Birthday पर पिता ने मंगवाई सॉफ्ट ड्रिंक, बोतल में निकला कीड़ा तो 25 हजार रुपये का मिला हर्जाना
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Birthday पर पिता ने मंगवाई सॉफ्ट ड्रिंक, बोतल में निकला कीड़ा तो 25 हजार रुपये का मिला हर्जाना

याचिका के मुताबिक ग्राहक ने जब घर जाकर देखा, तो इनमें से एक बंद बोतल में कीड़ा दिखायी दिया.

.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

इंदौर: सॉफ्ट ड्रिंक स्प्राइट की एक बंद बोतल में कीड़ा पाये जाने को "सेवा में त्रुटि" करार देते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने 10 साल पुराने मामले में फैसला सुनाया है. इसके तहत पेय निर्माता कोका कोला इंडिया की बॉटलिंग इकाई हिंदुस्तान कोका कोला बेवरिजेज समेत चार पक्षों पर 25,000 रुपये का हर्जाना लगाया गया है. जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम के अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा और इस फोरम के सदस्य अतुल जैन ने यह फैसला मंगलवार 12 मार्च को स्थानीय निवासी नवीन जैन की याचिका पर सुनाया.

उपभोक्ता फोरम ने अपने नौ पृष्ठ के फैसले में कहा, "विपक्षी गण (प्रतिवादी) द्वारा सेवा में त्रुटि के कारण याचिकाकर्ता को जो मानसिक आघात पहुंचा है, इसके एवज में विपक्षी गण परिवादी को इस आदेश की प्राप्ति के दो महीने की अवधि में 25,000 रुपये अदा करें."

उपभोक्ता फोरम ने अपने विस्तृत फैसले में यह आदेश भी दिया है कि प्रतिवादी गण याचिकाकर्ता को स्प्राइट की एक बोतल के तत्कालीन खरीदी मूल्य के रूप में आठ रुपये भी लौटाये और साथ ही, याचिका दायर करने में हुए खर्च के एवज में याचिकाकर्ता को 3,000 रुपये चुकाये जायें. जैन ने 29 अप्रैल 2009 को जिला उपभोक्ता फोरम में याचिका दायर कर कहा था कि उन्होंने अपने बच्चे के जन्मदिन की पार्टी के लिये इंदौर की धार रोड स्थित राज इंटरप्राइजेज नामक दुकान से स्प्राइट की 12 बोतलें खरीदी थीं.

याचिका के मुताबिक ग्राहक ने जब घर जाकर देखा, तो इनमें से एक बंद बोतल में कीड़ा दिखायी दिया. जैन ने इस संबंध में हिंदुस्तान कोका कोला बेवरिजेज के मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के पीलूखेड़ी स्थित संयंत्र, कम्पनी के इंदौर स्थित दफ्तर और दो स्थानीय फर्मों-राज इंटरप्राइजेज और मित्तल एजेंसी के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में याचिका दायर की थी.

याचिका पर सुनवाई के दौरान हिंदुस्तान कोका कोला बेवरिजेस ने अपने खिलाफ लगाये गये आरोपों को खारिज करते हुए कहा था, "कंपनी उच्च गुणवत्ता के शीतल पेय तैयार करती है और इसे बोतलों में भरने की प्रक्रिया को ऑटोमेटिक कम्प्यूटराइज्ड मशीनों के जरिये जांच-परख कर किया जाता है. इसके बाद ही बोतलबंद शीतल पेय को बिक्री के लिये संयंत्र से बाहर भेजा जाता है." 

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