शनिवार को रतलाम के गांव पंचेवा में सुबह गुजर रहे राहगीर को गांव के पास सड़क किनारे कचरे के ढेर में नवजात का शव मिला, जिससे गांव में हड़कंप मच गया और ग्रामीणों की भीड़ लग गयी.
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चन्द्रशेखर सोलंकी/रतलाम: मध्यप्रदेश में आज भी बेटियों के जन्म को लेकर समाज मे मानसिकता नही बदली और बेटियों को आज भी बोझ समझा जा रहा है, यही कारण है की लगातार नवजात बच्चियों के शव मध्यप्रदेश में कचरे के ढेर में मिल रहे हैं.रतलाम में पिछले माह ही एक नवजात बच्ची रोती बिलखती कचरे के ढेर में मिली थी और एक बार फिर ऐसा ही शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है, जहां शनिवार को रतलाम के गांव पंचेवा में सुबह गुजर रहे राहगीर को गांव के पास सड़क किनारे कचरे के ढेर में नवजात का शव मिला, जिससे गांव में हड़कंप मच गया और ग्रामीणों की भीड़ लग गयी.पुलिस को सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पंहुची और नवजात के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया. गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है और लोग नवजात के शव को कचरे के ढेर में फेंकने वाली उस माँ की ममता पर सवाल खड़े कर रहे हैं. फिलहाल पुलिस मामले की जांच की बात कह रही है.
सरकार के कवायदे समाज मे जागरूकता अभियान सभी की कोशिशें विफल होती नजर आ रही हैं, समाज में आज भी बेटी को बोझ माना जा रहा है और यही कारण है कि आज भी कचरे के ढेर में कभी नवजात बच्चियों के शव तो कभी रोते बिलखते नवजात मिलने का सिलसिला जारी है, आज जहां बेटियां एक से बढ़कर एक कीर्तिमान बनाकर देश का नाम रोशन कर रही है वही आज भी समाज मे बेटी बोझ की मानसिकता की जड़े फैली हुई है.