Kanwar Yatra 2023: पूरी हुई कांवड़ यात्रा की तैयारियां, बिना आईडी कार्ड के नहीं जा पाएंगे हरिद्वार, जानिए नियम
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Kanwar Yatra 2023: पूरी हुई कांवड़ यात्रा की तैयारियां, बिना आईडी कार्ड के नहीं जा पाएंगे हरिद्वार, जानिए नियम

Kanwar Yatra 2023 Rule: हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ का महीना चल रहा है. इसके बाद सावन का महीना चलेगा. सावन माह बाबा भोलेनाथ के भक्त कांवड़ यात्रा निकालते हैं. जो भी भक्त इसमें जाते हैं उनके लिए कुछ नियम है जो यहां जान सकते हैं.

Kanwar Yatra 2023: पूरी हुई कांवड़ यात्रा की तैयारियां, बिना आईडी कार्ड के नहीं जा पाएंगे हरिद्वार, जानिए नियम

Kanwar Yatra 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय आषाढ़ का महीना चल रहा है. इसके बाद सावन का महीना आएगा. सावन के महीना भगवान शिव के लिए काफी प्रिय होता है. इस महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा निकालते हैं. ज्यादातर भक्त उत्तराखंड हरिद्वार से जल लेते हैं. फिर इसके बाद उज्जैन महाकाल, काशी विश्वनाथ सहित देश भर के ज्योतिर्लिंगों पर जल अर्पित करते हैं. अगर आप भी कांवड़ यात्रा में जाने वाले हैं तो आप इन नए नियम को जान लें वरना आपकी यात्रा अधूरी हो सकती है.

जारी हुई गाइडलाइन 
मिली जानकारी के मुताबिक अगर आप उत्तराखंड स्थिति हरिद्वार जल लेने जा रहे हैं तो आपके पास आईडी कार्ड रहना अनिवार्य है. बिना आईडी कार्ड के आप उत्तराखंड की सीमा में प्रवेश नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा कांवड़िये 12 फिट से ज्यादा ऊंची कांवड़ नहीं ले जा सकते हैं. डीजे बजाने पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है लेकिन डीजे ऊंचे आवाज में नहीं बजाना है. 

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यहां से बनेगी आईडी
जो भी बाबा के भक्त कांवड़ यात्रा में शामिल होना चाहते हैं. तो वो जिला कलेक्ट्रेट से जाकर अपनी आईडी बनवाने के लिए आवेदन करें.  बताया जा रहा है कि आवेदन करने के कुछ ही घंटे बाद आपको आईडी मिल जाएगी. इसके अलावा बता दें कि जिस भी वाहन से आप कांवड़ यात्रा ले जा रहे हैं उसकी स्पीड 20 किमी प्रतिघंटा से ज्यादा नहीं होना चाहिए. बता दें कि इस बार 500 सीसीटीवी कैमरे उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा की निगरानी करेंगे. इसमें 333 सीसीटीवी कैमरे केवल हरिद्वार के मेला क्षेत्र में लगाए गए हैं. 

हरिद्वार का जल
कांवड़ यात्रा के दौरान ज्यादातर संख्या में बाबा के भक्त कांवड़ का जल लेने उत्तराखंड के हरिद्वार आते हैं. हरिद्वार में मां गंगा की नदी है.यहां पर यूपी, एमपी, हरियाणा, छत्तीसगढ़, दिल्ली सहित कई राज्य के लोग आते हैं. यहां पर स्थित हरि की पौड़ी को लेकर मान्यता है कि समुद्रमंथन के बाद जब देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत घट को लेकर छीना-झपटी हो रही थी तो उसमें कुछ बूंदें हरिद्वार में 'हर की पौड़ी' पर गिर पड़ी थीं. जिसकी वजह से यहां का जल काफी पौराणिक माना जाता है. ऐसे में यहां पर काफी संख्या में कांवड़िए आते हैं. बता दें कि इस साल 4 जुलाई से लेकर 15 जुलाई तक कांवड़ यात्रा है.

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