Pendra News: पेंड्रा पहुंची महिला आयोग (NCW) की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेखा शर्मा (Rekha Sharma) ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Muslim Personal Law Board) पर बड़े सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि सरकार इसमें परिवर्तन पर विचार कर रही है. ऐसे लेकर उन्होंने सिफारिस की है. रेखा शर्मा के इस बयान से नई चर्चा ने जन्म ले लिया है.
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Pendra News: दुर्गेश सिंह बिसेन/पेंड्रा। छत्तीसगढ़ प्रवास पर पेंड्रा पहुंचीं महिला आयोग (NCW) की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेखा शर्मा (Rekha Sharma) ने मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में आयोग को आ रही समस्याओं के बारे में बात कही. साथ ही उन्होंने महिलाओं के लिए भी एक विधान एक संविधान की मांग होने की बात कही. उन्होंने मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (Muslim Personal Law Board) पर भी सवाल उठाए हैं.
पर्सनल लॉ के कारण आयोग नहीं कर पाता मदद
महिलाओं के लिए भी एक विधान एक संविधान की मांग महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेखा शर्मा ने की. मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जब हर धर्म की महिलाओं की तकलीफें एक है तो कानून अलग-अलग क्यों ? मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की वजह से महिला आयोग मुस्लिम महिलाओं की नहीं कर पाता.
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एक जैसा होना चाहिए कानून
मुस्लिम महिलाओं के महिला आयोग जानें के स्थान पर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड में जाने के सवाल पर रेखा शर्मा ने कहा कि महिलाओं से संबंधित सभी कानून एक जैसे होने चाहिए. महिलाएं चाहे किसी भी धर्म की हो सभी की तकलीफ एक जैसी हैं. महिलाएं चाहे हिंदू हो मुस्लिम हो बौद्ध व जैन हो जब हमारी तकलीफ एक है, परेशानियां एक ही हैं तो कानून अलग-अलग क्यों? हमने यह बात सरकार के संज्ञान में भी लाया है और अलग-अलग फोरम में भी उठाते रहे हैं.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में होगा परिवर्तन?
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड पर सवाल उठाते हुए कहा कि हिंदू ईसाई बौद्ध जैन सिख सब एक ही कानून मानते हैं तो मुस्लिम पर्सनल ला क्यों? क्या उनकी महिलाओं को वह तकलीफे नहीं है जो अन्य धर्म की महिलाओं को हैं. यदि कानून एक होगा तो हमारी मदद उन तक भी पहुंच सकेगी. उन्होंने कहा कि सरकार भी अब इसमें परिवर्तन करने की सोच रही है. आयोग ने इसकी सिफारिश की है.
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महिलओं की तस्करी बढ़ी है
उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद महिला एवं बच्चियों की तस्करी बढ़ी है, जिसके लिए महिला आयोग ने एंटी ट्रेस की सेल बनाया है. छत्तीसगढ़ ही नहीं झारखंड, पश्चिम बंगाल में भी महिला एवं बच्चियों की तस्करी बढ़ी है. आदिवासी महिलाओं को शहरों में काम दिलाने के नाम पर ले जाया जाता है और वहां जब उन्हें काम नहीं मिलता तो उनके साथ गलत चीजें होती है. इसे लेकर आयोग जल्द ही जागरूकता अभियान चलाने जा रहा है.
क्या कहते हैं आंकड़े
बता दें एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वह 2019 में Victim trafficing में 18 वर्ष से कम उम्र के 52 युवक एवं 61 युवतियों की तस्करी हुई. जबकि 131 पुरुष और 94 महिलाओं की तस्करी हुई. इस तरह तस्करी के 338 मामले रिकॉर्ड में आए. ज्ञात हो कि ये वे आंकड़े हैं जिनमें कहीं ना कहीं पुलिस को शिकायत हुई पर ऐसे मामलों का कोई रिकॉर्ड नहीं जिनमें कहीं शिकायत ही नहीं दर्ज की गई.
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