एक बिजनेस को बेहतर तरीके से चलाने के लिए फंड्स की जरूरत होती है. छोटे या बड़े, कैसे भी बजट की जरूरत, किसी भी बिजनेस में कभी भी आ सकती है.
Written by Web Desk Team | Published :December 29, 2022 , 5:43 am IST
एक बिजनेस को बेहतर तरीके से चलाने के लिए फंड्स की जरूरत होती है. छोटे या बड़े, कैसे भी बजट की जरूरत, किसी भी बिजनेस में कभी भी आ सकती है. समय पर मिला पैसा बिजनेस को आगे बढ़ाने में सहायक भी हो सकता है. फंडिंग के लिए सबसे आसान तरीका है किसी भी बैंक से लोन लेना. बिजनेस लोन आपकी फंड जरूरतों को तो पूरा करते ही हैं आपके टैक्सी की बचत भी करवाते हैं. जिसे आप एक एक्स्ट्रा बेनिफिट मान सकते हैं. लोन मिलेगा या नहीं ये कई अलग अलग बातों पर डिपेंड करता है. जिसमें आपका बिजनेस किस हाल में है, बाजार में वो कितना कॉम्पिटिशन दे रहा है, उसमें कितना निवेश हो रहा है साथ ही आपका क्रेडिट स्कोर कितना है, जैसे फैक्टर शामिल हैं. कोई भी बैंक या लैंडर इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए ही आपको लोन देगा.
इन फैक्टर्स पर भी निर्भर करता है लोन
क्रेडिट स्कोर जितना बेहतर होगा आपकी विश्वसनीयता उतनी ही ज्यादा मानी जाएगी. इसका सीधा सा मतलब ये है कि आपका क्रेडिट स्कोर जितना ज्यादा होगा आपको आसानी से लोन मिलने की संभावना भी उतनी ही ज्यादा होगी. आपको दिए जा रहे लोन पर इंटरेस्ट रेट तय करने और उसकी समय सीमा तय करने में भी ये अहम भूमिका निभाता है. यही वजह है कि बिजनेस लोन लेने से पहले आपकी चेकलिस्ट में एक अच्छा क्रेडिट स्कोर होना भी बहुत जरूरी है. हालांकि ये जरूरी नहीं कि कम क्रेडिट स्कोर होने पर आपको ऋण मिलेगा ही नहीं.
लोन देने वाली कोई भी संस्था लोन पास करते समय बिजनेस करने वाले या उसके वेंचर के क्रेडिट स्कोर पर जरूर ध्यान देती है. इसके अलावा बिजनेस की फाइनेंशियल स्थिति, कैश की स्थिति, बिजनेस से जुड़े आगे के प्लान और लोन के लिए मांगी गई राशि को भी ध्यान में रखा जाता है. अगर लोन देने वाली संस्था क्रेडिट स्कोर के अलावा दूसरे बिंदुओं से आश्वस्त है और ये मानती है कि एंटरप्रेन्योर रीपेमेंट में सक्षम है तो लोन दे सकती है. हालांकि ऐसे मामलों में लोन देने वाली संस्था ज्यादा रेट ऑफ इंटरेस्ट ले सकती है. क्रेडिट स्कोर कम होने पर बड़े कर्ज की तुलना में छोटी राशि के लोन्स को मंजूरी मिलना ज्यादा आसान होता है.
ये भी हैं विकल्प
धारणा ऐसी है कि लोन सिर्फ बड़ी वित्तीय आवश्यकता होने पर ही लिए जा सकते हैं. जबकि कंपनी के टर्नओवर और प्रॉफिट को देखते हुए छोटे लोन लेना ज्यादा आसान होता है. नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां बहुत आसानी से छोटे बजट के लोन पारित करती हैं. इसलिए मौजूदा जरूरत को ध्यान में रखते हुए लोन लेना किसी भी उद्यमी के लिए ज्यादा फायदेमंद और आसान होता है.
अच्छे क्रेडिट स्कोर के अलावा कुछ अतिरिक्त इंतजाम होना भी जरूरी है. जो लोन लेते समय सिक्योरिटी के रूप में काम आते हैं. जिनके आधार पर लोन मिलना आसान हो जाता है. जिनके पास सिक्योरिटी के तौर पर कुछ नहीं है वो अनसिक्योर्ड बिजनेस लोन का सहारा ले सकते हैं. इसके अलावा मर्चेंट कैश एडवांस और अनसिक्योर्ड एंटरप्राइज लोन्स भी विकल्प हो सकते हैं. कोलेट्रल न होने की स्थिति में लोन लेने वाले को पर्सनल गारंटी देनी पड़ती है. ऐसी स्थिति में डिफाल्टर होने पर बिजनेस ऑनर ही लीगल रूप से लोन अदा करने के लिए जिम्मेदार होता है.
लोन लेने के नए तरीके और प्रक्रिया डिजिटल होने के बाद से लोन लेना पहले से आसान हो गया है. लोन लेने वालों को अब लंबी लाइन्स और लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता. अब आप ऑनलाइन ही ऐसे लेंडर्स ढूंढ सकते हैं जो आपकी जरूरतों के अनुसार आपको आसानी से लोन दे सकें.