मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए बनाए गए सिटी स्पेसिफिक प्लान का पहला चरण पूरा हो गया है. प्लान में शामिल विभागों ने ग्वालियर कमिश्नर को एक रिपोर्ट सौंपी है,.
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नई दिल्लीः मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए बनाए गए सिटी स्पेसिफिक प्लान का पहला चरण पूरा हो गया है. प्लान में शामिल विभागों ने ग्वालियर कमिश्नर को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें बीते एक साल में प्रदूषण कम करने की दिशा में किए गए कार्यों की जानकारी दी गई है. हालांकि तमाम प्रयासों के बावजूद वायु प्रदूषण का स्तर घटने की जगह बढ़ा है. इसकी पुष्टि खुद मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट कर रही है. जिसे देखकर साफ होता है कि ग्वालियर में कई प्रयासों के वाबजूद प्रशासन प्रदूषण को नियंत्रित करने में नाकामयाब रहा है.
बता दें अप्रैल 2018 में एयर क्वालिटी इंडेक्स का आंकड़ा 129.37 था, लेकिन एक साल बाद ये आंकड़ा बढ़कर 154.69 पर पहुंच गया है. जिसके चलते शहर में शुरू किए गए सिटी स्पेसिफिक प्लान को फेल बताया जा रहा है. बता दें ग्वालियर शहर में सबसे ज्यादा प्रदूषण डीडी नगर और महाराज बाड़े पर होता है. हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर इसकी वजह मौसम को मान रहे हैं जबकि इसके इतर जमीनी हकीकत कुछ और है.
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बता दें शहर में धुंआ छोड़ते कंडम वाहनों की अभी भी भरमार है, जिनपर अभी तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है. वहीं शहर में साफ-सफाई भी न के बराबर ही है. सड़को पर भी डस्ट फ्री करने का कोई काम नहीं हुआ है. इसके बाद अब जिन अधिकारियों पर प्रदूषण कम करने की जवाबदारी है उन्हीं पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिरकार जब प्रदूषण घटाने के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं तो फिर प्रदूषण घटने की जगह बढ़ क्यों रहा है. वहीं अधिकारियों की मानें तो भिंड और आसपास के इलाकों में जलाया जा रहा कचरा और खुले में फेका जा रहा कचरा और कूड़ा इस प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है. जिस पर प्रशासन पूरी तरह से रोक लगाने की कोशिश कर रहा है.