मिलावटखोरी के आरोपी की रासुका निरस्त, कोर्ट ने कलेक्टर की बुद्धि पर उठाए सवाल, लगाया 10,000 जुर्माना
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मिलावटखोरी के आरोपी की रासुका निरस्त, कोर्ट ने कलेक्टर की बुद्धि पर उठाए सवाल, लगाया 10,000 जुर्माना

जस्टिस शील नागू और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा, ''जेल में बंद व्यक्ति पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की कार्रवाई करना निजी स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार का हनन करने जैसा है. ऐसा प्रतीत होता है कि रासुका लगाते समय बुद्धि का प्रयोग नहीं किया गया.''

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का ग्वालियर बेंच.

ग्वालियरः मुरैना के दूध कारोबारी पर लगाई गई रासुका (National Security Act) को जबलपुर हाई कोर्ट के ग्वालियर बेंच ने निरस्त कर दिया है. साथ ही अदालत में मुरैना कलेक्टर पर 10 हजार का जुर्माना लगाया है. एंटी माफिया अभियान के तहत मुरैना कलेक्टर ने आरोपी दूध कारोबारी पर रासुका की कार्रवाई की थी. अब उल्टा 30 दिन के अंदर कलेक्टर को 10,000 रुपए का जुर्माना भरना होगा.

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मिलावटी दूध बेचने के आरोप में हुई थी रासुका की कार्रवाई
मुरैना जिला प्रशासन ने मिलावटी दूध बेचने के आरोप में अवधेश शर्मा को 1 दिसम्बर 2020 को गिरफ्तार किया था.  कलेक्टर ने अगले ही दिन आरोपी पर रासुका की कार्रवाई कर दी. दूध कारोबारी ने रासुका लगाने की कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट बेंच ग्वालियर में याचिका दायर की थी.  हाइ कोर्ट ने इसे नियमविरुद्ध मानते हुए अवधेश शर्मा पर लगा एनएसए तुरंत प्रभाव से निरस्त कर दिया. हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ऐसा लगता है जैसे जिला प्रशासन की कार्रवाई द्वेष पूर्ण है. 

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रासुका लगाते वक्त नहीं हुआ बुद्धि का प्रयोगः हाई कोर्ट
जस्टिस शील नागू और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा, ''जेल में बंद व्यक्ति पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की कार्रवाई करना निजी स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार का हनन करने जैसा है. ऐसा प्रतीत होता है कि रासुका लगाते समय बुद्धि का प्रयोग नहीं किया गया.'' कोर्ट ने शासन और मुरैना कलेक्टर को 30 दिन के भीतर 10 हजार रुपए का अर्थदंड भरने का आदेश दिया. यह राशि याचिकाकर्ता को दी जाएगी.

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क्या है रासुका लगाने का नियम?
रासुका के सेक्शन 8 में संबंधित व्यक्ति को उसके खिलाफ की गई कार्रवाई का आधार बताना होता है. अवधेश शर्मा के मामले में इस प्रक्रिया की अनदेखी की गई. रासुका की कार्रवाई की पुष्टि के लिए जिले से राज्य को और वहां से केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाता है. केंद्र से स्वीकृति मिलने के बाद रासुका की कार्रवाई को वैध माना जाता है. मुरैना प्रशासन ने इस प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया.

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