मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा को छोड़ दिया जाए तो कहीं भी कांग्रेस के पास जिला स्तरीय दफ्तर नहीं है. दफ्तरों के निर्माण में कांग्रेस बीजेपी से पीछे नहीं रहना चाहती.
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भोपालः 15 सालों का मध्य प्रदेश में सत्ता का सूखा खत्म होने के बाद कांग्रेस के अब दिन फिरने लगे हैं. जो कांग्रेस कभी आर्थिक तंगहाली से जूझ रही थी, वह 7 महीने में इतनी तेजी से बदली कि अब समूचे मध्यप्रदेश में कांग्रेस के जिला स्तर पर दफ्तर बनाए जाने की कवायद शुरू हो गई है और तो और प्रदेश कांग्रेस ने तमाम जिलों के जिला अध्यक्षों और प्रदेश कांग्रेस के जिलों से सरोकार रखने वाले पदाधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं कि वह अपने जिलों में जिला स्तरीय कार्यालय के लिए जमीनों का चयन कर लें.
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा को छोड़ दिया जाए तो कहीं भी कांग्रेस के पास जिला स्तरीय दफ्तर नहीं है. दफ्तरों के निर्माण में कांग्रेस बीजेपी से पीछे नहीं रहना चाहती. यही कारण है कि सरकार आते ही कांग्रेस संगठन अपने दफ्तरों के निर्माण में जुट चुकी है और दफ्तर ऐसे-वैसे नहीं हाईटेक दफ्तर बनाने की तैयारी कांग्रेस ने कर रखी है. वक्त पड़ने पर भोपाल के दफ्तर से प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष किसी भी वक्त यदि जिलों के जिलाध्यक्ष से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करना चाहें तो वह भी संभव हो सके.
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प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा की मानें तो प्रदेश कांग्रेस ने सभी जिलों के जिला अध्यक्षों को दफ्तर निर्माण के लिए जमीन देखने को कहा है. कांग्रेस सभी जिलों में अपने दफ्तरों का निर्माण करेगी. इसका फंड कांग्रेस के द्वारा किया जाएगा. वहीं दफ्तर के मामले पर संगठन को सत्ता का भी साथ मिला है.
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मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा की मानें तो जितने विधायक हैं प्रभारी मंत्री हैं इस काम की मॉनिटरिंग करेंगे कांग्रेस के हर जिले में जिले कार्यालय के रूप में इन दफ्तरों का निर्माण किया जाएगा. इसकी कवायद शुरू कर दी गई है. वहीं बीजेपी ने कांग्रेस के दफ्तर निर्माण की योजना को वसूली अभियान बताया है. बीजेपी नेता हितेश वाजपेई की मानें तो कांग्रेसी अब दफ्तर निर्माण के लिए वसूली अभियान चलाने वाले हैं, जिसके तहत अलग-अलग इलाकों से दफ्तरों के लिए चंदा वसूला जाएगा.