CM शिवराज ने सिलावट और राजपूत को सौंपे विभाग, जानिए किसे क्या जिम्मेदारी मिली
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CM शिवराज ने सिलावट और राजपूत को सौंपे विभाग, जानिए किसे क्या जिम्मेदारी मिली

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 3 जनवरी को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को शामिल किया था. दोनों विधायकों को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी. 

गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट

भोपाल: शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल किए गए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक दो विधायक गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को विभागों का आवंटन कर दिया गया है. दोनों मंत्रियों को उनके पहले वाले विभाग ही दिए गए हैं. गोविंद सिंह राजपूत को राजस्व और परिवहन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. वहीं तुलसी सिलावट को इस बार जल संसाधन के साथ मछुआ कल्याण तथा मत्स्य कल्याण विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गयी है.

बीते रविवार को हुआ था शपथ ग्रहण समारोह 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 3 जनवरी को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को शामिल किया था. दोनों विधायकों को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी. ये दोनों सिंधिया समर्थक नेता हैं और उनके साथ ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे. राजपूत और सिलावट ने वर्तमान शिवराज सरकार में दूसरी बार मंत्री पद की शपथ ली है. इससे पहले दोनों विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद मंत्री बने थे. 

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इस वजह से देना पड़ा था इस्तीफा 
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए दोनों नेताओं को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 अप्रैल को मंत्रिमंडल में शामिल किया था. लेकिन 6 महीने के अंदर विधायक न बन पाने की वजह से दोनों को उपचुनाव के ठीक पहले इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में सिलावट और राजपूत अपनी परंपरागत सीटों सांवेर और सुरखी से चुनाव जीतकर विधायक बने. उसके बाद से ही यह कयास लगाए जाने लगे थे कि दोनों को फिर से शिवराज कैबिनेट में शामिल किया जाएगा, ऐसा ही हुआ. 

दोनों विधायक तीसरी बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने हैं. सबसे पहले उन्हें कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. तब तुलसी सिलावट प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री थे और गोविंद सिंह राजपूत उस वक्त भी राजस्व और परिवहन मंत्री थे. बाद में दोनों जब बीजेपी में शामिल हुए तो सिलावट को जलसंसाधन और गोविंद सिंह राजपूत को खाद्य एवं सहकारिता विभाग की जिम्मेदारी दी गयी थी. लेकिन जब शिवराज सिंह चौहान ने वर्तमान सरकार का दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार किया तब गोविंद सिंह राजपूत फिर से राजस्व एवं परिवहन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी थी. वर्तमान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित मंत्रिमंडल में कुल 31 सदस्य हैं, अधिकतम मंत्रियों की संख्या 35 हो सकती हैं. फिलहाल 4 मंत्रियों की जगह खाली है जिसे डैमेज कंट्रोल की स्थिति में  भरा जा सकता है.

तुलसी सिलावट का राजनीतिक सफर 

तुलसी सिलावट 1977 से 1979 तक शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, इंदौर में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे. 1979 से 1981 तक देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. वह 1982 में नगर निगम इंदौर के पार्षद बनने के बाद चर्चा में आए. 1985 में 8वीं विधानसभा में पहली बार विधायक बने और कांग्रेस पार्टी के संसदीय सचिव पद की अहम जिम्मेदारी निभाई. 1995 में नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे. उन्होंने साल 1998 से 2003 के बीच प्रदेश के ऊर्जा विकास निगम का अध्यक्ष पद संभाला. इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष पद के पर भी रहे. सिलावट को 2007 में सांवेर सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर टिकट दिया और वह जीते. 

साल 2008 के आम चुनाव में भी उन्होंने तीसरी बार सांवेर सीट पर जीत हासिल की. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने चौथीं बार इस सीट से जीत दर्ज की और 25 दिसंबर 2018 को कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हुए. उन्हें स्वास्थ्य विभाग की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन उन्होंने 10 मार्च 2020 को सिंधिया समर्थक विधायकों के साथ इस्तीफा देकर बीजेपी की सदस्यता ले ली. शिवराज सरकार में उन्हें जल संसाधन और मछुआ कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई. 20 अक्टूबर 2020 को इन्हें भी गोविंद सिंह राजपूत के साथ मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि बिना विधायक बने 6 महीने तक ही मंत्री पद पर रह सकते हैं. उपचुनाव में सांवेर से जीत दर्ज कर विधायक बनने के बाद एक बार फिर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया है. 

गोविंद सिंह राजपूत का राजनीतिक सफर 

गोविंद सिंह राजपूत ने अपने राजनितिक करियर की शुरुआत मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस से की. यहीं से वह युवा कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के सदस्य बने. साल 2002 में उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी का महासचिव बनाया गया. तभी से उनके विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने की अटकलें तेज हुईं. साल 2003 में वह सुरखी से 12वीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और पार्टी विधायक दल के सचेतक और प्राक्कलन, याचिका एवं सरकारी उपक्रम के सदस्य बने. 

साल 2008 में वह दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार सुरखी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. राजपूत ने भी सिंधिया के साथ 10 मार्च 2019 को कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता ले ली थी. शिवराज सरकार में उन्हें खाद्य एवं सहकारिता मंत्री बनाया गया, वह कमलनाथ सरकार में भी मंत्री थे. बिना विधायक मंत्री बने रहने की 6 माह की अवधि खत्म होने पर उन्हें 20 अक्टूबर को इस्तीफा देना पड़ा. सुरखी उपचुनाव में कांग्रेस की पारुल साहू पर जीत दर्ज कर वह यहां से चौथी बार विधायक बने. उन्हें शिवराज कैबिनेट शामिल कर लिया गया है.

 

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