, जो समाज और उसकी परंपराओं के खिलाफ है. इस मांग के पीछे उनका तर्क है कि मृतक का अंतिम संस्कार पारंपरिक रीति-रिवाजों से ही होना चाहिए. इस मामले को लेकर समाज में टकराव बढ़ता जा रहा है, जहां एक ओर मृतक के परिवारजन हिंदू रीति से अंतिम संस्कार की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मृतक की पत्नी और ईसाई समाज इसे अस्वीकार कर रहे हैं. पुलिस और प्रशासन इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं, और इसे संवेदनशील मुद्दा मानकर कार्रवाई कर रहे हैं. समाज और परिवार के बीच समाधान निकालने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि इस संवेदनशील मामले में सामंजस्य स्थापित किया जा सके.

रिपोर्ट: शिव प्रताप सिंह राजपूत (जशपुर)

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