आपको बता दें कि 45 वर्षीय दीपक मरावी भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Bharat Biotech's Covaxin) के ट्रायल में शामिल हुए थे. उन्हें 12 दिसंबर को टीका लगा था और 21 दिसंबर को उनकी मौत हो गई थी.
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भोपालः भोपाल के पीपुल्स हॉस्पिटल में कोवैक्सीन (Bharat Biotech's Covaxin) ट्रायल डोज लेने वाले वालंटियर दीपक मरावी की बिसरा रिपोर्ट आ गई है. जिसके बाद उसकी मौत का मामला और उलझ गया है. मरावी की बिसरा रिपोर्ट के मुताबिक उसके शरीर में एथाइल एल्कोहल (Ethyl Alcohol) और ओमेप्रोजॉल टैबलेट (Omeprazole, एसिडिटी की दवा) के अंश मिले हैं. जहर का नामोनिशान नहीं मिला है.
दीपक की बिसरा रिपोर्ट में जो तत्व उसके शरीब में मिले उनसे मौत नहीं हो सकती
विशेषज्ञों की मानें तो किसी इंसान के शरीर में पाए गए दोनों ही तत्व उसकी मौत का कारण नहीं बनते. आपको बता दें कि 45 वर्षीय दीपक मरावी भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Bharat Biotech's Covaxin) के ट्रायल में शामिल हुए थे. उन्हें 12 दिसंबर को टीका लगा था और 21 दिसंबर को उनकी मौत हो गई थी.
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परिजनों ने दीपक की मौत का कारण कोवैक्सीन का इफेक्ट बताया
परिजनों ने आरोप लगाया कि दीपक की मौत कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट के कारण हुई है. हालांकि पीपुल्स मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बात को सिरे से खारिज कर दिया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी दीपक मरावी की मौत का कारण शरीर में जहरीले पदार्थ का पाया जाना बताया गया था.
बिसरा रिपोर्ट को सही नहीं मान रहा मरावी का परिवार
अब बिसरा रिपोर्ट आने के बाद दीपक मरावी की मौत का मामला फिर से उठने लगा है. हालांकि मरावी का परिवार बिसरा रिपोर्ट को सही नहीं मान रहा है. मृतक के बेटे का कहना है कि कि उसके पिता 12 दिसंबर को वैक्सीन लगवाकर आए थे, उसके बाद से घर से बाहर ही नहीं निकले. फिर शराब कहां से पी लिया? जैसा कि विसरा रिपोर्ट में एल्कोहल की पुष्टि हुई है.
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पीपुल्स हॉस्पिटल को मिली थी क्लीन चिट
कांग्रेस पार्टी के साथ अन्य लोगों द्वारा सवाल उठाए जाने पर मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने दीपक मरावी मामले में पीपुल्स मेडिकल कॉलेज की भूमिका और लापरवाही की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था. हमीदिया अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. एके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी ने एक दिन में जांच कर पीपुल्स मेडिकल कॉलेज को मामले में क्लीन चिट दे दी थी.
मामले में अभी और जांच की जरूरत
इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि दीपक मरावी की बिसरा रिपोर्ट में एथाइल एल्कोहल और ओमेप्रोजॉल पाया गया है. ओमेप्रोजॉल एसिडिटी दूर करने वाली दवा है और डॉक्टर उसे अमूमन अन्य दवाओं के साथ लिखते हैं. इसके सेवन से किसी की मौत नहीं हो सकती है. यह जांच का विषय है कि मृतक और कौन सी दवाएं ले रहा था, जिसने एल्कोहल के साथ मिलकर जहर का काम किया.
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क्या होती है बिसरा रिपोर्ट?
किसी व्यक्ति की मौत के बाद मौत के कारणों को पता लगाने के लिए मृतक के शरीर के कुछ आंतरिक अंगों को सुरक्षित रखा जाता है. इसे बिसरा कहते हैं. बिसरा का रासायनिक परीक्षण करने के बाद मौत की वजह स्पष्ट हो जाती है. बिसरा सैम्पल की जांच फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री में होती है. सरल शब्दों में कहा जाए तो मानव शरीर के अंदरुनी अंगों जैसे फेफड़े, किडनी, आंत को बिसरा कहा जाता है.
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Ethyl alcohol