कमलनाथ सरकार में सिंधिया सोसायटी को 100 रुपए में दी गई 146 एकड़ जमीन, कैबिनेट कमेटी करेगी रिव्यू
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कमलनाथ सरकार में सिंधिया सोसायटी को 100 रुपए में दी गई 146 एकड़ जमीन, कैबिनेट कमेटी करेगी रिव्यू

कमलनाथ के सरकार के पिछले 6 महीने के फैसलों का रिव्यू किया जा सके, इसके लिए कमेटी की 2 बैठकें भी हो चुकी हैं. इस बैठक में अफसरों को सख्त निर्देश दिया गया है कि वे सभी फैसलों के दस्तावेज कमेटी के समक्ष रखें. 

कमलनाथ सरकार में सिंधिया सोसायटी को 100 रुपए में दी गई 146 एकड़ जमीन, कैबिनेट कमेटी करेगी रिव्यू

भोपाल: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सिंधिया एजुकेशन सोसायटी को 100 रुपए में 146 एकड़ (59.015 हेक्टेयर) जमीन दी गई है. यह जमीन 99 वर्षों के लिए सिर्फ टोकन मनी की राशि पर आवंटित की गई है. लेकिन अब यह मामला खबरों में आ सकता है, क्योंकि शिवराज सरकार कमलनाथ सरकार के आखिरी 6 महीनों में लिए गए फैसलों का रिव्यू करेगी. 

रिव्यू कमेटी की जांच में खुल सकता है मामला
कमलनाथ के सरकार के पिछले 6 महीने के फैसलों का रिव्यू किया जा सके, इसके लिए कमेटी की 2 बैठकें भी हो चुकी हैं. इस बैठक में अफसरों को सख्त निर्देश दिया गया है कि वे सभी फैसलों के दस्तावेज कमेटी के समक्ष रखें. 

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नियमों में बदलाव कर दी गई जमीन
बताया जा रहा है कि 2013 में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले की कैबिनेट में सिंधिया एजुकेशन सोसायटी को जमीन लीज पर देने का मामला सामने आया था. उस वक्त मुख्य सचिव आर परशुराम थे. फाइल तैयार होने के बाद इसे मंजूरी नहीं मिल पाई थी. वहीं, 2013 में सरकार बदलने के बाद कमलनाथ सरकार ने नियमों में परिवर्तन कर जमीन को आवंटित कर दिया. 

212 करोड़ है जमीन की कीमत
कमलनाथ सरकार की तरफ से सिंधिया समाज को जो जमीन 99 वर्षों के लिए लीज पर दी गई है. उसकी कीमत 212 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

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इन शर्तों पर मिली थी जमीन
1- सिंधिया एजुकेशन सोसायट की तरफ से जमीन का प्रयोग सिर्फ शैक्षिक कार्यों के लिए किया जाएगा. साथ ही जमीन किसी भी व्यक्ति को ट्रांसफर नहीं हो सकेगी.
2-लीज पर दी गई जमीन पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकार वाली कोई भूमि शामिल नहीं होगी. 
3-भूमि के आसपास के पर्यटन स्थलों पर यात्रियों के आने-जाने पर प्रतिबंध नहीं होगी.
4-आवंटित जमीन न्यायालय के आदेशों के अधीन रहेगी.

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पिछली सरकार में बंद हुआ था टोकन राशि पर आवंटन 
2012 से पहले जमीन आवंटन को लेकर एक विवाद सामने आया था. जिसमें कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन बाद में हुआ था और टोकन राशि पर जमीन पहले जमा कर दी गई थी. इसको लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया था. तभी से शिवराज सरकार ने टोकन राशि पर सरकारी जमीनों का आवंटन बंद कर दिया था. 

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